सोशल मीडिया पर मज़ाक़ उड़ाए जाने के बाद महिलाओं के ऑर्गेज़्म (चरमोत्कर्ष) की सटीक जानकारी के लिए बनाए गए एल्गोरिदम का एक कंपनी ने बचाव किया है.साइप्रस स्थित रेलिडा लिमिटेड ने कहा है कि यह कंप्यूटर प्रोग्रामिंग महिलाओं के चरमोत्कर्ष प्राप्ति के कुल मामलों की 86 फ़ीसदी तक ‘पुष्टि’ कर सकती है.

इससे जुड़ी प्रेज़ेंटेशन की स्लाइड्स जब ट्विटर पर शेयर की गईं तो वो हज़ारों बार रिट्वीट हुईं.

कंपनी का कहना था कि इसके ज़रिए वो सेक्स टेक प्रोडक्ट डेवेलप करने वालों की मदद करना चाहते थे और उनके काम को किसी ओर चीज़ से जोड़ दिया गया.

इस प्रेज़ेंटेशन को ट्विटर पर लिलो नामक एक सेक्स टॉय कंपनी के ब्रांड मैनेजर स्टू नुगेंट ने शेयर किया था जिनको कंपनी ने अपनी प्रेज़ेंटेशन भेजी थी. इस प्रेज़ेंटेशन से जुड़ी स्लाइड्स को देखा जिसमें लिखा है कि ‘यह सुनिश्चित करने का कोई विश्वसनीय तरीक़ा नहीं है कि महिलों को ऑर्गेज़्म की प्राप्ति होती है.’ इस प्रेज़ेंटेशन में ऐसे भी आंकड़े हैं कि इतनी फ़ीसद महिलाएं चरमोत्कर्ष का सिर्फ़ नाटक करती हैं.

कंपनी की आई सफ़ाई
रेलिडा ने कहा है कि उसकी योजना पर सिर्फ़ अभी काम चल रहा है और उसकी प्रेज़ेंटेशन प्रकाशन के लिए नहीं थी.

एल्गोरिदम पर शुरुआती शोध हृद्य गति में तब्दीली पर था.

कंपनी ने कहा है, “ऑर्गेज़्म की हृद्य गति के आधार पर पहचान की जा सकती है क्योंकि जब यह होने वाला होता है तो इसमें कुछ ख़ास बदलाव आते हैं.” इसमें कहा गया है कि एल्गोरिदम अभी समाप्त नहीं हुआ है और इसे एक महिला ने ‘दूसरी महिलाओं की भलाई के लिए’ बनाया गया है. कंपनी ने कहा है कि वो इस कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को सीधा किसी महिला या पुरुष को बेचने नहीं जा रहे हैं. “असल में यह बहुत संवेदनशील विषय है और ऐसी जानकारी महिलाओं पर अतिरिक्त दबाव बना सकती है.”

इसमें नुगेंट के ट्वीट को ‘अनैतिक’ भी बताया गया है. ‘ऑर्गैज़म सेक्स टॉय का पैमाना नहीं
नुगेंट का कहना है कि उन्होंने लिंक्डइन पर स्लाइड्स मिलने के बाद इसे वापस ले लिया था. उन्होंने कहा, “खुलकर कहूं तो हमारे पास पहले से ही यह तय करने के लिए एक बहुत मज़बूत और विश्वसनीय प्रणाली है कि हमारे उत्पाद कितने आनंद की प्राप्ति करा पाते हैं. यह उन लोगों से पता चलता है जो उन्हें इस्तेमाल करते हैं.” “किसी भी मामले में सिर्फ़ चरमोत्कर्ष ही किसी सेक्स टॉय के आनंद को मापने का पैमाना नहीं हो सकता है.” वहीं, रेलिडा कंपनी का कहना है कि उनका उत्पाद ‘विज्ञान पर आधारित है.’ हालांकि, नुगेंट कहते हैं कि यह एक ऐसी समस्या को हल कर रहा है जो हमें कभी थी ही नहीं. वो कहते हैं, “किसी इंसान के ऑर्गेज़्म का उसकी इच्छा के विपरीत पता लगाने का विचार अपने आप में ख़तरनाक है.”