नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव केस में पांच लोगों की गिरफ्तारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी आरोपी 6 सितंबर तक अपने घर पर ही नजरबंद रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट में 6 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई होगी। इस दौरान कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने भी हाउस अरेस्ट की बात स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने सरकार से बुधवार तक जवाब दाखिल करने को भी कहा है।
इससे पहले मंगलवार को पांच महीने में दूसरी बार मंगलवार को पुणे पुलिसने देशभर के कथित नक्सल समर्थकों के घरों व कार्यालयों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जांच के मद्देनजर छापे के बाद अब तक कवि वरवरा राव, अरुण पेरेरा, गौतम नवलखा, वेरनोन गोन्जाल्विस और सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपियों पर पुलिस ने  153 गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया।
भीमा-कोरेगांव में जनवरी महीने में हुई हिंसा में पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाला खुलासा किया गया था। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि एक आरोपी के घर से ऐसा पत्र मिला था, जिसमें राजीव गांधी की हत्या जैसी प्लानिंग का ही जिक्र किया गया था। इस पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की बात भी कही गई थी। मंगलवार को देशभर के कई शहरों मुंबई, रांची, हैदराबाद, फरीदाबाद, दिल्ली और ठाणे में छापेमारी की गई।
कौन हैं भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग?
रांची में स्टेन स्वामी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, केवल उनके घर की तलाशी ली गई। कार्यकर्ताओं के कई समर्थकों ने विभिन्न जगहों पर पुलिस छापे के दौरान प्रदर्शन किया। उधर, भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पुणे के लिए ऐक्टिविस्ट गौतम नवलखा की ट्रांजिट रिमांड पर स्टे लगा दिया है। वह बुधवार को केस की सुनवाई होने तक हाउस अरेस्ट रहेंगे। वहीं सुधा भारद्वाज के ट्रांजिट रिमांड पर भी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दो दिन का स्टे लगा दिया।
पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है। जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं। रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, ‘फासीवादी फन अब खुल कर सामने आ गए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है। वे अधिकारों के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी शख्स के पीछे पड़ रहे हैं. वे किसी भी असहमति के खिलाफ हैं।