समन्वय साहित्य परिवार रजत जयंती समारोह में मेरी अनुभूति
कोरोना काल की विभीषिका ने साहित्यिक गतिविधियों और आपसी प्रत्यक्ष विचार विमर्श को पूरी तरह प्रभावित किया था । इसके कारण साहित्यकार छटपटाहट अनुभव कर रहे थे।ऐसे समय में बिलासपुर में समन्वय साहित्य परिवार का रजत जयंती समारोह ने नवीन ऊर्जा का संचार देने की भूमिका निभाई।
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों सहित अन्य राज्यों से आए लोगों का आपसी प्रत्यक्ष मिलन ने सुखद अनुभूति का संचार किया और सभी अत्यन्त प्रफुल्लित नज़र आये। वैसे तो अधिकतर लोग मोबाइल या सोशल मीडिया से परस्पर संपर्क में थे लेकिन साक्षात मिलने पर जो अपनापन झलकता है उसकी खुशी सभी उपस्थित लोगों के मुख पर देखने को मिली।साथ में बातें एवं परिचय प्राप्त करना , भोजन करना ,एक दूसरे से जुड़ने की ललक और हंसी-मजाक के कारण जो अपनत्व उत्पन्न हुआं वह स्थाई यादगार घड़ी निरूपित हो रही है ।
यह कार्यक्रम सिर्फ साहित्यिक न होकर एक पारिवारिक कार्यक्रम बन गया जिसने ऐसा अपनापन बांट दिया है जिसने सभी उपस्थित लोगों को मानसिक रूप से एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जोड़ दिया है। ऐसा लगने लगा है कि जैसे दूर राज्य का निवासी भी हमारे घर का ही सदस्य हो।
लगभग सभी ने इस अवसर को अपनी मधुर यादों में संजो लिया है और एक दूसरे के साथ फोटो खिंचवाकर इसे स्थाई संबंध बना लिया है । परिवार के रूप में सभी उपस्थित व्यक्ति अपने आपको धन्य समझ रहा है कि उसे ऐसे अविस्मरणीय पल का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यह सुखद यादगार पल सभी को गौरवान्वित और रोमांचित करता रहेगा।
मेरे और मेरी पत्नी सरस्वती सोनी के लिए यह कार्यक्रम एक अप्रतिम उपहार है जो हमें हमेशा आह्लादित करता रहेगा।
राजेश कुमार सोनार बिलासपुर