‘ गांधी विद्या संस्थान ’ को मुक्त कराने,
नर्मदा घाटी ने की पुकार| अवैध कब्जा का किया धिक्कार
बड़वानी सैयद रिजवान अली।
गांधी की विरासत बचाना हमारा कर्तव्य| तानाशाही रोकना हमारा लक्ष्य|
आज, सुबह 26 जून के रोज, नर्मदा किनारे राजघाट -कुकरा पुनर्वसाहट में ‘गांधीस्मारक’ पर बड़वानी और धार जिले के करीबन 15 गांव के प्रतिनिधि बहन- भाई एकत्रित हुए| वाराणसी,5. प्रदेश में ‘गांधी विद्या संस्थान’ की जमीन, वास्तु अवैध तरीके से कब्जे में लेने की खिलाफत करते हुए, सभी ने इसे गांधी -लोहिया -जयप्रकाश जी की विरासत पर हमला बताया और ‘वाराणसी’ में प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र में चल रही तानाशाही का धिक्कार किया|
गांधी विद्या संस्थान, ‘सर्व सेवा संघ’ ने, लाल बहादुर शास्त्री जी के सहयोग से खरीद ली, रेल्वे की जमीन पर 1960 से बना हुआ है| इसकी कुछ जमीन ‘काशी कॉरिडॉर’ के लिए जिस जिलाधिकारी ने कब्जे में ली थी, वह व्यक्ति अब मंडलाधिकारी बनने पर अप्रैल से कुछ बैठक नहीं, नाटक चलाकर, पुलिस बल से पूरे संस्थान को कब्जे में लिया, ताले तोड़े और अब सत्याग्रह पर बैठे गांधीजनों को भी पुलिसों उसे घेरकर उसी कौशल प्रसाद शर्मा ने अपराध किया है| लेकिन उसी शासन -प्रशासन ने ‘सर्व सेवा संघ’ पर इस जमीन को लेकर झूठे प्रकरण दर्ज किये हैं|
देश में गांधी विचारों का, उनके जीवन और विकास दर्शन का प्रसार न हो, सत्य, अहिंसा और सर्वधर्मसमभाव के मूल्यों का प्रबोधन न हो, इसलिए यह साजिश चली है यह कहते हुए तिरंगा सोशल ग्रुप के सामाजिक कार्यकर्ता गुरदीप गांधी, जयप्रकाश जी के आंदोलन से जुड़े निवृत्त सरकारी अधिकारी ध्रुवराज जी और सादिक चंदेरी आदि विशेष अतिथियों ने अपने वक्तव्य में कहा| कैलाश यादव, राहुल यादव, भगवान भाई सेप्टा ने इस महत्वपूर्ण संघर्ष में उतरने का महत्व प्रस्तुत किया|
रेहमत भाई ने बताया कि एक नहीं गांधी संस्थाओं पर अनेक जगह ऐसा हमला हो रहा है और यह धर्म के नाम पर अधर्म की बात है| उत्तरप्रदेश की सरकार तानाशाह बन गयी है| जल और नदी पर कब्ज़ा करने की बात के असरों को भी उजागर किया|
कमला यादव ने सभी बहनों की ओर से कहा कि ऐसा संघर्ष, हमने 37 सालों तक चलाया, वैसे ही महिला शक्ति के द्वारा आगे ले जाना जरूरी है| अपने बच्चों का भविष्य, अपना जल- जंगल- जमीन पर अधिकार, रोजगार भी गांधीजी के ग्राम स्वराज्य जैसे मार्ग पर चलकर ही बचाना संभव है|
मेधा पाटकर ने कहा गांधी संस्थाओं पर ही नहीं, गांधी विचारों पर आघात करने का और जाति, धर्म के नाम पर हिंसा बढ़ाने का कारण राजनीतिक होना स्पष्ट किया| उत्तरप्रदेश के साथ देशभर हो रहे भूमि हड़पने की, तथा जनतंत्र और सत्यप्रिय शासन व्यवस्था चलने न देने की हिंसक साजिश से देश बचाने की, जरूरत जतायी| तथा गांधी जी के सत्य -अहिंसा जैसे मूल्यों को नकारने का कारण देश की जनता जाने और गांधी विद्या संस्थान को बचाने के संघर्ष में तथा 9-10 अगस्त को वाराणसी में हो रहे सम्मेलन में सहभागी होने का ऐलान किया|
वाहिद भाई मंसूरी ने राष्ट्रपति महोदया द्रौपदी मुर्मू जी को लिखा पत्र पढ़कर सुनाया जिस पर सहमति जताकर सभी ने हस्ताक्षर करने पर राष्ट्रपति भवन भेजा गया| इस अवसर पर धनराज भिलाला ओम पाटीदार बालाराम यादव उपस्थित थे।