लव जिहाद के नाम पर पसरा पाखंड भारतीय संविधान का उल्लंघन कर रहा है

 

सैयद खालिद कैस भोपाल मध्यप्रदेश 

 

भोपाल ।मध्य प्रदेश में लव जिहाद के नाम पर जिस प्रकार का पाखंड पिछले दो तीन वर्षों में सामने आया वह काफी चिंता जनक था। शिवराज सरकार ने आनन फानन में मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 लागू कर दिया। जिसके अनुसार जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना सबसे अहम मुद्दा था। बेशक जबरन जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना जरूरी भी था ,मगर उसकी आड़ में जिस प्रकार का कुचक्र चलाया गया उससे कोई अंजान नही है। भारतीय संविधान हमे अपनी इच्छा अनुसार जीने,रहने,धर्म ,मान्यताएं मानने का अधिकार ही नहीं वरन शक्ति प्रदान करता है।जिसका उल्लघन होना असंवैधानिक माना जाता है। परंतु मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की आड़ में जिस प्रकार भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति अधिकारों का हनन हुआ वह चिंता का विषय है।गौर तलब हो कि इस प्रकार के कानून केवल भाजपा शासित राज्यो में ही अस्तित्व में आए,वही अल्पसंख्यक वर्ग को टारगेट बनाकर उत्पीड़ित किया गया है। अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति ने यदि धर्म परिवर्तन किया तो वापसी उसके लिए अधिनियम की कोई आवश्यकता नहीं।परंतु बहुसंख्यक वर्ग का व्यक्ति धर्म परिवर्तन करे तो कानून आड़े आता है। बेशक जबरन धर्म परिवर्तन अपराध होना चाहिए लेकिन स्वेच्छा से यदि धर्म परिवर्तन करे तो उसको प्रताड़ित करना,विवश करना न्यायसंगत नही है। प्राय :देखने में यही आ रहा है कि कानून की आड़ में कुछ लोग जो पाखंड मचा रहे हैं वह असंवैधानिक है।

 

पिछले दो वर्षों में मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 के तहत 113 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन सरकार ने दोषियों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। क्योंकि दर्ज मामलो में संबंधित को न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किया या नहीं इससे सरकार को सरोकार नही।केवल आंकड़े बढ़ाकर ,घटाकर अपनी पीठ खुद थपथपाने वाली सरकार समाज में व्याप्त अन्य कुरीतियों से अधिक इसको महत्व देती है। बेशक अधिनियम का उद्देश्य राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना है। परंतु यह साबित भी तो होना चाहिए कि जबरन धर्म परिवर्तन हुआ या किया या कराया गया है।केवल वर्ग विशेष,धर्म विशेष को टारगेट कर प्रोपोगंडा फैलाना समाज हित में नही है।

 

 

सरकार की रिपोर्ट अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में चालू वर्ष 2022 में अधिनियम के उल्लंघन के मामले घटकर 30 प्रतिशत रह गए हैं। अच्छी बात है कि सरकार ने अधिनियम का पालन कर जबरन धर्म परिवर्तन को रोका मगर क्या यह वास्तविकता है?

 

एडीजी, महिला सुरक्षा, प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 2021 में प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 लागू के बाद जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ 65 एफआईआर दर्ज की गईं, जबकि इस साल 2022 में अधिनियम के तहत 48 मामले दर्ज किए गए। उनके अनुसार सभी 65 मामलों में चार्जशीट कोर्ट में पेश की जा चुकी है। चालू वर्ष में 48 में से 34 मामलों में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है। चालू वर्ष में, मामले घटकर 48 रह गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 30 प्रतिशत कम है।

 

हालांकि, पुलिस और अभियोजन पक्ष के पास इस बात का कोई डेटा नहीं है कि कितने अभियुक्तों को अदालत ने दोषी ठहराया या बरी किया है। इसी महीने राज्य सरकार एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें 60 दिन पहले धर्म परिवर्तन की सूचना जिलाधिकारी को देना अनिवार्य है। जब सरकार के पास इस बात के प्रमाण नहीं है कि आरोपित किए गए लोगों में से कितने लोगों को न्यायालय ने दंडित किया तो फिर किस आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रदेश में जबरन धर्म परिवर्तन किया या कराया जा रहा है।