मुख्यमंत्री चौहान के द्वारा महुआ और ताड़ी की शराब को आदिवासियों की ऐतिहासिक परंपरा बताकर छूट देना सरासर गलत : नारी चेतना मंच

किसी भी सामाजिक बुराई को मान्यता देना असंवैधानिक

आने वाले समय में सती प्रथा को भारत की महान परंपरा बताकर महिलाओं को जिंदा जलाना शुरू कर देंगे : सुशीला मिश्रा

रीवा 23 नवंबर .नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने कहा है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा महुआ और ताड़ी की शराब को आदिवासी समाज की परंपराओं से जोड़कर उसे उनकी आजीविका का साधन बनाने की छूट देना अत्यंत आपत्तिजनक निंदनीय कृत्य है . उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान के द्वारा शराब जैसी सामाजिक विघटन की भयंकर बुराई को कानूनी मान्यता देने का ऐलान सरासर गलत है . करीब 200 साल पहले देश में सती प्रथा का भी प्रचलन था क्या आगे उसे भी भारत की महान परंपरा बताकर फिर महिलाओं को जिंदा जलाना शुरू करवाया जाएगा ? किसी भी सामाजिक बुराई को मान्यता देना असंवैधानिक है .

नारी चेतना मंच की अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि नशा मुक्त समाज बने . यह भारी विडंबना है कि उनका सपना आज तक पूरा नहीं हो सका बल्कि देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के बीच प्रचलित शराब जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने की जगह उसे बढ़ावा देते नजर आ रहे हैं . मध्यप्रदेश के चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में आदिवासी मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसे मद्देनजर रखते हुए मुख्यमंत्री चौहान आएदिन लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं , भले ही वह सामाजिक परिवेश एवं जन स्वास्थ्य के लिए अहितकारी क्यों न हों . देखने में आ रहा है कि आज भी आदिवासी समाज दोयम दर्जे का जीवन व्यतीत कर रहा है .

नारी चेतना मंच की नेत्री ने कहा कि कहने के लिए संविधान में आदिवासियों को आरक्षण दिया गया है लेकिन इसके बावजूद 21वीं शताब्दी में भी वे बहुत खराब जीवन जीने को मजबूर हैं . गरीबी भुखमरी के हालात और सर पर साया न होने के चलते आज भी अधिकांश आदिवासी परिवारों का जीवन अत्यंत कठिनाई के दौर से गुजर रहा है . मौजूदा पूंजीवादी विकास नीति के चलते हिंदुस्तान के करोड़ों मूलवासियों का अस्तित्व खतरे में है . जब से जल जंगल जमीन पर उनका आधिपत्य खत्म हुआ तब से वह गुलामी का जीवन जीने को मजबूर हैं . घर घर शराब बनाने का ठेका देकर मुख्यमंत्री चौहान आदिवासियों की संस्कृति को मजबूत नहीं बना रहे हैं बल्कि उन्हें ऐसी बुराई से ग्रसित कर रहे हैं जिसके चलते उनकी जिंदगी और नारकीय हो जाएगी . प्रदेश सरकार आदिवासियों की बुनियादी समस्याओं को दूर करने में विफल रही है , इसके चलते उन्हें शराब जैसी सामाजिक बुराई की ओर धकेला जा रहा है .

अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने कहा कि यह काफी कष्टकारक एवं चिंताजनक बात है कि शराब जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने के संबंध में अभी तक हुए प्रयासों को मुख्यमंत्री चौहान नष्ट करने पर उतारू हैं . प्रदेश में रोजगार का सही प्रबंधन कर पाने में असमर्थ शिवराज सरकार अत्यंत आपत्तिजनक गैरजिम्मेदाराना उपायों पर उतर आई है . मुख्यमंत्री चौहान के तौर तरीकों से ऐसा लगता है कि आने वाले समय पर शराब कबाब और शबाब सभी को खुलेआम छूट दे दी जाएगी . जिसके चलते आपराधिक प्रवृत्तियों को और बढ़ावा मिलेगा . शराब को विरासत मदिरा बताना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है . इस बात को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नारी चेतना मंच की अध्यक्ष सुशीला मिश्रा ने शिवराज सरकार के खिलाफ देशव्यापी मुहिम चलाने की घोषणा की है ।