राजनगर विधानसभा क्षेत्र में दो धडों में बटी कांग्रेस

क्या ऐसे में 2023 के चुनाव की राह होगी आसान ?

यहां भारत जोड़ो यात्रा के साथ कोंग्रेस जोड़ो अभियान की जरूरत

🖊️राजेन्द्र सिंह की कलम से 

 

छतरपुर जिले की राजनगर विधानसभा सीट वैसे तो पिछले 3 बार से लगातार कांग्रेस के पाले में जाती रही है, और यहां के परमानेंट विधायक विक्रम सिंह नातीराजा अब तक अपराजेय रहे हैं ,हालांकि वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा के अरविंद पटेरिया ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन अंततः राजनगर विधानसभा सीट पर नातीराजा ने कांग्रेस का कब्जा करा दिया ,भले ही 2018 में कांग्रेस को राजनगर विधानसभा सीट पर विजय श्री मिली हो लेकिन 2018 में भी कांग्रेस के दिग्गज राष्ट्रीय नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ” विनोद भैया” के पुत्र नितिन चतुर्वेदी कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद समाजवादी पार्टी से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें करारी शिकस्त मिली थी ,नितिन चतुर्वेदी के चुनावी मैदान से उतरने से कांग्रेस को ही नुकसान हुआ था,

 

अब एक बार फिर 2023 के चुनाव मैदान में कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी नजर आ रही हैं, और इस बार कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह मुन्ना राजा के बेटे और कांग्रेस नेता सिद्धार्थ सिंह बुंदेला चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं, इसका आगाज पिछले माह राजनगर की सती की मढिया में किसानों के हक में एक आंदोलन कर मुन्ना राजा और सिद्धार्थ बुंदेला ने कर दिया था,

वहीं आगामी 22 दिसंबर को लवकुशनगर में किसान जनाक्रोश आंदोलन की भी तैयारियां उनके द्वारा की जा रही हैं

 

इस सबके बीच दिलचस्प पहलू यह है कि सिद्धार्थ सिंह बुंदेला का 22 दिसंबर का कार्यक्रम पूर्व नियोजित था, लेकिन अचानक आनन-फानन में इस कार्यक्रम के पहले 15 दिसंबर को क्षेत्रीय विधायक विक्रम सिंह नातीराजा के द्वारा किसान जन आंदोलन लवकुश नगर के विवेकानंद पार्क में किया गया, जिसमें जिले के अन्य दो कांग्रेस विधायक आलोक चतुर्वेदी और नीरज दीक्षित वहां मौजूद रहे तो वहीं कांग्रेस आंदोलन से सुर्खियों में आई कांग्रेस की किसान नेता पूनम पांडे भी आयोजन में शामिल हुई, इतना ही नहीं जिले के कांग्रेस के लगभग सभी पदाधिकारी ब्लॉक से लेकर मंडलम के पदाधिकारी कार्यकर्ता इस आयोजन में शामिल हुए , लेकिन पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह मुन्ना राजा और उनके बेटे कांग्रेस नेता सिद्धार्थ सिंह बुंदेला इस कार्यक्रम में नदारद नजर आए ,

 

और अब जब सिद्धार्थ सिंह बुंदेला और उनके पिता पूर्व विधायक मुन्ना राजा के द्वारा 22 दिसम्बर को किसान जन आक्रोश आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है तो इसमें जिले के कांग्रेस विधायक और कांग्रेस नेता शामिल होते हैं या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा ,

 

फिलहाल लवकुश नगर में होने वाले इस आयोजन में स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बात करें तो वह भी दुविधा में नजर आ रहे हैं,

ऐसा नहीं यह पहली बार हुआ है, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जब पिछले माह जिले के बड़ा मलहरा में आए थे तब भी उस आयोजन में कांग्रेस दो खेमों में बटी नजर आई थी , और पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह (मुन्ना राजा)और उनके पुत्र अन्य कॉंग्रेस नेताओं से अलग -धलग नजर आए थे ,

 

कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी के द्वारा देश में भारत जोड़ो यात्रा की जा रही है ऐसे में अगर राजनगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां के कांग्रेस नेताओं को कांग्रेस को जोड़ने की कवायद करनी होगी, वरना इस मतभेद और वर्चस्व की लड़ाई में आने वाले 2023 के चुनाव में भाजपा को फायदा ही फायदा होगा ।

 

15 दिसंबर के किसान जन आंदोलन में वैसे तो काफी भीड़ इकट्ठी हुई थी ,लेकिन जिस तरह से जिले के तीन कांग्रेस विधायक और पूरे देश में विख्यात कांग्रेस किसान नेत्री पूनम पंडित के शामिल हुईं तो यह भीड़ दुगनी होनी चाहिए थी ,

जन चर्चा यह भी है कि मुन्ना राजा के 22 दिसंबर के आंदोलन की वजह से ही 15 दिसंबर का आंदोलन क्षेत्रीय विधायक के द्वारा आनन-फानन में आयोजित किया गया था, जिसकी वजह से प्रचार-प्रसार की भी कमी थी,

ऐसे में अब 22 दिसंबर को पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह बुंदेला मुन्ना राजा एक बार फिर नातीराजा के गढ़ में हुंकार भरने आ रहे हैं, 22दिसंबर के आयोजन में कितने कांग्रेस नेता,बिधायक शामिल होते हैं, और कितनी भीड़ इकट्ठी होती है, यह तो आने वाला समय तय करेगा ,

 

सवाल यह भी है कि क्या दो राजाओं की इस वर्चस्व और राजनीति की लड़ाई में मुन्ना राजा – नातीराजा के विजय अभियान को रोक पाएंगे ?

 

क्या कांग्रेस नेतृत्व परमानेंट विधायक नातीराजा को दरकिनार कर सिद्धार्थ बुंदेला को राजनगर विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाएगा ?

 

. क्या इन दो कॉंग्रेसी राजाओं की वर्चस्व की लड़ाई का फायदा भाजपा को मिलेगा ?

 

ऐसे कई सवालों के जवाब आने वाला समय ही तय करेगा।