निवाड़ी फाइलेरिया रोग के पूर्ण उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धः मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
फाइलेरिया रोधी सामूहिक दवा सेवन अभियान को सफल बनाने हेतु मीडिया एडवोकेसी कार्यशाला आयोजित
टीकमगढ़।फाइलेरिया रोग के सम्पूर्ण उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत आज जिला प्रशासन (जिला स्वास्थ्य समिति), जिला टीकमगढ़ के तत्वावधान में ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ समन्वय स्थापित करते हुए जिला मलेरिया अधिकारी टीकमगढ़ के सभाकक्ष में मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था कि फाइलेरिया रोग की गंभीरता को मीडिया सहयोगियों के माध्यम से जन-समुदाय में अधिक से अधिक प्रचारित-प्रसारित किया जा सके जिससे, लोग इस गंभीर बीमारी के बारे में सही और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकें और इस रोग से स्वयं और अपने परिवार को बचा सकें।
इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, टीकमगढ़/निवाड़ी डॉ. पी.के.माहौर ने बताया कि कि फाइलेरिया से उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, कोविड-19 महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को जारी रखने के महत्व को स्वीकार करते हुए, राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत टीकमगढ़ और निवाड़ी में, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, 21 फरवरी से सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। जिले में इस कार्यक्रम की सफलता के लिए राज्य स्तर से समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है । इस कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को ध्यान में रखा जायेगा, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि जिले के सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही करना सुनिश्चित करें। डॉ. माहौर ने यह भी बताया कि ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं द्य रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं । सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं, जोकि दवा खाने के बाद कृमियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी श्री हरि मोहन रावत ने बताया कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम 21 फरवरी से 28 फरवरी तक आयोजित किया जायेगा। इस दौरान कुल 15,79,831 लक्षित लाभार्थियों में 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अतिगंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार दो फाइलेरिया रोधी दवाओं डी.ई.सी. और अल्बंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ़्त खिलाई जाएगी। कार्यक्रम के दौरान दवाओं का वितरण बिलकुल नहीं किया जायेगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए रैपिड रेस्पोंस टीम भी तैनात रहेगी। उन्होंने जानकारी दी कि टीकमगढ़ में लिम्फेडेमा के 148 मरीज़ और हाइड्रोसील के 15 मरीज़ हैं। निवाड़ी जिले में लिम्फेडेमा के 64 मरीज़ और हाइड्रोसील के 4 मरीज़ हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. देवेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग, सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक दिव्यांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फोएडेमा(अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ बनना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाजोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का भी उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है। उन्होंने यह भी बताया की इन दवाओ का सेवन खाली पेट नहीं करना है ।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं
1. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एम.डी.ए.) – एंटी फाइलेरिया दवा यानि डी.ई.सी. और अल्बंडाजोल की वर्ष में एक खुराक द्वारा फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में संक्रमण और बीमारी की रोकथाम।
2. मोर्बिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एम.एम.डी.पी.) यानि रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता की रोकथाम-फाइलेरिया या हाथीपांव से संक्रमित व्यक्तियों की देखभाल एवं इलाज।
मीडिया सहयोगियों से प्रश्न-उत्तर सत्र के दौरान, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के श्री दीपक मिश्रा ने संवाद करते हुए मीडिया से अनुरोध किया गया कि उनके माध्यम से फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के बारे में इस तरह के समाचार और लेख प्रकाशित हो ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरुकता का स्तर इस तरह बढ़ जाये कि लाभार्थी स्वयं फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की निगरानी करना शुरू कर दें। ऐसा होने पर, फाइलेरिया के सम्पूर्ण उन्मूलन में निरूसंदेह सफलता मिलेगी और इसमें मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कार्यक्रम के अंत में, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के श्री फिरोज आलम ने कहा कि मीडिया की भूमिका , सरकार द्वारा चलाये जा रहे, समस्त कार्यक्रम के सफल किर्यान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने, मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे आगामी 21 फरवरी से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें।
कार्यशाला में आमंत्रित मीडिया सहयोगियों के साथ ही, राज्य स्तर, जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों के साथ ही, अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि यथा- विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज प्रतिनिधियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
टीकमगढ़ से ndtv18 राकेश सोनी की रिपोर्ट