विश्व साहित्य सद्भाव परिषद के तत्वाधान में नव वर्ष के अवसर पर विचार तथा काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

नव वर्ष के अवसर पर प्रण लेना होगा कि हम अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी के उत्थान पर बल देंगे तथा साहित्य सद्भाव का वातावरण निर्मित कर एक समृद्ध सांस्कृतिक भारत का निर्माण करेंगे:डॉक्टर सैयद खालिद कैस

मुंबई। पत्रकारों की सुरक्षा एवं कल्याण के लिए प्रतिबद्ध प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स संगठन का अभिन्न अंग “विश्व साहित्य सद्भाव परिषद” के तत्वाधान में नव वर्ष के पावन अवसर पर विगत रविवार एक ऑनलाइन “विचार तथा काव्य गोष्ठी” का आयोजन हुआ।
संगठन के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस की अध्यक्षता में संपन्न इस विचार तथा काव्य गोष्ठी में देश भर के साहित्यकारों, लेखकों ने भाग लिया।
साहित्यिक संगठन विश्व साहित्य सद्भाव परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती शशि दीप मुंबई के सफल संचालन में आयोजित इस विचार तथा काव्य गोष्ठी में हर बार की तरह इस बार भी देश भर से विशेषकर मुंबई, दिल्ली ,उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ से एक से बढ़कर एक अभ्यागतों ने बढ़ चढ़ हिस्सा लिया। जिसमें कई नामी साहित्यकारों रायपुर निवासी रिटायर्ड डीआईजी किशोर अग्रवाल, दिल्ली से डी डी उर्दू से रिटायर्ड फ्रीलांस जर्नलिस्ट श्रीकांत सक्सेना, अंजनीकुमार सिंह, प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश, डॉ.मनीषा अवस्थी रायगढ़, केशी गुप्ता दिल्ली, डॉ प्रीति प्रसाद बिलासपुर/मुंबई, सीताराम साहू निर्मल छतरपुर मप्र, डॉ. मकसूद, खैरागढ़ की विशेष तौर पर मौजूदगी रही।वहीं कई जिज्ञासु लेखिकाएं अर्चना पांडेय भिलाई, वीना आडवाणी तन्वी नागपुर, पारमिता षड़ंगी मुंबई, डॉ संगीता बनाफ़र बिलासपुर, हर्षा खेरा खन्ना, व मंजू चंद मुंबई ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। मंजू चंद की हिन्दी भाषा की दुर्दशा पर आधारित और संगीता बनाफ़र की सर्व धर्म समभाव पर आधारित रचनाओं को उपस्थित सभा ने बेहद सराहा।
इस कार्यक्रम में दो नवोदित कवयित्रियों ने हिस्सा लिया। “एक बंदूक और कलम की भावना से लबरेज़ दिल्ली से पैरामिलिट्री फोर्स में कार्यरत सुश्री प्रिंसी शुक्ला और मुंबई से पद्मश्री स्व. सुलोचना चव्हाण जी की पोती सुश्री आरती चव्हाण ने अपनी साहित्यिक प्रस्तुति में मंच पर मौजूद अभ्यगतों से प्रशंसा प्राप्त की। दोनो नवोदित कवयित्रियों ने संगठन के संस्थापक डॉ सैयद खालिद कैस व राष्ट्रीय अध्यक्ष शशि दीप के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर सभी उपस्थित अभ्यागतों ने अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित की।
इस कार्यक्रम की संयोजक शशि दीप ने नवोदित रचनाकारों द्वारा मंच के प्रति सम्मान को “विश्व साहित्य सद्भाव परिषद” की असली उपलब्धि बताया। विचार तथा काव्य गोष्ठी के अंत में डॉक्टर सैयद खालिद कैस ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमें नव वर्ष के अवसर पर प्रण लेना होगा कि हम अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी के उत्थान पर बल देंगे तथा साहित्य सद्भाव का वातावरण निर्मित कर एक समृद्ध सांस्कृतिक भारत का निर्माण करेंगे।