सैयद ख़ालिद कैस की क़लम से

भोपाल – मध्यप्रदेश की सत्ता से बेदख़ल हुए शिवराज सिंह चौहान इन दिनों काफ़ी सक्रिय हो गए हैँ उनकी सक्रियता से कॉंग्रेस से ज़्यादा भाजपा में गर्मी का माहौल है । शिवराज सिंह के लिए कड़वा अनुभव है । भाजपा की 15 साल की सत्ता और 12 साल की हुकूमत का नशा उतरने में ज़रा समय लगेगा और उसी समय का लाभ लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज इन दिनों आराम के स्थान पर भ्रमण में समय गुजार रहे हैँ । उनकी सक्रियता से साफ ज़ाहिर है कि वह कमलनाथ सरकार में विपक्ष के नेता बनकर कॉंग्रेस सरकार से दो दो हाथ करने के मूड में हैँ । पिछले दिनों दिए उनके बयान ” टाइगर अभी जिंदा है” यही इशारा कर रहा है ।

शिवराज सिंह ने दी कॉंग्रेस सरकार को खुली चुनौती 

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बुधनी से विधायक शिवराज सिंह चौहान ने कई गावों में पहुंचकर मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। कच्चे रास्ते की वजह से वह बाइक के जरिए सुरई गांव पहुंचे। अपने भाषण में उन्होंने कांग्रेस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी योजनाओं को जारी रखें वरना मैं ईंट से ईंट बजा दूंगा।

ग्रामीणों से शिवराज ने कहा, ‘चिंता करने की कोई बात नहीं है। टाइगर अभी जिंदा है। पहले मैं कलम से काम करता था और अब मैं लड़कर काम करवाउंगा। जो कार्य स्वीकृत हैं उन्हें पूरा करवाया जाएगा। मेरी जितनी भी योजनाएं हैं उसके लिए कांग्रेस के मुख्यमंत्री से बात हुई है। किसानों की कर्जमाफी पर ढुलमुल रवैया जारी है। कभी कहते हैं कि दिवालियों का माफ करेंगे तो कभी कहते हैं 31 मार्च तक का करेंगे। मैंने कहा है कि हम अभी तक का पूरा कर्ज माफ करवाएंगे।’

प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि यूरिया संकट पर हम न तो कोई राजनीतिक आरोप लगाना चाहते हैं और ही कोई निराधार बात करना चाहते हैं। भाजपा अगर इसके लिए हमें जिम्मेदार बताएगी तो हम असलियत बताएंगे। कमलनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस साल  ज्यादा यूरिया की सप्लाई की थी।

17 दिसंबर को कांग्रेस सरकार का गठन हुआ है। इस महीने यूरिया की मांग और उसका आवंटन 3 लाख 70 हजार मीट्रिक टन का था। वहीं आपूर्ति 1 लाख 65 हजार मीट्रिक टन की हुई। अक्तूबर में भी एक लाख मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति कम हुई और नवंबर में चुनाव को मद्देनजर आपूर्ति को बढ़ा दिया गया। दिसंबर में फिर कम आपूर्ति की गई जिसकी वजह से स्थिति बिगड़ गई है। मगर भाजपा नेता सच को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

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