पिछले लगभग 40 वर्षों से राज्‍य के लोगों को यह सुविधा प्राप्‍त नहीं थी, जबकि उत्‍तराखंड के अलावा देश के बाकी सभी राज्‍यों में यह सुविधा उपलब्‍ध थी. विधानसभा ने गुरुवार को इस संबंध में महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर दिया.अब उत्‍तर प्रदेश के लोगों को भी अग्रिम जमानत की सुविधा मिलने जा रही है. इसकी पहल राज्‍य सरकार ने की है. पिछले लगभग 40 वर्षों से राज्‍य के लोगों को यह सुविधा प्राप्‍त नहीं थी, जबकि उत्‍तराखंड के अलावा देश के बाकी सभी राज्‍यों में यह सुविधा उपलब्‍ध थी. विधानसभा ने गुरुवार को इस संबंध में महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर दिया.

गौरतलब है कि 1976 में देश में लगे आपातकाल के दौरान प्रदेश में अग्रिम जमानत के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था. दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2018 राज्य में अग्रिम जमानत के प्रावधान को बहाल करेगा, क्योंकि प्रदेश में चार दशक से अधिक समय तक अग्रिम जमानत की अर्जी देने का कोई प्रावधान नहीं था.

विधेयक को अंतिम मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, क्योंकि यह विधेयक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 (अग्रिम जमानत) में उत्तर प्रदेश के लिए संशोधन का प्रस्ताव करता है. उत्तर प्रदेश विधानसभा ने इस विधेयक में एक संशोधन यह भी किया गया है कि आरोपी को अग्रिम जमानत के लिए सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं होगा.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा अन्य सभी राज्यों में अग्रिम जमानत का प्रावधान है. एक अधिकारी ने बताया कि जिन मामलों में मौत की सजा का प्रावधान है या जहां गैंगस्टर एक्ट लगा है उन मामलों में आरोपियों को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी. विधेयक में एक अन्य संशोधन यह किया गया है कि अदालत को अर्जी मिलने के बाद 30 दिन में ही अग्रिम जमानत की अर्जी पर फैसला करना होगा.