गृह मंत्रालय के पास नही पत्रकार सुरक्षा कानून संबंधी किसी कार्यवाही की जानकारी
सूचना अधिकार अधिनियम में हुआ खुलासा
- सैयद खालिद कैस
- संस्थापक अध्यक्ष
- प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार पिछले 20वर्षो से प्रदेश के पत्रकारों को उनकी सुरक्षा एवम कल्याण के अधिकार से वंचित करने का खेल खेलती आई है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान हो या गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा समय समय पर पत्रकारों की सुरक्षा के नाम पर कोरी घोषणाएं करके पत्रकार हितेषी होने का ढोल पीट ले परंतु हकीकत में उनकी घोषणाएं केवल खोखली साबित हो रही हैं। यह शास्वत सत्य है कि सरकार ने पिछले 20वर्षो में प्रदेश के पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किए। कमलनाथ सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किए वादे को साकार करने के लिए ज़रूर कुछ कदम आगे बढ़ाए थे,पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की पहल के साथ पूरी तैयारी भी कर ली थी,परंतु अचानक कमलनाथ सरकार को पिछले दरवाजे से गिराकर प्रदेश में काबिज़ होने वाले शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पत्रकार सुरक्षा कानून की पहल को गहरे कुएं में दफन कर दिया।
गौर तलब हो कि पत्रकार सुरक्षा एवम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध अखिल भारतीय पत्रकार संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत शिवराज सरकार के गृह,विधि,जनसंपर्क विभाग में आवेदन प्रस्तुत किए थे ताकि पता किया जाए कि सरकार की पत्रकारों के प्रति क्या नीति है।नतीजा निकला कि किसी भी विभाग ने आवेदन पत्रों पर ध्यान नहीं दिया। अपील प्रस्तुत करने पर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों द्वारा भी इस और ध्यानाकर्षित नही किया।फलस्वरूप थक हार कर संगठन द्वारा द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग के समक्ष प्रस्तुत की।करीब 5/6माह की प्रतिक्षा के बाद अपील प्रकरण की सुनवाई हुई।जहां प्रदेश सरकार के गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने मुख्य सूचना आयुक्त महोदय के समक्ष उपस्थित होकर गुहार लगाई कि कोरोना काल के कारण कार्य बाधित हुए जिसके कारण जानकारी प्रदान नही की गई है,जानकारी उपलब्ध कराने के लिए समय दिया जाए और अन्तता वह लोग अपने षड्यंत्र में सफल हो गए और उनको 09.12.2022की पेशी प्राप्त हो गई।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार प्रदेश सरकार के गृह,विधि,जनसंपर्क विभाग के पास पत्रकार सुरक्षा कानून के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है जिसके आधार पर वह यह बता सकें कि पत्रकारों के लिए सरकार की क्या नीति है? जिसके आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि निर्धारित समय लेने के बावजूद सरकार कोई ठोस दस्तावेज आयोग के समक्ष प्रस्तुत नही कर पाएगी।
राज्यसभा सदस्य सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा मुख्यमंत्री, गृह मंत्री को लिखे पत्र का कोई सुराग नहीं
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा 27.01 2021 में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवम राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह जी से मुलाकात कर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के समय लागू होने वाले पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू कराने संबंधी ज्ञापन सौंपा था।जिसके फलस्वरूप श्री सिंह द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित गृह मंत्री को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही को कहा था।इसे पत्रकारों का दुर्भाग्य कहें या शिवराज सरकार की अनियमितता आज डेढ़ वर्ष बाद भी उस पत्र पर कार्यवाही तो दूर पत्र ही उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री सचिवालय, जनसंपर्क विभाग, गृह,विधि मंत्रालय से चाही गई जानकारी में इन विभागों ने ऐसे पत्र होने से अनभिज्ञता जताई है।