पुलिस के संरक्षण के हो रहे हैं शासकीय भूमि पर कब्जे- कलेक्टर की कार्यवाही का भी नहीं हो रहा है असर – खजराना के ताज नगर का मामला सुर्खियों के

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खजराना के भू माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वो शासकीय भूमि पर कब्जा करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं । इस सारे मामले में खजराना थाना प्रभारी उमराव सिंह की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। मामला खजराना के ताज नगर से संबंधित है ।

खजराना की यह कॉलोनी ताज नगर का कुछ हिस्सा सीलिंग से प्रभावित है जिसे शासन ने अपने कब्जे में ले लिया था और दिनांक 6/10/21 को तहसीलदार न्यायलय जूनी इंदौर ने पत्र क्रमांक 1058/रीडर/2021 और पत्र क्रमांक 1059/रीडर/2021 की माध्यम से खजराना की भूमि सर्व no. 442/1 और 444 को शासकीय भूमि बताते हुए इस इसकी खरीदी बेची पर रोक लगाने के आदेश जारी करते हुए जमीन बेचने वाले भूमाफिया रफीक पटेल पिता असगर उर्फ़ ग्राम पटेल और मंसूर पटेल पर दस हजार का अर्थ दंड भी लगाया था । जमीन के शासकीय होने संबंधी बोर्ड भी भूमि पर लगाया गया था ।

लेकिन भूमाफिया रफीक पटेल के हौसले इतने बुलंद हैं कि उसने उक्त जमीन से सरकारी बोर्ड उखाड़ फैंका और शासकीय भूमि पर प्लॉट बेचना शुरू कर निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया । इस मामले में जफर खान उर्फ जफर सुपारी और हाजी युनुस जैसे असामाजिक तत्व भी शामिल हैं। विडंबना तो यह है कि इस मामले में प्लॉट पर अवेध कब्जे की शिकायत रहवासियों द्वारा खजराना थाना पर भी की गई लेकिन भूमाफियाओं से थाना प्रभारी से सेटिंग के चलते कोई सुनवाई नहीं की गई । जब इस बात की जानकारी संबंधित पटवारी/तहसीलदार और SDM को मिली तो उन्होंने मौके पर जाकर काम रुकवाया लेकिन उसके बावजूद भूमाफिया थाने की सेटिंग से रात में निर्माण कार्य करवा कर SDM और तहसील न्यायलय के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए शासकीय भूमि पर कब्जा कर रहे हैं । इतना ही नहीं शिकायत करने वालों पर गुंडों और राजनैतिक दबाव डाल कर शिकायत वापस लेने का भी दबाव बनाया जा रहा है । इस मामले के खजराना थाना प्रभारी सहित कुछ पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध हैं जो भूमाफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं।