निष्पक्ष पत्रकारिता पर आघात से फिर पीछे हटी केन्द्र सरकार

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 पर फरवरी 2023 तक टला परामर्श

 

सैयद खालिद कैस,संस्थापक अध्यक्ष प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स

नये वर्ष 2023 के आगमन के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 17 जनवरी को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया जिसे पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की फैक्ट-चेकिंग इकाई द्वारा ‘फर्जी (फेक)’ मानी गई किसी भी खबर को सोशल मीडिया मंचों समेत सभी मंचों से हटाना पड़ेगा। ऐसी सामग्री जिसे फैक्ट चेकिंग के लिए सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी या केंद्र के किसी भी कार्य के संबंध में भ्रामक के रूप में चिह्नित किया गया है उसे ऑनलाइन मंचों पर अनुमति नहीं दी जाएगी। नियमों के जारी होने के बाद कई सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों ने कहा था कि मसौदा प्रस्ताव का अर्थ यह हो सकता है कि सरकार सोशल मीडिया मध्यस्थों पर साझा की जाने वाली सामग्री पर अधिक प्रभाव डाल रही है।

उक्त नियम के विरोध के फलस्वरूप केन्द्र सरकार को अपने इस प्रयास को रोकना पड़ा तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि अगर सरकार मीडिया के काम को प्रभावित करती है तो सरकार मीडिया घरानों और अन्य संबंधित हितधारकों से सुझाव सुनने के लिए तैयार है। सरकार ने आईटी नियमों के तहत इस विवादास्पद प्रस्ताव को अधिसूचित करने से इनकार कर दिया है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित नियमों पर नए दौर की चर्चा फरवरी में होने की संभावना है। चूंकि यह एक पूरी तरह से नया प्रस्ताव है, नए सिरे से परामर्श किया जाना है, जो फरवरी में होगा। उसके बाद ही नियमों को अधिसूचित किया जा सकता है, यदि कोई हो सका तो परिवर्तन के साथ लाया जायेगा। जबकि सरकार की इस नीति के माध्यम से सरकार प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से किसी भी ऐसी खबर को जो सरकार की आलोचना कर रही हो या जिस खबर के प्रकाशन, प्रसारण से सरकार की छवि धूमिल होने का खतरा हो गया था, सरकार समाचारों को फेक्ट चैक के नाम पर नकली, फर्जी, निराधार बताकर हटा सकती थी।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने पिछले सप्ताह इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को एक खुले पत्र में इस कदम के बारे में चिंता जताई थी, इसे एक ऐसा कदम बताया था जिससे सरकारी सेंसरशिप को बढ़ावा मिलेगा। सरकारों को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रेस के प्रयास को आघात पहुॅचाने का प्रयास होगा।

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश व डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के प्रस्तावित संशोधन पर चिंता व्यक्त की और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंटने वाला करार दिया और इसे वापस लेने की मांग की थी।

पत्रकार सुरक्षा एंव कल्याण के लिये प्रतिबद्ध संगठन “प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स” ने केन्द्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रकाशित, प्रसारित होने वाल समाचार सामग्री के माध्यम से केन्द्र सरकार की नीतियों पर उजागर करने वाले प्लेटफार्म्स पर अंकुश लगाकर अपनी बिगड़ी छवि को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हूए सिरे से ख़ारिज करने की मॉंग की है।संगठन ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन सीधे समाचार मीडिया को प्रभावित करेंगे क्योंकि पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) या किसी अन्य एजेंसी द्वारा मध्यस्थ संस्थानों को न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों का पालन किए बिना कथित फर्जी समाचार सामग्री को हटाने के लिए मजबूर या निर्देशित किया जा सकता है। संगठन इस बात पर चिंता व्यक्त करता है कि प्रस्तावित संशोधन संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत मीडिया को बोलने से रोकता है व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करता है। उपरोक्त नियम में संशोधन बिना किसी जांच के सरकार को ऐसी शक्तियां प्रदान करता हैए जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का गला घोंट देगा और मीडिया पर इसका प्रभाव पड़ेगा और यह पीआईबी व केंद्र सरकार को बिना किसी जांच के डिजिटल समाचार सामग्री को विनियमित करने का बेरोकटोक अधिकार देता है।