पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी का देश भर में हो रहा है विरोध
भोपाल। ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मुहम्मद जुबैर की सोमवार को दिल्ली पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी का भारत सहित अन्य देशों के पत्रकार संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है।
एडिटर्स गिल्ड और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने की मुहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी की आलोचना की है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मुहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी और पुलिस की कार्यवाही की निंदा की है। सोमवार को दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2018 के एक ट्वीट के सिलसिले में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक को गिरफ़्तार किया था। एडिटर्स गिल्ड ने फ़ेक न्यूज़ को सामने लाने और ग़लत सूचनाओं के ख़िलाफ़ अभियान में मुहम्मद जुबैर और ऑल्ट न्यूज़ के काम की सराहना की है। एडिटर्स गिल्ड ने मांग की है कि मुहम्मद जुबैर को तुरंत रिहा किया जाए। बयान में कहा गया है – 2020 के एक मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। इस मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें गिरफ़्तारी से सुरक्षा दे रखी थी लेकिन उन्हें एक अन्य मामले में गिरफ़्तार किया गया है जो इसी महीने दर्ज हुआ था।
दिल्ली पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा है कि ट्विटर हैंडल पर मिली एक शिकायत के बाद मुहम्मद जुबैर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। शिकायत के अनुसार मुहम्मद जुबैर ने कथित तौर पर जानबूझकर एक धर्म के अपमान के इरादे से तस्वीर पोस्ट की थी। इस तरह के ट्वीट को सोशल मीडिया पर अन्य लोग आगे शेयर करने लगे जिससे सद्भाव बिगड़ने और सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका थी। जुबैर के ख़िलाफ शिकायत 2018 के ट्वीट से संबंधित है जिसमें उन्होंने एक तस्वीर शेयर की थी।
प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया ने बयान जारी करते हुए लिखा है – “प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मुहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी की निंदा करता है। दिल्ली पुलिस ने 27 जून को साल 2018 के एक ट्वीट के लिए कथित रूप से धार्मिक भावनाएं भड़काने के मामले में मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार किया है।” इसके साथ ही कहा गया है कि “ये विडंबना है कि मुहम्मद जुबैर को उस दिन गिरफ्तार किया गया है जब भारत ने जी 7 समूह समेत चार अन्य देशों के साथ मिलकर ऑनलाइन एवं ऑफ़लाइन मंचों पर अभिव्यक्ति की आज़ादी सुरक्षित करने के प्रति समर्पण जताया है।”
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय समिति ने भी मुहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए उन्हें तुरंत रिहा करने की मांग की है।
मुहम्मद ज़ुबैर को उनके काम के कारण बनाया जा रहा है निशाना – एमनेस्टी इंटरनेशनल
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक मुहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं। संगठन के बोर्ड के चेयरमैन आकार पटेल ने कहा है कि फ़ेक न्यूज़ और ग़लत सूचना के ख़िलाफ़ उनके महत्वपूर्ण काम के लिए भारतीय अधिकारी मुहम्मद जुबैर को निशाना बना रहे हैं। आकार पटेल ने कहा कि मुहम्मद जुबैर ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव को भी आवाज़ दी है। उन्होंने कहा- मुहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी ये दिखाती है कि भारत में मानवाधिकार के रक्षकों पर ख़तरा किस स्तर तक पहुँच गया है। आकार पटेल ने कहा कि उन्हें एफ़आईआर की कॉपी भी नहीं दी गई है। उन्होंने दिल्ली पुलिस से मुहम्मद जुबैर की तुरंत रिहाई की मांग की। आकार पटेल ने ये भी कहा कि पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों और कार्यकर्ताओं की लगातार चल रही प्रताड़ना बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। ये अधिकारियों की ओर से सत्ता का दुरुपयोग है और इससे ये संदेश जाता है कि असहमति को इस देश में बर्दाश्त नहीं किया जाता है। मुहम्मद जुबैर को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए ओर 295ए ( जानबूझकर दुर्भावनापूर्ण इरादे से समुदायों के बीच सद्भाव भंग करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने और विद्वेषपूर्ण इरादे से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने या करने की कोशिश) के तहत गिरफ़्तार किया गया है।
कमिटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने भी जताया विरोध
कमिटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) के एशिया प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर स्टीवन बटलर ने वॉशिंगटन में कहा, “पत्रकार मुहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी एक बार फिर भारत में प्रेस की आज़ादी के पतन को दिखाता है, जहां सांप्रदायिक मसलों को उठाने वाले प्रेस के सदस्यों के लिए सरकार ने विपरीत और असुरक्षित माहौल बना दिया है। प्रशासन को तुरंत और बिना शर्त जुबैर को रिहा कर देना चाहिए और उन्हें आगे बिना दखलअंदाज़ी अपना काम करने देना चाहिए।”
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने गिरफ्तारी की निंदा की
पत्रकार सुरक्षा एवम कल्याण के लिए प्रतिबद्ध संगठन “प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ” के अध्यक्ष सैय्यद खालिद कैस ने मोहम्मद जुबैर की कथित गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इस घटना को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर आघात निरूपित किया। श्री कैस ने कहा कि विगत कई वर्षों से पत्रकारों की आवाज को दबाए जाने की घटनाओं की बढ़ोत्तरी इस बात का प्रमाण है कि केंद्र ओर भाजपा शासित सरकारें आलोचनात्मक पत्रकारिता का दोहन कर रही हैं ।पत्रकारों को प्रताड़ित करना झूठे मुकदमे दर्ज करने की घटनाओं की बढ़ोत्तरी चिंता का विषय है।