नई दिल्ली : 1984 के सिख विरोधी दंगे के एक मामले में सोमवार को दिल्ली हाइकोर्ट अपना फ़ैसला सुनाएगा. इस केस में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार आरोपी हैं ,जिन्हें निचली अदालत ने बरी कर दिया है. पीड़ित पक्ष के अलावा सिख समुदाय के लाखों लोगों को इस फैसले के बेसब्री से इंतज़ार है. बीते कई सालों से 1984 के सिख दंगों से जुड़़ी फाइलों और दस्तावेजों के बीच उलझे आत्मा सिंह लुबाना के लिये सोमवार का दिन बेहद अहम हैं. लुबाना 1984 दंगों के मामलों में लंबे समय से पैरवी कर रहे हैं और हर रोज कोर्ट जाते हैं. दंगे का ये मामला 5 लोगों की मौत से जुड़ा है. जब दिल्ली कैंट इलाके के राजपुर में1 नवंबर 1984 को हज़ारों लोगों की भीड़ ने दिल्ली केंट इलाके में सिख समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था. इस हमले में एक परिवार के तीन भाइयों नरेंद्र पाल सिंह ,कुलदीप और राघवेंद्र सिंह की हत्या कर दी गयी. वहीं एक दूसरे परिवार के गुरप्रीत और उनके बेटे केहर सिंह की मौत हो गयी थी।
दिल्ली पुलिस ने 1994 में ये केस बंद कर दिया था, लेकिन नानावटी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 2005 में इस मामले में केस दर्ज किया गया. मई 2013 में निचली अदालत ने इस मामलें में पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर,रिटायर्ड नौसेना के अधिकारी कैप्टन भागमल,गिरधारी लाल और अन्य 2 लोगों को दोषी करार दिया, लेकिन कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष और दोषी हाइकोर्ट गए. इसी साल 29 अक्टूबर को दिल्ली हाइकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. जानकारों का दावा है कि सज्जन कुमार के खिलाफ कईऐसे कई सबूत हैं जिन्हें निचली अदालत ने नज़रअंदाज़ किया. सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 सिख दंगों से जुड़े कुल 5 मामले चल रहे हैं,इनकी जांच 2014 में बनाई गई एसआईटी कर रही है।