संघर्ष को जीवन का उद्देश्य बनाकर सफलता अर्जित करने का नाम है स्नेहा रॉय

शशि दीप मुंबई महाराष्ट्र की कलम से:नारी शक्ति

भारतीय समाज में एक नारी का जीवन बेटी से आरंभ होकर विभिन्न आयामों को पार करता हुआ जीवन के आखिरी पड़ाव तक संघर्ष करता है। आजादी के बाद लाख नारी शक्ति का सम्मान खासकर शिक्षित समाज में बढ़ा है।नारी सशक्तिकरण का ही परिणाम है कि आज की नारी किसी भी मोर्चे पर पुरुष समाज से पीछे नहीं है।

समाज में एक गलत मान्यता हमेशा से जिंदा रही है कि नारी के उत्थान में हमेशा पुरुष व्यवधान डालते हैं।नारी पर मानसिक शारीरिक उत्पीड़न का कारण पुरुष रहे हैं,में इससे इतेफाक नही रखती।यदि हम सच्चाई से अवलोकन करें तो हम पाएंगे कि कहीं न कही नारी के लिए नारी ही शत्रु साबित होती है।महिला उत्पीड़न की अधिकतर घटनाओं में पुरुष को उकसाने के पीछे नारी के हस्तक्षेप से इंकार नहीं किया जा सकता। आज मैं आपके सामने एक ऐसी नारी को कहानी प्रस्तुत कर रही हूं जिसने उत्पीड़न का सामना करते हुए समाज से लोहा लिया और आज अपना एक मकाम बनाया वह भी अपने दम पर।उसकी कहानी में पुरुष रूपी पति का सहयोग,माता पिता रूपी सारथी की भूमिका में साथ साथ कदमताल करते मिले। यही कारण है कि वह आज एक मिसाल कायम कर रही है।

 

कोलकाता पश्चिम बंगाल में जन्मी स्नेहा रॉय आज एक कुशल मीडिया पर्सन, मॉडल,एक जिम्मेदार मां तथा एक आज्ञाकारी पत्नी के रूप में समाज में अपना स्थान बनाए हुए है। माता पिता की लाड़ली स्नेहा को कभी इस बात का मान भी नही था कि ससुराल उनके जीवन का नरक बन जाएगा। जहां दहेज लोभी ससुराल वालों द्वारा इसके जीवन को नरक बना दिया जाएगा।

स्नेहा द्वारा अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि जिंदगी जख्मों से भरी है वक्त को मरहम बनाना सीख लो,हारना तो है ही मौत के सामने ,पहले जिंदगी तो जीना सीखलो।

स्नेहा ने बताया कि जब मेरी शादी हुई उसके बाद मेरी पूरी दुनिया पूरी तरह से पलट गई।शादी से पहले मैं अपने मां बाबा की प्यारी सी बच्ची थी,जिसे हर वो चीज़ मिली जो मुझे पाना था,हां शादी भी मैने अपनी पसंद के लड़के से की।उसके बाद ससुराल वाले दहेज के लिए बहुत प्रताड़ित किए।रात दिन ताने गाली देते मुझे रूम में बंद कर देते लाइट फैन सब बंद कर देते थे,माता पिता को अपमानित करते।तीन बार घर से निकल दिया गया।लेकिन मैने हार नहीं मानी। दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर ससुराल वालों ने एक रात गाली गलौज कर मुझे घर से निकाल दिया। शुक्र है मेरे पति ने मेरा साथ दिया और हम दोनो रात को घर से निकाल देने के बाद दर बदर।भटकते रहे। हमने खुदकुशी का मन बना लिया था।लेकिन कुछ कर गुजरने की लालसा ने हमें खुदकुशी नही करने दी। हालात से समझौता किया, मां बाबा ने सहारा दिया।फिर दोनो ने अपने लिए संघर्ष आरंभ किया।पति स्वाभिमानी थे।कोलकाता के राजरहाट में एक भाड़े के घर से संघर्ष की कहानी का आगाज़ हुआ।हम दोनो ने काम करना आरंभ कर दिया मुझे टीचिंग का शोक और अनुभव था सो वही लाइन अपनाई।अपने लिए धीरे धीरे ग्रहस्थ जीवन का सामान जोड़ना आरंभ किया। हमारे संघर्ष के इस इम्तेहान के हमारे दो बच्चे भी साक्षी बने।इस अंतराल में मुझे दो बच्चे हुए,बेटा अभयुद्ध तथा बेटी ईवा। बच्चों की जिम्मेदारी ने 05साल मुझे बच्चों के साथ समय गुजारने का मौका दिया।इस दरमियान मेरे पति मेरे हमसफर सहित मेरे मां बाबा का साथ रहा। मैने अपनी मां की प्रेरणा से पत्रकारिता का कोर्स किया। सर्टिफिकेट पाकर अपना खुद का यू ट्यूब चैनल् वन डिजिटल मीडिया आरंभ किया।शौकिया तौर पर मैने मॉडलिंग भी की।लेकिन मॉडलिंग को अपना पैशा नही बनाया। मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में ऊंचा मुकाम हासिल जो करना था। आज मैं अपने परिवार के स्नेह और अपने चैनल के साथ समाज को एक नई दिशा देने की चाह को लिए निरंतर आगे बढ़ रही हूं। मैने खुदकुशी का यदि कदम उठाया होता तो आज मेरी जिंदगी में यह बहारें नही आती। इंसान को हालात से लड़ना चाहिए टूटकर बिखरना जिंदगी नही है। खुदकुशी करना जीवन का अंत जरूर है।लेकिन उसका दर्द जो हम पीछे छोड़ जाते है। वह दर्द हमारे लोगों को पल पल टीस देता है। स्नेहा ने महिलाओं को संदेश देते हुए लिखा कि जिंदगी में उतार चढ़ाव के बाद खुद को कमज़ोर मत होने देना और खुद पर विश्वास रखने और अपने आस ,भगवान पर विश्वास के।साथ अपनी लाइफ में वोह अचीव करना जिसके तुमने सपने देखें हैं।

स्नेहा रॉय की प्रेरणा दायक लाइफ से महिलाओ को यह सबक मिलता है कि हालात से लड़ना ही जिंदगी है।

शशि दीप ©✍

विचारक/ द्विभाषी लेखिका

मुंबई

shashidip2001@gmail.com 

नारी शक्ति अपनी आपबीती मुझे इस मेल पर भेज सकती है।