भोपाल। डिजिटल मीडिया और न्यूज़ पोर्टल्स द्वारा केंद्र सरकार की नाकामियों को जनता जनार्दन तक मुहैया कराने और केंद्र सरकार की असलियत बताने से घबराई मोदी सरकार 2018 से ही इन पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही थी जिसके नतीजे में कुछ माह पूर्व केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संबंधित नए नियमों को थोप कर नकेल कसने के प्रयास किया है।
केंद्र सरकार के डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किये इस हमले से देश भर में प्रसारित लाखों न्यूज़ पोर्टल्स ओर डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म की आज़ादी छिन रही है।कोरोना काल मे जहां लोगों की जान पर बन आई थी ओर बिकाऊ मीडिया सरकार के गुणगान ओर हिन्दू मुस्लिम फेक्टर में उलझी थी ,उस समय किसान आंदोलन से लेकर वैक्सिनेशन, ऑक्सीज़न की कमी,रेमडीसीवीर की कालाबाज़ारी ओर बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं सहित सरकार की कारगुज़ारियों से आमजन को रूबरू कराने वाली डिजिटल मीडिया पर सरकार ने दबे पाँव हमला किया। उसी नाज़ुक समय की आड़ में डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संबंधित नए नियमो के नाम पर अस्तित्व में आये यह कानून भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 19 (1)में प्रदत्त विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दोहन साबित हो रहे हैं । जिसके खिलाफ ऑनलाइन मीडिया द वायर, क्विंट और ऑल्ट न्यूज जैसी कई वेबसाइट्स ने केंद्र की तरफ से नए IT रुल्स को फोलो के लिए जारी नोटिस और नियमों का पालन ना करने पर सरकार की तरफ से एक्शन के अंदेशे को देखते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जो अभी विचाराधीन है।
इसी बीच देश की सबसे बड़ी ओर विश्वसनीय न्यूज़ एजेंसी PTI ने भी गत बुधवार को केंद्र सरकार के नए IT नियमों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट की शरण ली।यह बात और है कि अदालत ने फौरी तौर पर कोई राहत देने से इनकार तो किया है, लेकिन याचिका पर सुनवाई करते दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।मामले पर अगली सुनवाई अन्य याचिकाओं के साथ 20 अगस्त को होगी।
मालूम हो कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से संबंधित नए नियमों के अस्तित्व में आने के बाद से ही इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद होना शुरू हो गई थी।जिसको जानबूझकर साजिश के तहत दबाया गया और उसका प्रचार होने से रोके रखा।ताकि जनमानस के बीच यह सन्देश न जाये कि सरकार के इस आत्मघाती हमले का पुरजोर विरोध हो रहा है।
न्यूज़ एजेंसी PTI से पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करने वाले ऑनलाइन मीडिया द वायर, क्विंट और ऑल्ट न्यूज जैसी कई वेबसाइट्स द्वारा प्रस्तुत याचिकाओं के विचाराधीन रहते दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मामले में अंतरिम राहत की मांग को अस्वीकार कर दिया। परन्तु पीटीआई की याचिका पर सुनवाई करते दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई अन्य याचिकाओं के साथ 20 अगस्त को होगी।
केंद्र सरकार के नए आईटी नियमो के खिलाफ याचिकाओं में क्या कहा गया है?
याचिकाओं में कहा गया कि उन्हें नए IT नियमों के पालन के लिए केंद्र सरकार ने नया नोटिस जारी किया है, ऐसा ना करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि तकरीबन 1200 डिजिटल मीडिया हाउसेस, जिनमें स्वतंत्र प्रकाशक भी हैं, नए नियमों का पालन कर चुके हैं। याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई कि हमनें नए IT रुल्स को चुनौती दी है, उन्होंने नहीं। याचिका में आगे कहा गया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। ये बात स्वीकार करने लायक नहीं है।
दिल्ली हाई कोर्ट में अपने खिलाफ लग रही याचिकाओं से तिलमिलाई केंद्र सरकार ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बैंच ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। जहां से केंद्र सरकार को अब इस मामले को 20 अगस्त को जवाब देना है। उधर दिल्ली हाई कोर्ट में अपने खिलाफ लग रही याचिकाओं से तिलमिलाई केंद्र सरकार ने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है। क्योंकि केंद्र सरकार जानती है कि सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों को कैसे ओर किस तरह निपटाया जा सकता है। देखना यह है कि 20 अगस्त से पूर्व केंद्र सरकार अपने पिटारे से कोई और शगुफ़ा न निकालले जो डिजिटल मीडिया पर प्रहार साबित हो।
@सैयद ख़ालिद क़ैस 8770806210