महाराज गद्दार हैं-का नारा और भाजपाइयों की नाराजगी बन रही मुसीबत

भोपाल ( महेश दीक्षित)। मध्यप्रदेश की जिन 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन पर हाल ही में संघ और भाजपा द्वारा कराए गए एक आंतरिक सर्वे ने भाजपा नेतृत्व और उसके रणनीतिकारों की नींद उड़ाकर रख दी है। सर्वे के अनुसार भाजपा को 27 में से सिर्फ 21 सीटें ही मिल रही हैं। यहां महाराज गद्दार हैं, का नारा और श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को लेकर स्थानीय भाजपा नेताओं की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ रही है।

भाजपा के सूत्रों के अनुसार उपचुनाव से पहले कराए गए इस सर्वे में यह बात तो बिल्कुल साफ हो गई है कि, श्रीमंत को लेकर मतदाताओं में अब वो आकर्षण नहीं रह गया है, जो आकर्षण नंवबर-2018 के विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश के मतदाताओं में नजर आता था।
पार्टी आलाकमान को श्रीमंत के भाजपा में शामिल होने के बाद ग्वालियर-चंबल संभाग में जिस चमत्कार की उम्मीद थी, वो अब हवा हो चुकी है। इसलिए ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा की हालत 2018 से भी ज्यादा कमजोर दिखाई दे रही है। भाजपा और खुद श्रीमंत को यहाँ की 16 की 16 सीटें जीतने का भरोसा था, पर सर्वे में कहा जा रहा है कि, अभी के राजनीतिक परिदृश्य और हालात में भाजपा को एक-दो सीटें मिल जाएं तो बहुत बड़ी बात होगी।

21 सीटों पर खतरा

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भाजपा को उपचुनाव वाली 27 सीटों में से 21 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता है। जबकि, इसके पहले हुए आंतरिक सर्वे में पार्टी को 19 सीटों पर हार की आशंका जताई गई थी। सर्वे रिपोर्ट ने पार्टी नेतृत्व को चिंता में डालने के साथ उसकी नींद उड़ाकर रख दी है। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अभी भी दावा यही कर रहे कि, हम सभी 27 सीटों को जीतेंगे।

मालवा-निमाड़ में भी हालत खराब

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मालवा-निमाड़ की जिन 7 सीटों पर उपचुनाव होना हैं, वहां भी स्थितियां भाजपा और श्रीमंत की नींद उड़ाने वाली है। यहां भी 4 सीटों पर श्रीमंत और उनके समर्थकों को लेकर मतदाताओं में नाराजगी और भाजपा नेताओं में मुखालफत के स्वर दिखाई दे रहे हैं। जिससे यहां भी भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।

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यह भी सुझाव

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उपचुनाव वाली सीटों के मतदाताओं में उन पूर्व विधायकों के प्रति भारी नाराजगी है, जो श्रीमंत के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और जिनकी वजह से अच्छी भली चलती हुई कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिरी और प्रदेश में अकारण उपचुनाव के हालात बने। सर्वे में यह सुझाव भी दिया गया है कि जहां-जहां श्रीमंत समर्थकों का बहुत ज्यादा विरोध है और पार्टी को हार साफ़ नजर आ रही है, वहां-वहां श्रीमंत समर्थकों के टिकट काटकर भाजपा के जिताऊ एवं प्रभावशाली नेताओं को बतौर उम्मीदवार उपचुनाव के मैदान में उतारा जाए।

सदस्यता अभियान भी बेअसर

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार में भाजपा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल करने का जो सदस्यता अभियान चलाया था, उसका भी कहीं कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि कांग्रेस का कहना है कि जिन लोगों ने श्रीमंत को समर्थन और ताकत देने के लिए भाजपा की सदस्यता ली है, वे कांग्रेस में कभी थे ही नहीं और न हीं वे कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए थे। ग्वालियर के कद्दावर कांग्रेस नेता चंद्रमोहन नागौरी कहते हैं कि, कांग्रेस के पाला बदलने वाले ज्यादातर कार्यकर्ता और पदाधिकार ऐसे हैं, जिनका अपने ही क्षेत्र में कोई जनाधार नहीं है और जिनकी राजनीति महल की कृपा पर जिंदा रही है।

महाराज गद्दार हैं, नारा बना मुसीबत

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उपचुनाव वाली सीटों पर भाजपा और श्रीमंत को महाराज गद्दार है-वाले नारे से सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। यह नारा स्थानीय मतदाताओं की जुबान पर चढ़कर बोल रहा है। मतदाताओं का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है।