शिवराज सरकार के दावे फेल, महिला अपराध में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर
सैयद खालिद कैस
भोपाल
चुनावी साल में मध्य प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी महिला उत्थान के नाम पर आए दिन नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं। लाडली बहना योजना के नाम पर प्रदेश के महिला वोटर को अपने पक्ष में करने के प्रयास में प्रदेश में महंगाई को चरम सीमा तक पहुंचाने वाले मामा शिवराज का महिला हितेषी होने का पाखंड उजागर हो गया है।एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध अपराध में मध्य प्रदेश ने तेज़ी से उछाल मार ली है और वह अब महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर आ गया है। यह सरकार की नाकामी का प्रमाण है या मुखिया की झूठ का पुलिंदा, जो भी हो लेकिन प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराध ने यह साबित कर दिया है कि मध्य प्रदेश महिलाओं के लिए असुरक्षित प्रदेश बन गया है, जहां महिलाओं की सुरक्षा में कानून व्यवस्था बिलकुल फेल साबित हो रही है। मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं के साथ दुराचार की घटना पर सारा राष्ट्र चिल्ला चोट कर रहा है लेकिन मध्य प्रदेश में प्रतिदिन ऐसी घटनाओं पर सरकार की खामोशी उसके निकम्मेपन को उजागर करती है।
गौर तलब हो कि एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार महिला अपराध में महाराष्ट्र अव्वल है तो म.प्र. दूसरे नंबर पर आ गया है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2021 में 18 वर्ष से अधिक आयु की 375,058 महिलाएं और 90,113 लड़कियां लापता हुईं। इनमें सबसे अधिक 56,498 महिलाएं महाराष्ट्र से लापता हुईं। इसके बाद मध्यप्रदेश से (55,704), पश्चिम बंगाल (50,998), और ओडिशा (29,582) हैं। गृह मंत्रालय ने एनसीआरबी की रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया’ के हवाले से बताया कि वर्ष 2020 में देशभर में 320,393 महिलाएं और 71,204 लड़कियां लापता हुई थीं, जबकि वर्ष 2019 में 318,448 महिलाएं और 73,509 लड़कियां लापता हुईं।
मध्यप्रदेश में बच्चियों, महिलाओं से अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 से फरवरी 2022 तक प्रदेश में 10 हजार 66 बेटियों का अपहरण हुआ है। बेटियों के खिलाफ अपराध में प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर प्रथम स्थान पर है, दूसरे स्थान पर भोपाल है। वहीं मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार में प्रदेश शीर्ष स्थान पर है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में सबसे अधिक महिला, बच्चे अपराध के शिकार हो रहे हैं। 8 बच्चियों सहित रोज 17 महिलाएं रेप की शिकार हो रही हैं। चाइल्ड क्राइम में भी एमपी टॉप पर है। हर तीन घंटे में एक मासूम के साथ रेप हो रहा है। देश में आदिवासियों पर भी सबसे अधिक क्राइम एमपी में ही दर्ज हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले मप्र में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे।
मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी पिछली बार की तरह बढ़े हैं। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं।
इस सब के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार के महिला हितेषी होने के दावे कोरे कागज़ से अधिक कुछ नहीं है। शिवराज मामा की लाड़ली लक्ष्मी हो या लाड़ली बहना योजना केवल चुनावी स्टंट है वास्तविकता की धरा पर उनके सभी वायदे सभी घोषणाएं धाराशाही हैं। प्रदेश की जनता को यह सच जानना चाहिए कि सरकार की घोषणा और हकीकत के बीच की सच्चाई क्या है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार आए आंकड़ों पर केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रादेशिक सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का इस पर कहना है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच और कानून व्यवस्था बनाए रखना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। केंद्र सरकार ने भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के लिए कई कठोर कानून बनाए हैं। इनमें आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामले में मौत की सजा जैसे दंडात्मक प्रावधान भी हैं। उस सबके बावजूद यदि महिला अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई तो उसके लिए प्रादेशिक सरकारें जिम्मेदार हैं। इस आधार पर मध्य प्रदेश में महिला विरोधी अपराधों के लिए शिवराज सरकार की जिम्मेदारी से इंकार नहीं किया जा सकता है।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार महिला अपराधों के बढ़ते ग्राफ के लिए प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था और निकम्मा प्रशासनिक तंत्र जिम्मेदार है। सरकार के तमाम दावे वास्तविकता की धरा पर कोरे साबित होते हैं ऐसे में आगामी विधानसभा चुनावों में शिवराज सरकार महिलाओं के लिए लाख लुभावने वादे करें लेकिन हकीकत में सरकार हर मोर्चे पर फेल साबित हो रही है।