मध्यप्रदेश में असुरक्षित पत्रकार भय के वातावरण में बीच अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहें है पुलिस बनी प्रताडना का कारण
बागली के पत्रकार के साथ मारपीट के बावजूद उसको ही जेल भेजा बागली पुलिस ने
भोपाल। मध्यप्रदेश में निरन्तर पत्रकार समाज को टारगेट किया जा रहा है। कुछ दिन पूर्व सीधी पत्रकार पिटाई व अपमान काण्ड की आग ठण्डी भी नही हूई थी कि पिपरिया के पत्रकार के साथ पुलिसकर्मी द्वारा अपमानजनक व्यवहार की घटना सामने आई थी। अब देवास जिले की बागली तहसील के पत्रकार सुनील योगी के साथ अपराधियों द्वारा मारपीट के 20 दिन बाद भी स्थानीय बागली पुलिस द्वारा एफआईआर नही लिखना पुलिस की प्रताडनाऔ को उजागर करता है।
गौरतलब हो कि विभिन्न समाचार पत्रों में पत्रकारिता करने वाले बागली देवास निवासी युवा पत्रकार सुनील योगी द्वारा स्थानीय भाजपा विधायक के भ्रष्टाचार संबंधी समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किये थे जिससे भाजपा विधायक खासे नाराज थे। गत दिनों उनके समर्थकों पुरूष महिलाऔ ने पत्रकार सुनील योगी के घर पर घावा बोला तथा उनके परिवारजनों के साथ मारपीट की। सुनील योगी के साथ भी मारपीट की घटना की गई। जिसके संबंध में पीडित पत्रकार द्वारा स्थानीय थाना बागली में रिर्पोट लिखानी चाही परन्तू उसके स्थान पर पुलिस ने पीडित पत्रकार के खिलाफ ही धारा 151 की कार्यवाही कर जेल भिजवा दिया। जेल से छूटने के बाद पीडित पत्रकार द्वारा आरोपियों के खिलाफ एफआईआर कराने का प्रयास किया परन्तू पुलिस ने आरोपियों को विधायक के संरक्षण के फलस्वरूप अभयदान दे दिया। पीडित पत्रकार ने पुलिस अधीक्षक देवास को शिकायत की परन्तू वहॉं से भी उसे निराशा ही हाथ लगी। यहॉं तक कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा लिखे पत्र के बावजूद पुलिस द्वारा भाजपा विधायक के संरक्षण वाले आरोपियों के खिलाफ बागली पुलिस द्वारा एफआईआर नही लिखी गई । पीडित पत्रकार ने उच्च न्यायालय इदौर खण्डपीठ से न्याय की गुहार लगाई। पीडित पत्रकार के अनुसार दयावान उच्च न्यायलय ने बागली पुलिस को आरोपियों को गिरफतार करने के आदेश दिये। लेकिन आज 20 दिन बाद भी पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ एफआईआर नही दर्ज की है।
प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के संस्थापक अध्यक्ष सैयद खालिद कैस से पीडित पत्रकार सुनील योगी द्वारा संपर्क करने पर उनके द्वारा पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश सहित पुलिस महानिरीक्षक उज्जैन रेंज तथापुलिस अधीक्षक देवास को ज्ञापन प्रेषित कर पीडित पत्रकार को न्याय व सुरक्षा की मॉंग की है।
श्री कैस ने अपने ज्ञापन में कहा कि प्रदेश में पत्रकार अब असुरक्षा व भय के वातावरण में जी रहे है। विदित हो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19( 1 )(क) के वाक् एंवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अर्थात प्रेस की आजादी जो कि मौलिक अधिकार के अर्न्तगत आते हैं जिसका वर्तमान संदर्भ में मध्यप्रदेश की पुलिस द्वारा उपयोग नही किया जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कई बार अधिसूचनाऔं को जारी कर पत्रकारो की सुरक्षा के निर्देश दिये गये है।परन्तू उसके बावजूद मध्यप्रदेश के पत्रकार असुरक्षा की भावना के साथ अपने कर्त्तव्यो का निर्वाहन कर रहे हैं।
महोदय भारत सरकार गृह मंत्रालय एडवाजरी दिनॉक 01/04/2010 सहित भारत सरकार गृह मंत्रालय परिपत्र क्रमांक 24013/46 / ध्एमआईएससीध/2013 सीआरसी/3 नई दिल्ली दिनॉंक 20/10/2017 द्वारा समस्त राज्यों सहित केन्द्र शासित प्रदेशों को एडवाजरी के माध्यम से पत्रकार सुरक्षा का प्रावधान किया गया है।जिसका भी उपयोग मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा नही किया जा रहा है। जो कि चिन्ता का विषय है।