अनुपम कृति है “साहित्य शिखा” : डॉ विनय पाठक
विश्व साहित्य सद्भाव परिषद मुंबई द्वारा प्रकाशित एवं प्रेस क्लब का वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय संगठन महासचिव शशि दीप द्वारा संपादित “साहित्य शिखा” एक अनुपम कृति है । इस कृति में देश के जाने-माने भाषा विद् ,समीक्षक एवं छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डॉ विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग ने लिखा है कि “देश-विदेश के 60 प्रतिनिधि साहित्यकारों की सृजन धर्मिता का यह साझा संग्रह “ साहित्य शिखा” के रूप में शशि दीप के संपादन में आपके समक्ष है । स्वतंत्रता दिवस के पुनीत पावन प्रसंग पर इसे राष्ट्रीय अस्मिता के रूप में भारतीय संस्कृति के उदारता को उपस्थित करते हुए मानवतावाद की प्रतिष्ठा करना इस संग्रह का गंतव्य मंतव्य होगा, ऐसा मेरा अभिमत है। प्रस्तुत कृति की संकल्पना के समर्थन में प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संस्थापक अध्यक्ष श्री सैयद खालिद कैस का अवदान जहां अविस्मर्णीय है ,वहीं इसे कारगर सिद्ध करने के संयोजन में श्रीमती शशिदीप की प्रतिभा, लगन, समर्पण और रचनात्मकता का योगदान महत्वपूर्ण है । इस जुगलबंदी से सत् साहित्य की परंपरा प्रोन्नत हो । “
प्रेस क्लब आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संस्थापक अध्यक्ष सैयद खालिद कैस ने लिखा है कि “साहित्यकार श्रीमती शशिदीप के कुशल नेतृत्व में संगठन द्वारा इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश भर के साहित्यकारों की रचनाओं का साझा संकलन “साहित्य शिखा “ साहित्यकारों की काव्यांजलि के प्रकाशन का बीड़ा उठाया । जिसमें देशभर के उच्च स्तरीय साहित्यकारों लेखकों की रचनाओं का समायोजन किया गया है । संगठन की इस अभिनव सृजन के लिए संगठन की राष्ट्रीय संगठन महासचिव श्रीमती शशि दीप बधाई की पात्र हैं । मैं संगठन के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में संगठन की इस अभिनव पहल के लिए श्रीमती शशि दीप मुंबई महाराष्ट्र सहित देशभर के साहित्यकारों की रचनाओं का साझा संकलन” साहित्य शिखा” साहित्यकारों की काव्यांजलि में सामाजिक रचनाओं के रचनाकारों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए मंगल कामनाओं के साथ उनको बधाई देता हूँ ।
वहीं इस काव्य कृति के संपादक श्रीमती शशिदीप ने लिखा है कि “ जिस प्रकार बेला, गुलाब, जूही, चंपा ,चमेली, गेंदा, गुड़हल, मोगरा इत्यादि नाना प्रकार के फूलों को यदि एक धागे में पिरो दिया जाए, तो एक अद्भुत माला तैयार हो जाती है ,जिसे दिव्य शक्तियों पर चढ़ाया जाता है, और माला की महिमा अनंत हो जाती है ,उसी प्रकार देश-विदेश के उच्च कोटि के साहित्य साधकों द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखा उत्कृष्ट प्रभावशाली सृजनों को एक साथ संकलित कर हमारे द्वारा एक साहित्यिक माला तैयार की गई है, ताकि इसमें समाहित काव्य पुष्पों की खुशबू सब तरफ फैले व
दुनिया के कोने कोने में मौजूद स्थापित साहित्यकारों की रचनाओं में निहित काव्य सुधा का रसास्वादन एक ही प्रवाह में संभव हो सके ।“
“ साहित्य शिखा” काव्य संकलन के प्रकाशन के लिए श्रीमती शशिदीप को मैं हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं ।
डॉ राघवेंद्र कुमार दुबे बिलासपुर छत्तीसगढ़