मध्यप्रदेश में ध्वस्त कानून व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?
मुख्यमंन्त्री शिवराज या गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा

भोपाल। कमलनाथ सरकार को गिराने के बाद पुनः सत्ता में काबिज हुए शिवराज सिंह चौहान इस दफा एक अकुशल योद्धा साबित हो रहे है।कोरोना महाकाल के फैल हुई स्वास्थ्य व्यवस्था के बाद प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था ने यह साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश में सत्ता के लिए जारी नूराकुश्ती का ही परिणाम है कि पूरे प्रदेश में त्राहि त्राहि मची है।
हाल ही में भोपाल निवासी दो सगी बहनों के रायसेन के जंगल मे बुरी तरह घायल अवस्था मे मिलने की सूचना के बाद जो कहानी सामने आई वह काफी ह्रदय विदारक थी, एक अमुक धर्म ही इन बहनों को प्रेम पाश में फसाने वाले लड़कों द्वारा किस प्रकार कानून हाथ मे लिया वह किसी से छिपा नही। आरोपी फरार है और घायल बहनें रायसेन में उपचाररत हैं। इस घटना ने जहां एक आतंकवादी विचार धारा के नोजवानों को बेनक़ाब किया वही लड़कियों को मिली आज़ादी के बेजा इस्तेमाल के दुष्परिणाम को उजागर किया है। साथ ही इस घटना ने देश भर में चल रही एक गन्दी मानसिकता के नपुंसको के षड्यंत्र को भी उजागर किया है जो नफरत के बीज बोकर राजनीति की बिसात पर साम्प्रदायिकता का खेल खेलते हैं।इस मामले में शिवराज सिंह चौहान और उनकी बटालियन की खामोशी इस अपराध को सम्भवतः मोन स्वीकृति देती नज़र आ रही है।जबकि यदि परिस्तिथियाँ इसके विपरीत होती तो मामा एन्ड कम्पनी आरोपियों के घरों को ध्वस्त करा देती,आरोपियों पर रासुका लगवा देती ओर पूरे समाज को कोसने वाले तोते इसका राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर धर्म विशेष पर हमला करार दे देते।मगर ऐसा इसलिए नही हुआ क्योंकि पीड़िताएं  ?
खैर अभी हम इस मामले की जड़ ही तलाश रहे थे कि देशभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले समाज के कुछ कुपुत्रों ने ऐसा जघन्य कांड कर डाला जिसने यह साबित कर दिया कि मध्यप्रदेश में कानून नाम की कोई चीज़ बची ही नही है है।जी हां में बात कर रहा हूँ देवास जिले के नेमावर में आदिवासी समाज के 5 सदस्यों की निर्मम हत्याकांड की।जिसके आरोपी विशेष संगठन के सदस्य और सत्ताधारी नेताओ के चहिते निकले हैं और सामने यह आरहा है कि एक आदिवासी परिवार के 5 लोग 47 दिनों से गायब थे ओर पुलिस ने गम्भीरतापूर्वक कार्य नही किया।यह बात अलग है कि अब तक इस मामले में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है।मगर वह विचारधारा अभी गिरफ्त से दूर है जो आज़ादी के 70 साल बाद भी नफ़रत, ऊंच नीच ,भेदभाव और जात पात के नाम पर दलितों,गरीबो,मजबूरों ओर महिलाओं को मारते है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंन्त्री ने चौतरफ़ा हमलों से बचने के लिए यह कह ज़रूर दिया है कि किसी भी कीमत पर नहीं बख्शे जाएंगे अपराधी,मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाएगा. अपराधियों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा. मामले में अपराधियों को जल्द से जल्द सजा मिलेगी।

मालूम हो कि पिछले लॉक डाउन से इस बार तक मुख्यमंन्त्री शिवराज सिंह चौहान के फरमान से दर्जनों मर्द औरतों पर रासुका लगाई गई और उनके आशियानों को ध्वस्त किया गया।मगर दुर्भाग्य से वह सब आरोपी एक विशेष समाज धर्म और जाति के थे।मगर अब जो आरोपी सामने आरहे हैं वह सब सत्ताधारी दल,संगठन विशेष के हैं चाहे वह युगल बहनों के मामले के आरोपी हो या देवास के नेमावर के किसी के घर पर न तो बुल्डोजर चला और न ही किसी पर रासुका लगी। यह पक्षपाती रवैया किसी प्रशासक यह मुखिया के व्यवहार में होना हिटलरशाही ओर गुंडागर्दी का प्रमाण है।

क्या है मामला -देखिए एक नज़र

मध्य प्रदेश के देवास जिले में नेमावर हत्याकांड :-

मध्य प्रदेश के देवास जिले के नेमावर में एक आदिवासी परिवार के 5 लोगों के कंकाल मिले थे. पुलिस ने मामले में खुलासा किया था कि मुख्य आरोपी गांव का ही रहने वाला सुरेंद्र केसरिया है. यह एक हिंदू संगठन का पदाधिकारी भी है। सुरेंद्र ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। पहले सुरेंद्र और उसके दोस्तों ने 5 लोगों की हत्या कर दी और इसके बाद सभी शवों को नमक और यूरिया डालकर दबा दिया गया था।

पुलिस को दे रहा था चकमा

इतना ही नहीं आरोपी युवक मृतका रूपाली के मोबाइल से सोशल मीडिया अकाउंट पर परिवार के घुमने फिरने का अपडेट डाल कर पुलिस को गुमराह भी कर रहा था. लेकिन हर बार एक ही फोटो पोस्ट करने पर पुलिस को शक हुआ. इसके बाद पूरी घटना का खुलासा हुआ।

7 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में

एक आदिवासी परिवार के 5 लोग 47 दिनों से गायब थे. मामले में पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कंकाल फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिए हैं. पुलिस का कहना है कि इस हत्याकांड के पीछे प्रेम प्रसंग की बात सामने आ रही है. खेत में काम करने वाले एक मजदूर ने ये जानकारी दी है. जानकारी के अनुसार आरोपी सुरेंद्र की शादी कहीं तय हो गई थी. उसका रुपाली के साथ प्रेम संबंध था. रूपाली, सुरेंद्र पर शादी करने का दबाव बना रही थी. ऐसे में सुरेंद्र ने रास्ता साफ करने के लिए पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया।

ऐसे हुआ खुलासा

नेमावर का ये परिवार पांच सदस्य 13 मई से लापता था. 17 मई को जब बड़ा बेट भारती कास्ते भाई के साथ वापस गांव लौटी तो घर पर कोई नहीं था. इस पर उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. इस पर पूछताछ के दौरान पुलिस को खेत में काम करने वाले एक मजदूर ने हुकुमसिंह चौहान के खेत में दफन शवों के बारे में बताया. इसके बाद पुलिस ने हुकुमसिंह के पोते सुरेंद्र सिंह और उसके छोटे भाई को भी हिरासत में ले लिया। @सैयद ख़ालिद क़ैस -8770806210