भोपाल । @khalidqais786
समाज में महिलाओं को मिले अधिकारों एवं स्वतंत्रता का मूल उददेश्य महिलाओं को , उनके हितो को संरक्षित करना था । यही कारण था कि सरकार ने ढेर सारे क़ानून बनाकर महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया । महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न पर रोकथाम के कारगर नियम बनाऐ। जिसका परिणाम यह हुआ कि पुरुष प्रधान समाज कई मामलों मैं दोषी ना होते हुऐ भी दण्डित हुआ । एक ऐसा ही मामला इन्दौर में उजागर हुआ जिसने यह साबित कर दिया कि महिलाऐं हमेशा सही नही होती और पुरुष भी महिला उत्पीड़न का शिकार होता है । परन्तु न्यायलय अब भी न्याय दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैँ ।
क्या है मामला –
इन्दौर के एक कुटुंब न्यायालय ने एक लव मैरिज विवाद का निपटारा करते हुए महिला को आदेशित किया कि वो उस व्यक्ति को हनीमून का पूरा खर्चा वापस करे जिससे उसने लव मैरिज की थी। इतना ही नहीं प्रेमी ने उसे जितने भी उपहार दिए थे वो भी वापस करने के आदेश दिए हैं। इस केस में एक विवाहित महिला ने खुद को अविवाहित बताकर एक युवक के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली थी एवं उससे कई उपहार भी लिए थे। महिला, अपने प्रेमी पति के साथ हनीमून पर भी गई थी जिस पर 7 लाख रुपए खर्चा हुआ।
गौरतलब हो कि दिल्ली निवासी मेजर अंकुर सिंह ने 19 जनवरी 2019 को पुलिस से शिकायत की थी कि इंदौर में पदस्थ रहे एक सीएसपी की पत्नी और महिला एवं बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी ने खुद को अविवाहित बताकर उसे प्रेमजाल में फंसा लिया। महिला ने मेजर के साथ आर्य समाज में शादी की थी। शिकायत में अंकुर सिंह ने यह भी कहा था कि सीएसपी की पत्नी से उनकी मुलाकात सोशल मीडिया पर हुई थी। महिला ने खुद की उम्र 24 साल बताते चेटिंग की थी। दोनों ने आर्य समाज में विवाह भी कर लिया था। पुलिस में शिकायत के साथ ही मेजर ने विवाह शून्य घोषित करने के लिए कुटुम्ब न्यायालय में गुहार लगाई थी। शून्य घोषित करने के साथ ही यह फैसला न्यायालय ने दिया।
कोर्ट में क्या फैसला सुनाया
मेजर व सीएसपी की पत्नी का आर्य समाज में हुआ विवाह गुरुवार को न्यायालय ने शून्य घोषित किया था। कोर्ट के आदेश के तहत सीएसपी की पत्नी मेजर को उक्त रुपए और गहनों की राशि वापस करेगी। साथ ही मानसिक परेशानी के लिए पांच लाख रुपए भी देने होंगे। गुरुवार को विवाह शून्य घोषित करने के साथ ही मेजर ने आभूषण वापस दिलाने, हनीमून पर खर्च सात लाख रुपए व मानसिक परेशानी के लिए पांच लाख रुपए दिलाने आवेदन दिया था। कोर्ट ने याचिका को प्रमाणित पाकर स्वीकार किया है। इसके बाद प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश ने प्रार्थी को आभूषण की कीमत 1 लाख 22 हजार 721 रुपए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 27 के तहत वापस पाने का भी हकदार माना है। प्रकरण का खर्च भी प्रतिप्रार्थी को वहन करने का आदेश दिया है।