खंडवा की घटना पर राजनैतिक दलों की खामोशी चिंताजनक

पुष्पा चन्देरिया अधिवक्ता ,समाजसेवी भोपाल।

गत दिनों मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक आदिवासी महिला से गैंगरेप के बाद उसकी अमानवीय हत्या ने एक बार फिर पूरे देश के ध्यान में दिल्ली के निर्भया कांड की घटना को ताज़ा कर दिया। दिल्ली के निर्भया कांड में केंद्र सरकार सहित दिल्ली सरकार की ईंट से ईंट बजाने वाली पार्टियां, दल और कथित समाजसेवी अब गायब नजर आ रहे हैं।कांग्रेस सहित अन्य मुठ्ठी भर लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद खंडवा की अमानवीय घटना पर धीरे धीरे धूल पड़ने लगी है। खंडवा की घटना की अमानवीयता पर जिस प्रकार सत्ता पक्ष की खामोश नजर आ रही है वह चिंताजनक है। महिला अधिकारों का ढोल पीटने वाली सरकार के मुखिया की खामोशी और सत्ता धारी दल की महिला नेत्रियां ,मंत्रियों,सांसदों ,जनप्रतिनिधियों की खामोशी एक अजीब संदेश दे रही है। दिल्ली की निर्भया घटना पर राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले अब जिस तरह बिलों में घुस गए हैं उससे उनकी महिला खास तौर पर दलित विरोधी मानसिकता का परिचय हुआ है।

यहां में खंडवा की घटना का पूर्ण वृतांत नहीं बता रही क्योंकि हर कोई इस घटना से परिचित है। यहां में मध्य प्रदेश में महिला अत्याचार की घटनाओं पर प्रकाश डाल रही हूं। खंडवा की घटना कोई पहली घटना नहीं इससे पहले सैंकड़ों ऐसी घटनाओं ने महिला उत्पीड़न के मामलों को उजागर किया है।

गौरतलब हो कि 2024 के एक सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की 15, अपहरण व बंधक बनाने की 31 और छेड़छाड़ की 20 घटनाएं दर्ज की गई है। विगत वर्षों में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। पिछले वर्ष में दुष्कर्म, अपहरण और छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। पुलिस की सुस्ती और कमजोर खुफिया तंत्र के कारण अपराधियों में पुलिस का डर नहीं है। महिला सुरक्षा के लिए विशेष नीतियों और अभियानों की आवश्यकता है।मध्य प्रदेश की आधी आबादी यानी बालिकाओं और महिलाओं को घर से बाहर निकलते ही डर सताने लगता है। यह भय है- अपहरण, दुष्कर्म, दुष्कर्म के प्रयास और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं के कारण अपने आपको असुरक्षित महसूस करती हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार के नारी सशक्तीकरण के सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं, और उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए सारे नियम-कानून बेकार साबित हो रहे हैं।राजधानी भोपाल के थाना शाहजहानाबाद में 05वर्षीय मासूम बालिका के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले को हम भूल नहीं सकते ।बेशक न्यायालय द्वारा दोषी को उम्र कैद ओर उसकी मदद करने वाली मां बहन को भी दंडित किया है लेकिन क्या यह सब अपराध को रोकने में सहायक होंगे।क्या महिल अत्याचार पर अंकुश लगेगा।कब तक सरकार और पुलिस की नाकामी के कारण महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस करती रहेंगी।

आखिर कब इस सब पर अंकुश लगेगा आखिर कब।