अदालत के आदेशों को पुर्चा समझते अधिकारी
– मामला किशोर सागर तालाब को कबजामुक्त करने का
– न्यायपालिका पर हावी कार्यपालिका
(खेमराज चौरसिया/धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर बुंदेलखंड)
क्या कार्यपालिका के सामने न्यायपालिका कमजोर होती जा रही है? यह कटु सत्य छतरपुर शहर के किशोर सागर तालाब को कबजामुक्त करने के मामले में साफ दिखाई दे रहा है। छतरपुर के द्वितीय जिला न्यायाधीश की अदालत अभी तक छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर को व्यक्तिगत रूप से तीन पत्र जारी कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश जारी कर चुकी है पर अफ़सोसजनक है कि अधिकारी अदालत के आदेश को रद्दी का पुर्चा मान लगातार अपमानित कर रहे है।
झीलों की नगरी छतरपुर शहर के सभी तालाब बेजा अतिक्रमण का शिकार होकर अपना अस्तित्व खोते जा रहे है। शहर की आत्मा कहलाने वाला किशोर सागर तालाब तो बानगी है कि शासन प्रशासन की मिली भगत से किस तरह ऐतिहासिक धरोहर तालाब को चट किया जाता है। कुछ दशक पहले सरकारी खसरा नम्बर 3087 में 8.20 एकड़ रकवा दर्ज किशोर सागर तालाब का भराव क्षेत्र कई एकड़ में था। शहर से गुजरने वाले दो नेशनल हाईवे के मध्य में पानी की हिलोरे उछाल करती थी। सरकारी तंत्र की मिलीभगत से माफियाओ ने दस्तावेजों को खुर्दबुर्द कर रचना रची। आज इस तालाब के मूल रकवा सहित पूरे भराव क्षेत्र में मकान और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्मित हो गये है। मृत होते तालाब को बचाने रिटायर्ड राजस्व अधिकारी बीएल मिश्रा ने एनजीटी भोपाल बेच में याचिका दायर की। एनजीटी ने आदेश दिया कि तालाब के मूल रकवा, भराव क्षेत्र और उस सीमा के बाद दस मीटर से कब्जे हटाये जाये। इस आदेश को जारी हुए वर्षो हो गये पर छतरपुर के प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि धड़ल्ले से नये मकान निर्मित होते रहे। एनजीटी के आदेश के अपमान को देखते हुए वर्ष सितम्बर 2021 को पत्रकार धीरज चतुर्वेदी एक बार फिर एनजीटी में अपील की। जिसमे एनजीटी ने अपने पुराने आदेश का क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी छतरपुर सत्र न्यायालय को सौंप दी। यह मामला द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश डॉ वैभव विकास शर्मा की न्यायालय में विचाराधीन है। विडंबना है कि अदालत पिछले एक साल से छतरपुर जिला प्रशासन को तालाब का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेशित कर रही है लेकिन प्रशासन की सेहत पर कोई असर नहीं है। यहाँ तक कि अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय ने कलेक्टर संदीप जी आर को तीन मर्तबा व्यक्तिगत नाम से पत्र भी जारी किये लेकिन कलेक्टर ने जवाब तक देना उचित नहीं समझा। न्यायालय ने सबसे पहले 18 अक्टूबर 2022 को कलेक्टर के व्यक्तिगत नाम से पत्र जारी कर एनजीटी के आदेश पर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद 22 नवंबर 2022 और 12 जनवरी 2023 को व्यक्तिगत नाम से पत्र जारी किये। इस मामले में आगामी तारीख 6 फरवरी 2023 तय है। देखना है कि कलेक्टर छतरपुर प्रतिवेदन प्रस्तुत करते है या एक बार फिर अदालत का आदेश अपमान का घूंट पियेगा। फिलहाल तो न्यायापालिका पर कार्यपालिका हावी दिखाई दे रही है जो न्यायालय के पत्र को रद्दी का पुर्चा मान न्यायपालिका को अपमानित कर रही है।