पत्रकारिता की आचार संहिता का महत्व वर्तमान संदर्भ में कितना आवश्यक 

 

सैयद खालिद कैस

संस्थापक अध्यक्ष

प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स

 

वर्तमान समय में मीडिया की अहमीयत किसी से छिपी नहीं है। जीवन के प्रत्येक विषयों में मीडिया बनाम पत्रकारिता ने अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। यह प्रभुत्व स्थापित हुआ जब हमारे तमाम पत्रकार भाईयों ने सत्य की उजागर करने के संघर्ष में अपने प्राण तक दाव पर लगाये और निरन्तर चौथे स्तम्भ को बचाने के लिये संघर्ष जारी है। फर्जी मुदकमों का हमला तमाम सरकारे व माफिया जगत के लोग करते हे है। बड़ी संख्या में पत्रकारों में भय पैदा कर सत्य आधारित लेखनी को कुचलने के प्रयास चलते रहे हैं बावजूद इसके पत्रकारों ने अपनी जान गवां पर सत्य का मस्तक झुकने नही दिया।

 

वर्तमान समय में निष्पक्ष पत्रकारिता पर हो रहे हमलों के बीच पत्रकारों की एक ऐसी भी बिरादरी का उदय हुआ है जिनको पत्रकारिता के मापदंड,शक्ति,अधिकार तथा उसके मूल्य से कोई सरोकार नहीं है।उनका ध्येय केवल और केवल सनसनी फैलाना,भय का माहौल निर्मित करना तथा अपने चैनल्स की टीआरपी बढ़ाना। यह रोग अक्सर प्रिंट मीडिया के मुकाबले इलेक्ट्रानिक मीडिया ,न्यूज चैनल्स में अधिक देखी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हेट स्पीच मामले में ऐसे ही चैनल्स के पर कतरे थे। आज के आलेख में हम आप पाठकगण को पत्रकारिता की आचार संहिता से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं ताकि पत्रकारिता के उचित मापदंड स्थापित होकर निष्पक्ष पत्रकारिता का पुन: उदय हो फिर से पत्रकारिता का खोया हुआ महत्व स्थापित हो।फिर से जनमानस के बीच पत्रकरिता की अस्मिता को बचाने का प्रयास हो।निष्पक्ष पत्रकारिता जीवित हो तथा पत्रकारों तथा पत्रकारिता पर हो रहे हमलों को रोका जा सके।

 

पत्रकारिता की आचार संहिता:

समाचार देते समय पत्रकार न्यायनिष्ट रहें: समाचार प्रकाशन से पूर्व पत्रकार को संबंधित समाचार के संबंध में न्यायनिष्ट आचरण अपनाना चाहिए।ताकि जनमानस के बीच पत्रकारिता की अस्मिता कायम रहे।

 

जातीय, धार्मिक और आर्थिक मामलों पर लिखते समय विशेष सावधानी और निष्पक्षता बरती जाये:पत्रकार को ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसा न हो कि उनके समाचार से जातीय, धार्मिक और आर्थिक मामलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े जो समाज तथा देश के लिए हानिकारक हो।

 

समाचारों में तथ्यों को तोडा मरोड़ा न जाये न कोई सूचना छिपायी जाये:समाचार को सनसनीखेज बनाने के चक्कर में समाचारों में तथ्यों को तोड मरोड़ कर प्रकाशित न जाये न कोई ऐसी सूचना छिपायी जाये जिसको उजागर करना समाज तथा।देश के लिए आवश्यक हो।

 

व्यावसायिक गोपनीयता का निष्ठा से अनुपालन: गोपनीयता बनाए रखते हुए समाचार प्रकाशित किया जाए ।

 

पत्रकारिता के माध्यम से व्यक्तिगत हितों का पोषण न करें: समाचार प्रकाशन में व्यक्तिगत हितो से अधिक सार्वजनिक हितों को महत्ता दिया जाए। हमेशा यह प्रयास हो कि पत्रकारिता के माध्यम से व्यक्तिगत हितों का पोषण न हो।

 

पत्रकार अपने पद और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यो के लिए न करें:पत्रकारिता की आचार संहिता का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि पत्रकारिता में पत्रकार अपने पद और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यो के लिए न करें। जिसके कारण सम्पूर्ण पत्रकारिता पर कलंक लगे।

 

रिश्वत लेकर समाचार छापना या न छापना अवांछनीय, अमर्यादित और अनैतिक है।

किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में अफवाह फैलाने के लिए पत्रकारिता का उपयोग नहीं किया जाये। यह पत्रकारिता की मर्यादा के खिलाफ है। अगर ऐसा समाचार छापने के लिए जनदबाव हो तो भी पत्रकार पर्याप्त संतुलित रहे।

गौर तलब हो कि कुछ साल पहले देश के अभूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अव्दुल कलाम के हस्ताक्षर से एडीटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने एक पत्रकार व्यवहार संहिता भी जारी की थी। इसमें भी काफी मनन के बाद कई बिंदुओं को शामिल किया गया था। जिसकी कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-

पर्याप्त समय सीमा के तहत पीड़ित पक्ष को अपना जवाब देने या खंडन करने का मौका दें।

किसी व्यक्ति के निजी मामले को अनावश्यक प्रचार देने से बचें।

किसी खबर में लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उसमें अतिश्योक्ती से बचें।

निजी दुख वाले दृश्यों से संबंधित खबरों को मानवीय हित के नाम पर आंख मूंद कर न परोसा जाये।मानवाधिकार और निजी भावनाओं की गोपनीयता का भी उतना ही महत्व है।

धार्मिक विवादों पर लिखते समय सभी संप्रदायों और समुदायों को समान आदर दिया जाना चाहिए।

 

अपराध मामलो में विशेषकर सेक्स और बच्चों से संबंधित मामले में यह देखना जरूरी है कि कहीं रिपोर्ट ही अपने आप में सजा न बन जाये और किसी जीवन को अनावश्यक बर्बाद न कर दे।

 

चोरी छिपे सुनकर (और फोटो लेकर) किसी यंत्र का सहारा लेकर ,किसी के निजी टेलीफोन पर बातचीत को पकड़ कर ,अपनी पहचान छिपा कर या चालबाजी से सूचनाएं प्राप्त नहीं की जायें। सिर्फ जनहित के मामले में ही जब ऐसा करना उचित है और सूचना प्राप्त करने का कोई और विकल्प न बचा हो तो ऐसा किया जाये।

पत्रकारिता की आचार संहिता के महत्वपूर्ण नियमों का अनुपालन निष्पक्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता का महत्त्वपूर्ण आयाम है जिसके आभाव में पत्रकारिता की अस्मिता को आघात पहुंचता है।