नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों ( Judgment ) की सत्यापित प्रति जनता को देने का फैसला किया है। ये प्रति वे लोग भी ले सकेंगे जो केस में पक्षकार नहीं थे। फैसले की प्रति उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होगी जिनके केस फंसे हुए है। क्योंकि सरकारी अथॉरिटी अखबार में छपी खबरों और वेबसाइट की प्रति पर यकीन नहीं करतीं। उन्हें कोर्ट की मुहर वाली सत्यापित प्रति ही चाहिए।
आम लोगों को फैसले की प्रति देने का ये प्रस्ताव मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का है। जस्टिस गोगोई इसके लिए सुप्रीम कोर्ट रुल्स, 2013 के आदेश 5 रुल 2 और सबरुल 37 में संशोधन करेंगे जिसके बाद गैर पक्षों को सत्यापित कापी देने की व्यवस्था हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार मौजूदा रुल में फीस वृद्धि कर अन्य सभी औचारिकताओं को समाप्त कर दिया जाएगा। संशोधन प्रक्रिया के बारे में उप रजिस्ट्रार राकेश शर्मा ने बताया कि रुल्स में संशोधन के लिए फुल कोर्ट की बैठक अनिवार्य है। इसमें सर्वोच्च अदालत के सभी जज बैठेंगे और नियमों में संशोधन का प्रस्ताव पारित करेंगे।
प्रक्रिया
मौजूदा रुल के अनुसार गैर पक्ष को फैसले की सत्यापित प्रति लेने के लिए निर्णय किए केस में वकील के जरिए सबरूल 37 के तहत एप्लिकेशन लगानी पड़ती है। इस अर्जी पर चैंबर जज यानी एकल पीठ सुनवाई करती है, यदि वह फैसले की कापी की जरूरत सिद्ध करने में सफल रहते है तो उन्हें सत्यापित प्रति देने का आदेश दे दिया जाता है। अन्यथा अर्जी खारिज कर दी जाती है।
प्रस्ताव
सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव ये है कि फैसले कि प्रति लेने की फीस बढ़ा दी जाए और इसे सबके लिए खोल दिया जाए। क्योंकि वकील के जरिए कापी के लिए कोर्ट आने में ठीक ठाक खर्च तो होता ही है। ऐसे में व्यक्ति प्रति के लिए सीधे खुद खर्च करने में गुरेज नहीं करेगा। वहीं इससे कोर्ट को भी राजस्व की प्राप्ति होगी।
इन लोगों को फायदा होगा
प्रशासन से संबंधित मामले जैसे सेवा, प्रदूषण, भूमि, पुलिस, शिक्षा संबंधी विवादों में फंसे लोग सत्यापित प्रति दिखाकर अपना काम करवा सकते हैं। इससे मुकदमों की संख्या भी घटेगी और अदालतों का काम भी आसान होगा।
दूसरा क्रांतिकारी कदम
वादियों को हिंदी में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की प्रति और प्रमुख निर्णयों की समरी मुहैया कराने के आदेश के बाद फैसले की सत्यापित प्रति गैर पक्षों को देने का मुख्य न्यायाधीश गोगोई का यह दूसरा क्रांतिकारी कदम है।