भोपाल। गत दिनों अचानक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टर ऑफिस परिसर से लगे लोकसेवा केंद्र का औचक निरीक्षण किया।जनता से सवाल किए और पूर्व नियोजित व्यवस्था के अनुसार उनको कोई कमी दिखाई नही दी।जबकि वास्विकता उसके बिलकुल विपरीत है।
लोकसेवा केंद्र की सेवाओं के नाम पर किस प्रकार जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है,इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र में जमा होने वाले जाती प्रमाण पत्र को डिजिटल बनवाने के प्रकरणों में से 50-60%प्रकरण अकारण निरस्त कर जनता की रकम को हडपा जा रहा है।
राजधानी के एमपी नगर सर्किल की माह 01 अप्रैल 2020 से 03 नवम्बर 2020 तक की सूचना का अधिकार अधिनियम में प्राप्त जानकारी अनुसार कुल 366 ऐसे जाती प्रमाण पत्र प्रकरणों का निराकरण किया गया तथा उसमें से RS/444/0117/2020, RS/444/0118/2020,RS/444/0121/2020,RS/444/0122/2020 की सीरीज़ के प्रकरण स्वीकृत तथा अस्वीकृत किये गए। जबकि जाती प्रमाण पत्र के प्रकरण अन्य पिछड़ा वर्ग RS/444/0106/2020 की सीरीज में और अनुजाति जनजाति RS/444/0108/2020 की सीरीज़ में आते हैं जो छिपाये गये हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट कौंसिल अध्यक्ष सैयद ख़ालिद क़ैस के अनुसार उनके द्वारा चाही गई जानकारी को छिपाकर उन प्रकरणों की जानकारी प्रकट की गई जो पृथक विषय के थे।साथ ही उक्त सूची को यदि आधार माना जाए तो 366 में से 100 प्रकरणों में निरस्त करने के कारण लोकसेवा केंद्र से मूल प्रकरण प्राप्त न होना दर्शाया गया। अर्थात लोकसेवा केंद्र की गलती से लोगों के प्रकरण सम्बंधित कार्यालय में नही पहुंचे और आवेदन निरस्त कर दिए गए इसमें आवेदक की क्या गलती थी जो उसके द्वारा दी गई फीस को हजम कर लिया गया।
श्री कैस ने बताया कि प्राप्त जानकारी अनुसार एक प्रकरण RS/444/0117/1252/2020 को केवल इस लिए निरस्त किया गया क्योंकि उसमें आधार नम्बर गलत था।जो कि आधार कार्ड जाती प्रमाण पत्र निरस्ती का कोई आधार नही है। वही प्रकरण क्रमांक RS/444/0117/2043/2020,
RS/444/0117/2048/2020,तथा RS/444/0117/2219/2020 को निरस्त करने के कारण मूल दस्तावेज समय सीमा के बाद प्राप्त होने के कारण बताया गया। आश्चर्य की बात है कि आवेदक द्वारा जमा किया गया प्रकरण यदि लोकसेवा केंद्र से एमपीनगर सर्किल समय पर नही पहुंचता है तो इसके लिए आवेदक ज़िम्मेदार कैसे हुआ।
प्राप्त जानकारी अनुसार सितम्बर 2020 में प्रकरण क्रमांक RS/444/0117/1697/2020 तथा RS/444/0117/1701/2020 में निरस्त करने के कारण दिनाँक 03/09/2020 रजिस्ट्रेशन नम्बर सही नही होना दर्शाया गया। एवं RS/444/0117/3136/2020 में प्रकरण क्रमांक दर्ज नही दर्शाया ।अब सवाल यह उठता है कि प्रकरण दर्ज नही होना या रजिस्ट्रशन नही होना लोकसेवा केंद्र की गलती है न कि आवेदक की गलती। अक्टूबर 2020 के ऐसे ही एक मामले में RS/444/0117/2091/2020 में आवेदक द्वारा आय के संबंध में कोई दस्तावेज नही होने पर आवेदन निरस्त किया गया है।जबकि शिवराज सरकार अनुसार जाती प्रकरणों में केवल आय सम्बन्धी घोषणा पत्र पर्याप्त होता है।ऐसे में प्रक्ररण निरस्ती का कारण मनमर्जी के सिवा कुछ नही।
प्राप्त जानकारी अनुसार एमपीनगर सर्किल में वर्षो से जमा एक कर्मचारी रुपये नही मिलने पर प्रकरण निरस्त करता रहा है।जिसके विरुद्ध कलेक्टर को शिकायत के बाद अपर कलेक्टर द्वारा हटाने के बावजूद नियम विरुद्ध रोका गया और पुनः शिकायत होने पर अंततः उसको हटाया गया।सूत्रों के अनुसार उस कर्मचारी द्वारा भी प्रकरणों को निरस्त किया जाना भी साबित हुआ है।क्योंकि रूपये नही मिलने पर वही ही प्रकरणों का निराकरण करता था।
श्री क़ैस ने कहा कि एमपीनगर सर्किल की यह जानकारी तो एक अंश मात्र है पुरे भोपाल में हज़ारो प्रकरणों निरस्त कर लोकसेवा केंद्र एवं सर्किल ऑफिस के अनियमित आचरण के फलस्वरूप हर माह आवेदकों के लाखों रूपये की आहूति चढाई जाती है। और लोकसेवा की सेवाओं का ढिंढोरा पीटकर शासन से वाहवाही लूटी जाती है।