भोपाल । पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व और उसके बाद कॉंग्रेस को कोसने वाले और मोदी के गुणगान कर अच्छे दिनों कि वकालत करने के बाद काले धन की वापसी का ढ़िंढ़ोरा पीटने वाले व्यवसायी रामदेव को चार साल से अधिक समय मोदी सरकार में मलाई खाने के बाद अब अपनी गलती का अहसास होने लगा है या यह कहें कि मोदी से पिंड छुड़ाने के लिये रामदेव ने अपने कारोबार को सुरक्षित रखने की गरज़ से कुछ फ़ैसले के डाले हैं । जगज़ाहिर है कि रामलीला मैदान से महिला भेष धारण कर जान बचाकर भागने वाला रामदेव मोदी सरकार में बहुत बड़ा कारोबारी , आसामी बन गया है । सारे बाज़ार में अपने पतांजलि उत्पादों का कब्ज़ा जमाने वाला रामदेव अब अपने आपको मोदी की हिमायत से दूर कर कुछ और ही खिचड़ी पका रहा है ।

गौरतलब हो कि आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर  रामदेव ने बुधवार को बड़ा बयान दिया । रामदेव ने कहा कि मैं कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं जो किसी का प्रचार करूं, मेरी प्राथमिकता भारत है और मेरा काम मेरा धर्म है ।

उन्होंने कहा कि मेरा ध्यान मेरे काम पर है और मैं किसी भी पार्टी के लिए 2019 के चुनावों में प्रचार नहीं करुंगा । गौरतलब है कि हाल ही में रामदेव ने कहा था कि देशभर में महंगाई पर अगर जल्दी ही काबू नहीं किया गया, तो अगले आम चुनाव में यह मोदी सरकार के लिए महंगा साबित होगा।

रामदेव ने एक साक्षात्कार में भी कहा था कि 2014 के चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में सक्रियता से प्रचार किया था, लेकिन 2019 में वह बीजेपी के पक्ष में प्रचार नहीं करेंगे।

उन्होंने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा था, ‘कई लोग मोदी सरकार की नीतियों की सराहना करते हैं, लेकिन अब उसमें सुधार की आवश्यकता है, महंगाई बहुत बड़ा मुद्दा है और मोदीजी को शीघ्र सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। ऐसा करने में विफल रहने पर महंगाई की आग मोदी सरकार को बहुत महंगी पड़ेगी।’ उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री को पेट्रोल और डीजल की कीमत समेत महंगाई को कम करने के लिए कदम उठाना शुरू करना होगा।