किशोर सागर तालाब मामले मे अदालत सख्त
– छतरपुर कलेक्टर के व्यक्तिगत नाम से नोटिस जारी


(खेमराज चौरसिया,धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर बुंदेलखंड)
छतरपुर शहर की ऐतिहासिक धरोहर किशोर सागर तालाब को कब्ज़ामुक्त करने के मामले मे अपर जिला न्यायाधीश ने छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर के व्यक्तिगत नाम से नोटिस जारी किया है। नोटिस मे आदेशित किया गया है कि आगामी नियत पेशी के पूर्व न्यायलय मे सक्षम अधिकारी के माध्यम से एनजीटी के आदेश के परिपालन मे अब तक की गई कार्यवाही के सम्बन्ध मे सम्पूर्ण प्रतिवेदन प्रस्तुत करें।
ज्ञात हो कि छतरपुर शहर का किशोर सागर तालाब का कुछ दशकों पहले तक कई एकड़ मे भराव था। राजस्व अभिलेख मे गड़बड़ी कर तालाब के भराव क्षेत्र मे सैकड़ो मकान निर्मित हो गये। तालाब से अवैध कब्ज़ा हटाने सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी बी एल मिश्रा ने एनजीटी भोपाल बेंच मे याचिका प्रस्तुत की थी। करीब दस साल बीतने को है लेकिन छतरपुर प्रशासन ने एनजीटी के आदेश बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की। जबकि एनजीटी ने साफ आदेश दिया था कि तालाब के मूल रकवा, भराव क्षेत्र, दस मीटर के ग्रीन जोन से अतिक्रमण हटाये जावे। एन जी टी के आदेश का अपमान कर प्रशासन द्वारा कार्यवाही ना करने का मामला दुबारा एनजीटी पंहुचा। जहाँ एनजीटी ने 20 सितम्बर 2021 को अपने जारी आदेश मे अपने पूर्व आदेश का निष्पादन कराने की जिम्मेदारी जिला न्यायाधीश छतरपुर को सौंप दी। यह मामला इजराय 26/21 मे निराकरण हेतु द्वितीय जिला न्यायाधीश डॉ बैभव विकास शर्मा की अदालत मे विचाराधीन है। इस मामले मे आधा दर्जन से अधिक पेशीया होने के बाद भी छतरपुर कलेक्टर ने अपना प्रतिवेदन पेश नहीं किया है। अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए अब छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर के व्यक्तिगत नाम से नोटिस जारी किया है। इस नोटिस/पत्र मे लेख किया गया है कि एनजीटी के 20 सितम्बर 2021 के पारित आदेश के क्रियान्वयन कराये जाने हेतु किशोर सागर तालाब के संरक्षित क्षेत्र मे किये गये अतिक्रमण के संबंध मे सर्वे रिपोर्ट की आवश्यकता है। जिस हेतु पूर्व मे भी कई पत्र जारी किये गये है लेकिन प्रतिवेदन अप्राप्त है। जिसे आगामी नियत दिनांक 22 नवंबर 2022 के पूर्व न्यायालय मे सक्षम अधिकारी के माध्यम से प्रेषित कराना सुनिश्चित करें।
छतरपुर अदालत द्वारा कलेक्टर छतरपुर के व्यक्तिगत नाम से पत्र जारी करना एक सख्त लहजा है। अब देखना है कि छतरपुर कलेक्टर आगामी पेशी पर अपना प्रतिवेदन पेश करते है या अदालत के व्यक्तिगत पत्र की अवमानना करते है।