गुजरात की खबर को दबाने का माध्यम बनी फ़िल्म द केरल स्टोरी

सैयद खालिद कैस की कलम से

देश के सबसे बड़े साक्षरता दर वाले राज्य केरल की साक्षरता की कुल दर 94% है। यह एक ऐसा राज्य है जिसने साक्षरता को हमेशा बढ़ावा दिया।केरल देश के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है, जिसने दक्षिणपंथी धार्मिक भावनाओं को खारिज कर दिया। ऐसे प्रगतिशील आदर्श राज्य का नाम इन दिनों गुजरात माडल के समर्थकों द्वारा जमकर उछाला जा रहा है। गुजरात मूल के निर्देशक विपुल शाह के निर्देशन में बनी एक काल्पनिक कहानी पर आधारित इस फिल्म ने पूरे देश को चर्चा का मुद्दा दे दिया है।मुद्दा भी देशहित का नही बल्कि समाज को विघटित करने का, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का है। फिल्म के टीजर में जिस प्रकार एक झूठे तथ्य को उजागर कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया है, आगे जाकर उसी के तथ्य को फिल्म के निर्माता, निर्देशक ने स्वीकार करने से किनारा कर लिया जिसने साबित कर दिया कहानी झूठी तो है ही बल्कि निराधार तथ्यों पर आधारित एक झूठ का पुलिंदा है।
जी हां मैं बात कर रहा हूं केरल की लड़कियों के लापता होने पर बनी विवादित फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की। जो इन दिनों सुर्खियों में हैं, दक्षिण पंथी विचार धारा वाले जहां इस फर्जी पटकथा पर आधारित आधारहीन फिल्म को जिस प्रकार प्रमोट कर रहे हैं उसका भी देश भर में विरोध देखने में आ रहा है। बेशक फिल्में समाज का आइना होती हैं लेकिन उस आईने में गलत, ओ क्यूमनघड़त तस्वीर डालने से समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा उसको जानते हुए समाज में द्वेष फैलाना भी राष्ट्र द्रोह से कम नहीं है।

फिल्म “द केरल स्टोरी” के पक्ष, विपक्ष में चल रही चर्चाओं के बाजार गरम के बीच अचानक एक खबर ने सबको चौंका दिया। खबर थी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में गुजरात की महिलाओं के लापता होने का चौंकाने वाला आंकड़ा।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों वर्ष 2016से 2020 में देश का आदर्श माडल कहलाए जाने वाले राज्य गुजरात से 40 हजार से ज्यादा महिलाएं गायब हो चुकी हैं। उस राज्य से जहां एक लंबे समय से भाजपा सत्ताधारी है, उस राज्य से जहां से माननीय प्रधानमंत्री , गृह मंत्री आते हैं, उस राज्य जिसकी मिसालें देश की मीडिया देती देती थकती नही है। आज उसी आदर्श राज्य गुजरात का दामन दागदार हो गया है। लेकिन एक सुनियोजित ढंग से गोदी मीडिया द्वारा इस खबर को छुपाने के लिए फिल्म “द केरल स्टोरी” को समाज के बीच परोसकर विवाद निर्मित किया गया ताकि जनमानस का ध्यान गुजरात की इस घटना पर से हट जाए तथा पक्ष विपक्ष की राष्ट्रीय बहस में उलझा देश राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात से लापता 40 हजार से अधिक महिलाओं की सत्यता से अनभिज्ञ रहे।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक के अनुसार 2016 में 7105, 2017 में 7712, 2018 में 9246 और 2019 में 9268 महिलाएं गुजरात से लापता हुईं। वहीं वर्ष 2020 में 8290 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली है। इस प्रकार 2016से 2020 के इन पांच साल में गुजरात से कुल 41,621 महिलाएं लापता हुई हैं। 2021 में विधानसभा में गुजरात सरकार ने एक बयान में कहा था कि 2019-20 में अहमदाबाद और वडोदरा में 4722 महिलाएं लापता हो गईं। लापता लड़कियों और महिलाओं को अन्य राज्यों में भेज दिए जाने तथा उनसे वेश्यावृत्ति करवाये जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है। गुजरात की इस खौफनाक सच्चाई को सुनियोजित तरीके से मीडिया से छुपाए रखा जाना भी साजिश को और इशारा करता है। अचानक इस खबर के प्रकाशन प्रसारण से घबराई सरकार ने बड़े साधे अंदाज में देश में फिल्म “द केरल स्टोरी” को परोसकर जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास किया है। यह षड्यंत्र ठीक उसी तरह था जैसे पुलवामा में शहीदों की घटना को राजनैतिक लाभ के उद्देश्य से भुनाया गया। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी के रहस्य उद्घाटन के बाद जिस तरह उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की घटना को दबाने का नाकाम प्रयास जगजाहिर है। उसी प्रकार गुजरात से लापता हुई 40 हजार महिलाओं की खबर को छुपाने का प्रयास है विवादित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’
फिल्म के टीजर में केरल में `32000` लड़कियों के धर्म परिवर्तन के फर्जी आंकड़े बताए गए हैं जिनका हकीकत से कोई सरोकार नहीं है। देश की जानी मानी फ़ैक्ट चेक एजेंसी ऑल्टन्यूज ने इन आंकड़ों को फर्जी बताया था. उनके अनुसार जब उन्होंने इस बारे में फिल्म के निर्देशक सुदिप्तो सेन से अधिक जानकारी और डाटा मांगा तो श्री सेन ने एक व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से जवाब दिया कि, “फिल्म रिलीज होने के बाद मैं अपना डाटा शेयर करूंगा। मैं अपनी फिल्म के मकसद को पहले ही जाहिर क्यों करूं?” फिल्म रिलीज हुए तीन दिन हो गए हैं लेकिन फिल्म के निर्देशक सुदिप्तो सेन ने कोई प्रमाण प्रस्तुत नही किया है।

फिल्म के निर्देशक सुदिप्तो सेन ने स्वयं फिल्म में यह दावा किेया गया है कि 32 हजार लड़कियों के धर्मांतरण का आंकड़ा काल्पनिक है। फिल्मी दावे के मुताबिक धर्मांतरण के पीछे लव-जिहाद जैसी साजिश के आरोप मनगढ़ंत हैं। यहां यह बात हजम नही हो रही कि एक प्रदेश से 32हजार लड़कियां साजिश के तहत आई ए एस के लिए काम पर लगाई गई, केरल में आई ए एस अपना नेटवर्क जमाए रहा और देश का गृह मंत्रालय तथा ढेरो जांच एजेंसियां कान में रुई ठूसे पड़ी थी, आंखों पर पट्टी बांध कर रखी थी, वह जांच एजेंसियां जो एक पल में देश में हलचल मचा सकती हैं वह केरल में 32हज़ार लड़कियों के साजिश के तहत धर्मांतरण उपरांत विदेश भेजे जाने से कैसे अंजान रह गई। फिल्म में किए गए लव जिहाद के मुद्दे पर 9 नवंबर 2009 को केरल के DGP ने 18 रिपोर्ट सौंपते हुए एक हलफनामा दायर करते न्यायालय को बताया था कि केरल में आपराधिक गतिविधि या किसी आतंकी संगठन के शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी 1 दिसंबर 2009 को हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया था कि देश में कोई लव जिहाद आंदोलन या संगठन अस्तित्व में नहीं है। ऐसे तथ्यों को छिपाकर लव जिहाद के नाम पर फैलाई जा रही झूठ को रोकने के स्थान पर सरकार का समर्थन न्यायहित में उचित नहीं लगता। वहीं गुजरात में 40हजार महिलाओं के लापता होने के वास्तविक तथ्य को छिपाना साजिश का हिस्सा लगता है।केरल में महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता करने वाली भाजपा तथा केंद्र सरकार के गुजरात मुद्दे पर खामोशी इनके दोगलेपन को उजागर करता है। लेकिन सत्य को छिपाना आसान नहीं होगा।लहू पुकारेगा आस्तीनो से।