बिलासपुर से लौटकर सैयद ख़ालिद कैस
भोपाल । पत्रकार सुरक्षा की देश भर मेँ अलख जगाने वाले संगठन “अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति भारत” का एक मात्र उद्देश्य पत्रकारों की रक्षा और उनका कल्याण है । इसी उददेश्य की पूर्ति के लिऐ बिलासपुर से उठी आवाज गुजरात के राजकोट मेँ एक अखिल भारतीय संगठन के रूप मेँ देश के क्रांतिकारी पत्रकार की आवाज बना है । परन्तु विगत कुछ माह से abpss के क्रांतिकारी साथियों पर खनिज माफिया अपराधियों के साथ पुलिस की साठगांठ के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है वह पत्रकारों के लिऐ अत्यंत दुखदायी है ।
24 नवम्बर को जब यह समाचार मिला कि अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एवं दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक गोविन्द शर्मा , राष्ट्रीय संगठन महासचिव राकेश प्रताप सिंह परिहार और बिलासपुर इकाई के अध्य़क्ष एवं लाइफ ओके के ब्यूरो हेड अमित सन्तवानी पर कोल माफ़िया द्वारा किए गए प्राणघातक हमले मेँ गोविन्द शर्मा को गंभीर चोटे आई , मन विचलित होगया और हम पहुंच गए बिलासपुर ।
बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल के आईसीयू मेँ भर्ती गोविन्द शर्मा का शरीर चोटों से भरा था , धारदार हथियार से उनके दाहिने हाथ की नसों को काटा गया था , छाती पर गहरे जख्म थे , सिर के पिछले हिस्से मेँ लगी अंदरूनी चोट के कारण अर्ध मूर्च्छित अवस्था मेँ पड़े गोविन्द शर्मा के पूरे शरीर मेँ चोटों के निशान और दर्द का अहसास उनके हमेशा मुस्कुराते हुए खुशमिजाज़ चेहरे पर स्पष्ट नज़र आ रहा था ।
मुझे जानकर आश्चर्य हुआ कि घटना के 24घंटे के बाद भी पुलिस द्वारा एफआईआर तक दर्ज नही की थी । जबकि गोविन्द शर्मा , राकेश परिहार और अमित सन्तवानी ने थाने मेँ रिपोर्ट करनी चाही जिसे लिखा नही गया , यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि क़लम के सिपाही की फ़रयाद को पुलिस द्वारा माफिया के दबाव मेँ ना सिर्फ दबाया वरन कुचलने का भरसक प्रयास किया । पुलिस का रवैया निंदनीय रहा ।
कल शाम होते होते सरगाव थाना प्रभारी द्वारा गोविन्द शर्मा , राकेश परिहार और अमित सन्तवानी के केवल बयान लेकर इतिश्री कर ली । परन्तु एफआईआर नही कर जांच की बात कहकर अपना दामन बचा लिया ।
यहां एक बात सामने आई कि गोविन्द शर्मा और अन्य द्वारा कोल माफ़िया द्वारा किए जा रहे गोरखधंधे को उजागर करने के लिए जब खनिज अधिकारी और सरगाव थाने मेँ आरटीआई लगाई तो उसकी जानकारी आरोपियों को किसने दी , साफ ज़ाहिर था कि खनिज विभाग और पुलिस की मिलीभगत से यह सब हो रहे हैं । पुलिस बयान मेँ यह बात भी उजागर हुई कि आरोपियों द्वारा बिलासपुर पुलिस अधीक्षक को रकम देने की स्वीकारोक्ति , एसपी द्वारा एफआईआर नही होने देना , आईजी का नही मिलना और पुलिस द्वारा इतने संगीन मामले को रफादफा करने का प्रयास बखूबी अंजाम दिया गया । मगर समाचार पत्रो एवं न्यूज़ पोर्टलों पर चली खबरों ने पुलिस को मजबूर किया जो वह बयान लेने आई । अमित सन्तावानी द्वारा पूर्व मेँ अपनी जान के खतरे के दिए गए आवेदनो पर पुलिस द्वारा संज्ञान नही लेना भी पुलिस और माफ़िया के संबंधो को उजागर करता है । यह पहला मामला नही जो रमन सरकार मेँ हुआ हो । अभी कुछ माह पूर्व ही एक पत्रकार द्वारा रायगढ़ पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी का प्रयास किया था । उस मामले मैं भी माफ़िया द्वारा पुलिस के साथ मिलकर सौरभ अग्रवाल नामक पत्रकार पर निरन्तर झूठे मुकदमे दर्ज कर प्रताड़ित किया गया था ।
गोविन्द शर्मा , राकेश परिहार और अमित सन्तवानी के साथ माफिया द्वारा योजनाबद्ध तरीके से प्राणघातक हमला करने , गोविन्द शर्मा व अन्य की लोकेशन अपराधियों को बताने , थाने से कुछ दूर के फासले पर गोविन्द शर्मा का अपहरण होना , पूजा ढाबा नामक स्थान पर कोल माफ़िया के 20-25 गुर्गो का होना , आचार संहिता के बावजूद पुलिस का लचीलापन , घटना की एफआईआर दर्ज नही करना , यहां तक के शिकायत लेने से इनकार करना , अपराधियों का एसपी और टीआई का नाम लेकर यह कहना कि उनकी जानकारी मेँ है इस घटना का होना , एसपी और टीआई को माफ़िया द्वारा धन देने की स्वीकारोक्ति यह सब इस बात का प्रमाण है कि रमन सरकार मेँ पत्रकार सुरक्षित नही और पत्रकारिता का कत्ल किया जा रहा है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माफ़िया और पुलिस की साठगांठ के कारण मरणासन्न अवस्था मेँ है और क्रांतिकारी पत्रकारों का जीवन असुरक्षित !
छत्तीसगढ़ प्रदेश मेँ जिस तरह पत्रकारो का शोषण हो रहा है वह किसी से छिपा नही । पत्रकारों की हत्या , हत्या के प्रयास की घटनाओं की बढ़ोत्तरी रमन सरकार की नाकामी को उजागर करती है । आपराधिक प्रष्ठ भूमि के लोगो को सरकार का संरक्षण इस बात का प्रमाण है कि आए दिन प्रदेश मेँ पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं , वही रमन सरकार ने पत्रकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने से भी यह साबित होता है कि रमन सरकार पत्रकार विरोधी है ।
बिलासपुर जिले व उनसे लगे हुए अन्य क्षेत्रो में खनिज माफिया का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, पहले खनिज माफिया साधारण कार्यवाहियों में लिप्त था जो अब बड़ा रूप लेकर संगठित अपराधियों के सामान हो गयी है और पुलिस का संरक्षण मिलना अपराध और अपराधियों के लिए वरदान साबित हो रहा है ।
क्या है मामला –
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा, जिलाध्यक्ष अमित संतवानी व राकेश परिहार मुंगेली जिले के एक थाने से खनिज माफिया के खिलाफ आरटीआई लगाकर बाहर आ रहे थे इस दौरान मुख्य मार्ग पर खनिज माफिया से जुड़े आकाश सिंघल, अमित अग्रवाल, अनिरुद्ध अग्रवाल और राजू सिंह सहित कई अन्य लोगो ने रास्ता रोक लिया व उन्हें पास के ही ढाबे में ले गए| ढाबे में पहले से ही 25 से भी ज्यादा हथियारबंद खनिज माफिया के गुर्गो ने इन पत्रकारों पर जानलेवा हमला करते हुए धारदार हथियारों से मारपीट किया| इस हमले में प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द शर्मा को गंभीर चोटे आई है वही अन्य पत्रकार भी घायल हुए है| इस मामले में बिलासपुर सिविल लाइन थाने में आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिऐ जो दर्ज नही की गई ।