नान घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा व आलोक शुक्ला के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में एक और मुकदमा दर्ज
याचिकाकर्ता गिरीश शर्मा की मांग पर SC की मुहर
विजया पाठक
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले से संबंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी है। यह याचिका नान घोटाले के प्रमुख आरोपी वर्तमान में वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग के संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और संसदीय कार्य विभाग और शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला को लेकर है। याचिकाकर्ता की प्रमुख मांग घोटाले की ट्रायल को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने की भी है। याचिका नान घोटाले का पूर्व आरोपी तथा वर्तमान शासकीय गवाह गिरीश शर्मा ने दायर की है। गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने पूर्व में भी यह अंदेशा जताया था कि नान घोटाले की जांच को घोटाले के आरोपियों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है। यहां तक कि गिरीश शर्मा ने अपनी जान का खतरा होने की बात भी कही थी। यही कारण है कि गिरीश शर्मा ने न्याय की गुहार सुप्रीम कोर्ट में लगाई है। निश्चित तौर पर नान घोटाले का ट्रायल अन्य प्रदेशों में होता है तो जहां एक तरफ नान के आरोपी जांच को प्रभावित नहीं कर पाएंगे वहीं प्रमुख गवाहों को डरा धमका कर अपने बयानों को बदलने का दवाब नहीं बना पाएंगे। इससे पहले भी ऐसे कई बहुचर्चित मामले सामने आए हैं जिनका ट्रायल अपने प्रदेश से बाहर हुआ है। जैसे मानसिंह का केस राजस्थान में था उसका ट्रायल मथुरा उप्र में हुआ था। ऐसे ही नान की ट्रायल भी दूसरे प्रदेशों में होने से केस से संबंधित गवाहों को डराया धमकाया न जा सके।
उल्लेखनीय है कि यह संदर्भित याचिका क्रमांक WP(Crl) No. 228/2020, जिसकी डायरी नं० 16919/2020 है। दिनांक 11 अगस्त 2020 को दायर की गयी थी तथा इस याचिका का पंजीयन दिनांक 17 अगस्त 2020 को एवं सत्यापन दिनांक 19 अगस्त 2020 को हुआ था। इस याचिका की प्रथम सुनवाई जस्टिस रोहिटन फाली नारिमन, जस्टिस नवीन सिन्हा व जस्टिस इंदिरा बैनर्जी की बेंच में दिनांक 31 अगस्त 2020 को हुई थी। याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की जिरह के आधार पर शीर्ष अदालत ने मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए समस्त उत्तरवादियों को, जिनमें छ.ग. राज्य द्वारा मुख्य सचिव, EOW/ACB द्वारा पुलिस अधीक्षक, SIT द्वारा पुलिस अधीक्षक, संयुक्त सचिव, अनिल टुटेजा एवं प्रमुख सचिव, आलोक शुक्ला हैं, नोटिस भेजने का आदेश पारित किया था।
इससे पहले भी जगत विजन ने नान घोटाले को लेकर कई सनसनीखेज दस्तावेज और कथन प्रकाशित कर यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे नान के आरोपी घोटाले की जांच को और गवाहों को डरा धमका कर बयान बदलने का दवाब बना रहे हैं। नान घोटाले के प्रमुख आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की घोटाले में संलिप्तता के संबंध में कई पोस्ट और जगत विजन मासिक पत्रिका में आवरण कथा प्रकाशित की है। गिरीश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका से यह सिद्ध होता है कि हमारे द्वारा प्रकाशित मेटर में पूरी तरह सच्चाई है।
इस मांग के समर्थन में, याचिकाकर्ता ने ऐसे कई तथ्यों व आधारों का जिक्र याचिका में किया है, जिन्हें प्रथम दृष्टिया सुनवाई योग्य मानते हुए शीर्ष अदालत ने दिनांक 31 अगस्त 2020 का अपना आदेश पारित किया है। इस घटनाक्रम से प्रदर्शित हो रहा है कि, अब नान घोटाले में न्याय होना काफी करीब है तथा आरोपियों की समस्त चालाकी भी उनको कानून व न्याय के लंबे हाथों से नहीं बचा पाएगी।
इन समस्त गतिविधियों के मद्देनजर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व राज्य की कांग्रेस सरकार को तत्काल, इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर देना चाहिए तथा सुनिश्चित करना ही चाहिए कि, संदर्भित याचिका में आरोपित आरोपों के अनुरूप ये आरोपी ट्रायल मामले से छेड़छाड़ व मामले के गवाहों को प्रभावित न कर सकें। यही कदम न्यायोचित भी है तथा जनता की मांग भी है। सुप्रीम कोर्ट में गिरीश शर्मा की याचिका स्वीकार कर यह दर्शा दिया है कि कहीं न कहीं नान के आरोपी छत्तीसगढ़ में जांच को प्रभावित कर रहे हैं। यह बात अब मुख्यमंत्री व राज्य सरकार को भी समझ लेनी चाहिए। बेहतर यही होगा कि सरकार नान के आरोपियों के खिलाफ कोई बड़ा और प्रभावी एक्शन ले अन्यथा लोगों में सरकार के विरूद्ध गलत संदेश जाऐगा।