राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बदले सुर ?कहीं रडार का शिकार तो नहीं।
@सैयद खालिद कैस की कलम से
भोपाल। भाजपा के कद्दावर नेता और स्पष्टवादी मुखर बयानों के लिए प्रसिद्ध मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा केंद्र सरकार पर हमलों से कोई भी अंजान नही है।चाहे जम्मू कश्मीर राज्यपाल रहने के दौरान के मसलों हो या चाहे किसान आंदोलन पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेना का मामला हो।गरज के मालिक साहब ने अपनी साफ गौई अर्थात स्पष्ट वादिता से जनमानस के दिल ओ दिमाग में यह उतार दिया था कि सत्यपाल मलिक गंदी राजनीति पृष्ठभूमि में मौजूद एक ऐसे नेता हैं जो नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करते,जो इस बात से भी नही डरते कि उनकी स्पष्ट वाडिया के कारण वह सरकार के निशाने पर हैं। लेकिन अब सूरत बदलती नजर आ रही है।
गौर तलब हो कि मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के दादरी में हुई एक समूह से बातचीत के दौरान कहा था कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से (अब निरस्त कर दिए गए) नए कृषि कानूनों को लेकर बात करनी चाही, तब वे ‘बहुत घमंड में थे’ और मलिक की उनसे ‘पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई.’
सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे ईटीवी भारत के एक वीडियो में मलिक कहते हैं, ‘जब मैं किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में ही लड़ाई हो गई. वो बहुत घमंड में थे. जब मैंने उन्हें कहा कि हमारे पांच सौ लोग मर गए… तुम तो कुतिया मरती है तो चिट्ठी भेजते हो तो वो बोले मेरे लिए मरे हैं! मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे हैं, राजा बने हुए हो आप उनकी वजह से. खैर! झगड़ा हो गया मेरा.’
मलिक आगे कहते हैं, ‘उन्होंने कहा कि तुम अमित शाह से मिलो, मैं उनसे मिला, उसने कहा, सत्यपाल, इसकी अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, ये किसी न किसी दिन समझ जाएगा.’
सत्यपाल मलिक का बदल गया रुख
किसान आंदोलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी के रवैये पर अमित शाह की ओर से सवाल उठाए जाने के अपने दावे पर सत्यपाल मलिक ने अब सफाई दी है। मेघालय के गवर्नर ने कहा कि मैंने यह नहीं कहा कि अमित शाह ने पीएम नरेंद्र मोदी के लिए कुछ भी गलत कहा। अपने बयान को लेकर सफाई देते हुए सत्यपाल मलिक ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘अमित शाह तो पीएम नरेंद्र मोदी का बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने उनके बारे में कुछ भी गलत नहीं कहा। उन्होंने यह जरूर कहा था कि कुछ लोग पीएम मोदी को मिसगाइड करते हैं। आप मिलते रहिए। एक दिन उन्हें बात समझ में आ जाएगी।’
सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘मैंने पीएम नरेंद्र मोदी से जब भी बात की तो उनका रवैया बहुत अड़ियल था। उन्होंने कहा कि आप अमित शाह से मिलो। पीएम नरेंद्र मोदी का अमित शाह बहुत सम्मान करते हैं। मैं जब अमित शाह से मिला तो उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इन्हें मिसगाइड कर रखा है और एक न एक दिन वह जरूर समझेंगे।’ अपने बयान के चलते अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते खराब होने के कयासों को लेकर सत्यपाल मलिक ने कहा कि दोनों लोगों के बीच रिश्ते बहुत अच्छे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी का अमित शाह बहुत सम्मान करते हैं।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार किसान आंदोलन के मामले में देर आई, लेकिन दुरुस्त आई। फिर भी यह फैसला पहले ले लिया जाता तो और बेहतर होता, इतने लोग मरने से बच जाते। इस बयान के बाद खुद के लिए मुश्किलें होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस टोन में इन कानूनों को वापस लिया, उससे समाज उनकी गुडविल बढ़ी है।’ कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद की स्थिति पर सत्यपाल मलिक ने कहा कि लोगों का रवैया अब पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति बदला है। भाजपा के प्रति भी लोगों का रवैया नरम हुआ है। जो भी हुआ है बहुत अच्छा हो गया है।
स्पष्टवादी सत्यपाल मलिक के बदले रुख से यह साफ जाहिर है कि उन पर केंद्र सरकार ने आंतरिक हमला कर दिया है,जो कल तक दिए बयान के बाद उनका प्रधानमंत्री के संबंध में दिए बयान में पहली बार सफाई देते हुए अपना दामन बचाना कोई साधारण सी बात नही है।
क्या क्या कह चुके हैं सत्यपाल मलिक
मलिक ने कहा, ‘मेरे लिए किसी भी पद से पहले किसानों का हित सर्वोपरि है.’ उन्होंने कहा कि किसानों के अधिकारों पर आंच नहीं आने दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि जब सरकार किसानों से संबंधित कानून बनाती है तो पहले किसानों की राय ली जानी चाहिए और अगर कोई कानून बनाना है तो किसानों के फायदे के लिए बनाया जाए।
बीते कई महीनों में मलिक भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार को कई बार, खासकर किसान आंदोलन से जुड़े मसलों को लेकर, आड़े हाथों ले चुके हैं।
अक्टूबर 2021 में उन्होंने कहा था कि यदि किसानों की मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं, तो भाजपा सत्ता में नहीं आएगी।
उस समय यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसानों के साथ खड़े होने के लिए अपना पद छोड़ देंगे, मलिक ने कहा था कि वह किसानों के साथ खड़े हैं और वर्तमान में उन्हें पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसा भी करेंगे।
उन्होंने लखीमपुर खीरी कांड को लेकर कहा था कि ‘केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा देना चाहिए था. वैसे भी वह मंत्री मंत्री बनने के लायक नहीं हैं।’
नवंबर महीने में उन्होंने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा की आलोचना करते हुए कहा था कि एक नए संसद भवन के बजाय एक विश्व स्तरीय कॉलेज बनाना बेहतर होगा।
उस समय भी मालिक ने केंद्र पर किसानों की मौत को लेकर संवेदनशील रवैया न अपनाने पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था, ‘एक कुत्ता भी मरता है तो दिल्ली के नेताओं का शोक संदेश आता है लेकिन 600 किसानों का शोक संदेश का प्रस्ताव लोकसभा में पास नहीं हुआ।’
तब उन्होंने दोहराया था कि ‘मैं जन्म से राज्यपाल नहीं हूं. मेरे पास जो कुछ है उसे खोने के लिए मैं हमेशा तैयार हूं लेकिन मैं अपनी प्रतिबद्धता नहीं छोड़ सकता. मैं पद छोड़ सकता हूं लेकिन किसानों को पीड़ित और हारते हुए नहीं देख सकता.’
उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता सत्यपाल मलिक नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल बने हैं।