मध्यप्रदेश में पुलिस के आतंक से भयभीत पत्रकार बिरादरी

भोपाल। देश भर में पत्रकारों की हालत चिंताजनक है।इसलिए नही कि आर्थिक रूप से सक्षम नहीं, वरन इस लिए कि अब कलम चलाने के कारण असुरक्षा की भावना जगह बना चुकी है। एक जमाना वह था जब पत्रकार सरकार,भ्रष्टाचार को बेनकाब करता था अपनी कलम के दम पर सरे बाज़ार नंगा करता था अब यह दिन देखने को मिल रहे हैं कि सरकार ,नेता और पुलिस पत्रकारों को नंगा कर रही है और बेशर्मी के साथ सफाई भी दे रही है।

बलिया में सरकार के कुरूप चेहरे को उजागर करने पर पत्रकार पर मुकदमा बनता है उसे जैल भेजा जाता है,जबकि पत्रकार द्वारा सरकार के पाखंड को उजागर किया जिसके बदले में उसे जेल मिली वही मध्यप्रदेश में पुलिस और राजनेता के पाखंड को उजागर करने के बदले में पत्रकार को थाना परिसर में अपमानित किया गया।

गौर तलब हो कि मध्यप्रदेश में पत्रकारों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है । शिवराज सरकार का पत्रकारों के प्रति सौतेला व्यवहार विकराल रूप धारण कर चुका है।पुलिस प्रताड़ना ,झूठी एफ आई आर अब आम बात हो गई है। पत्रकारों का उत्पीड़न दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

ताजा मामले में मध्यप्रदेश के जिला सीधी पुलिस ने

BJP विधायक के खिलाफ़ ख़बर लिखने पर पत्रकारों के खिलाफ FIR दर्ज़ ही नही की वरन पुलिस ने पत्रकारों को थाने में बुलाकर अर्धनग्न अवस्था में खड़ा कर दिया है।इनमें से ज्यादातर यूट्यूब चैनल चलाते हैं।

पीड़ित पत्रकार कनिष्क तिवारी बघेली में अपने यूट्यूब चैनल पर खबरें चलाते हैं।उनके चैनल के सवा लाख सब्सक्राइबर हैं।

बताया गया है कि इन पत्रकारों ने भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के खिलाफ ख़बरें चलाई थीं जिससे विधायक शुक्ला नाराज़ थे। उनके कहने पर सीधी पुलिस ने कनिष्क और उनके साथियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।

पुलिस का कहना है कि ये लोग फर्जी आईडी से भाजपा सरकार और विधायकों के खिलाफ लिखते और ख़बरें दिखाते हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि कनिष्क तिवारी द्वारा स्थानीय विधायक के कुकर्मों को उजागर किया ,पुलिस की कारगुजारियो को आमजन तक पहुंचाया जिसके बदले में उसको और उसके साथियों को अपमान झेलना पड़ा।

 

सीधी कांड में बेशर्मी की पराकाष्ठा तो देखिए तत्कालीन कोतवाली थाना प्रभारी अपने बचाओ में कहता है कि कोई हिरासत में कपड़ो से फंदा बनाकर आत्म हत्या न करे इसलिए कपड़े उतारकर हिरासत में रखा जाता है।

उक्त प्रकरण की जानकारी सोशल मीडिया पर जिस तेजी से फैली उसका उतना विरोध हुआ । स्वयं मुख्य मंत्री ने संज्ञान लिया । परिणाम स्वरूप कोतवाली थाना प्रभारी सहित अन्य को पहले लाइन हाजिर किया गया बाद में निलंबित किया गया।जांच भी बैठा दी जांच जारी है। मामले में मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया और रिपोर्ट मांगी।

 

इस पूरे घटना क्रम में जिस विधायक की भूमिका थी उसको बड़ी सफाई से क्लीन चिट दे दी गई।खाना पूर्ति के लिए पुलिस वाले निलंबित किए गए।परंतु यह सजा उपयुक्त है,बिलकुल नहीं। थाना प्रभारी द्वारा स्थानीय विधायक की चाटुकारिता के नाम पर जिस प्रकार पीड़ित पत्रकार वा उसके साथियों को अपमानित किया गया निसंदेह बड़ा अपराध है।

 

*प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने दोषी पुलिस वालो पर आपराधिक मामला दर्ज करने की रखी मांग*

 

प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संस्थापक अध्यक्ष सैय्यद खालिद कैस ने सीधी की इस घटना की तीखी निंदा करते हुए मुख्य मंत्री एवं पुलिस महानिदेशक से तत्काल कार्यवाही की मांग की तथा दोषी पुलिस को दंडित करने की भी मांग की। उनके द्वारा मांग की गई कि दोषी पुलिस वालो पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।

सीधी की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान समय में सत्ता,संगठन ,पुलिस सब अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर पत्रकारिता के चौथे स्तंभ को आघात पहुंचा रहे है। पत्रकार बिरादरी भय और आतंक के बीच अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रही है।