जबलपुर ।शिवराज सरकार के समय जनसम्पर्क संचालनालय द्वारा फ़र्जी वेबसाईटस के नाम से जारी लाखों रूपए के विज्ञापन काफ़ी विवादित रहे । यहाँ तक कि मामला उजागर होने के बाद शिवराज सरकार ने जनसम्पर्क संचालनालय से वेबसाईट को विज्ञापन देना ही बंद कर दिया जो वर्तमान समय तक प्रभावी है । कमलनाथ सरकार पर दबाव डालकर पुनः वेबसाइट विज्ञापन बहाली के लिऐ पिछ्ले दिनों पत्रकार संगठनो के महा गठबंधन के बैनर तले स्थानीय रविन्द्र भवन मेँ 52 जिलों से 21 संगठनों के पत्रकारों द्वारा विरोध प्रदर्शन का दावा करने वाले नेताजी ने विधि विधायी मंत्री से वेबसाईट पर विज्ञापन जारी करने संबंधी मांगे रखी थीं और कल माननीय उच्च न्यायालय ने उन्ही नेताजी के पुत्रो सहित 22लोगों को पार्टी बनाकर दायर मामले मेँ आदेश पारित किये हैँ ।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीपति श्री विशाल धागट जी ने मध्यप्रदेश में जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत होने वाले फर्जी वेबसाइट घोटाले के मामले में आज प्रमुख सचिव जनसंपर्क एवं आयुक्त जनसंपर्क को कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए।

जनसंपर्क विभाग मध्य प्रदेश कई वर्षों से फर्जी वेबसाइट घोटाले के मामले में चर्चित है। विगत 2 वर्षों से फर्जी वेबसाइट को फायदा पहुंचाने के लिए आंख बंद करके विज्ञापन बांटने के खिलाफ 2017 में ‘ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन” (आइसना ) के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद मिश्रा में 07 फरवरी 2017 ज्ञापन सौंपकर शिकायत की थी कि फर्जी तरीके से गूगल एनालिसिस रिपोर्ट तैयार कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर विज्ञापन प्राप्त करने हेतु कई वेबसाइट संचालक फर्जी तरीके से विज्ञापन प्राप्त कर रहे थे।यही शिकायत मध्यप्रदेश के उक्त पत्रकार संगठन के द्वारा आयुक्त जनसंपर्क को शिकायत प्रेषित की थी शिकायत होने के पश्चात करीब 2 वर्ष बीत गये। परंतु जनसंपर्क विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि उन लोगों को संरक्षण देकर फर्जी वेबसाइट में दिए गए विज्ञापन के भुगतान भी समय-समय पर कर दिया गया।

फर्जी वेबसाइट घोटाले की शिकायत संगठन के अध्यक्ष विनोद मिश्रा ने भोपाल सायबर सेल के पुलिस अधीक्षक और भोपाल आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के पुलिस अधीक्षक को की थी, उक्त शिकायत में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ आज दिनांक तक शिकायतकर्ता के किसी भी प्रकार की कोई बयान दर्ज नहीं किये ना इस प्रकरण में किसी प्रकार की जांच आरंभ की। वहीं उक्त प्रकरण में साइबर थाना भोपाल द्वारा जांच की गई जिस पर जनसंपर्क विभाग द्वारा फर्जी वेबसाइट संचालकों को बचाने का भरपूर प्रयास किया, साइबर थाने ने अपनी जांच में पाया कि उक्त प्रकरण में 420 ,467 ,468 एवं 120 बी के तहत अपराध किए गए हैं, वहीं अभियोजन पक्ष ने इस पर अपनी राय व्यक्त की है कि जनसंपर्क विभाग की भूमिका संदिग्ध है इसलिए विभाग से संबंधित अधिकारियो और कर्मचारियों व वेबसाइट संचालकों की संदिग्ध भूमिका है सांठगांठ है। इस सांठगांठ का सरकार को प्रतिमाह लाखों करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।

उक्त प्रकरण में जांच में समय लगने और जनसंपर्क विभाग द्वारा जांच में सहयोग नहीं करने के कारण पत्रकार संगठन को माननीय हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा।इस मामले में ‘ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन”(आइसना) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद मिश्रा ने फर्जी वेबसाइट के मामले में एक याचिका प्रस्तुत की जिस पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीपति श्री विशाल धागट जी ने आज दिनांक 27 अगस्त 2019 को अपने आदेश में प्रमुख सचिव जनसंपर्क एवं आयुक्त जनसंपर्क को शिकायत की जांच कर निराकरण करने के निर्देश दिए है।

फर्जी वेबसाइट घोटाले में याचिकाकर्ता विनोद मिश्रा के एडवोकेट श्री मानसमणि वर्मा जी ने माननीय न्यायालय से उक्त प्रकरण में अविलंब जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने को जोरदार तरीके से प्रस्तुत किया। याचिका में फर्जी वेबसाइट संचालकों में कथित अवधेश भार्गव की मुख्य भूमिका है

कथित अवधेश भार्गव की मुख्य भूमिका है इनके साथ ही अन्य आरोपी उनके पुत्र अवनीश कुमार भार्गव, जितेंद्र भार्गव, सहित  संजय रायजादा, प्रदीप तिवारी, निशांत तिवारी, प्रशांत तिवारी, के. शर्मा, राकेश शर्मा, के .के पियासी, रवि चटर्जी, सुबोध, कार्तिक, सतीश सिंह, जय कुमार शर्मा, वेब डेवलपर नर्सिंग सेगर याचिका में आरोपी शामिल है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मानस वर्मा 92294481044, विपुल वर्धन जैन 9424323429 ने पक्ष रखा।

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