चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने किया प्रहार,चुनाव आयोग क्या निष्पक्ष नहीं रहा?
तीन चरण के चुनाव सम्पन्न होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नही करने पर प्रेस क्लब ऑफ इंडिया सहित अन्य ने किया एतराज ,भारत के मुख्य चुनाव आयोग निर्वाचन सदन नई दिल्ली को लिखा पत्र
शशि दीप मुंबई की रिपोर्ट
भारत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक है और आम चुनाव को “लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार” माना जाता है।वर्तमान समय में भारत लोकसभा चुनावों का महासंग्राम चल रहा है। सत्ताधारी एनडीए सहित समस्त विपक्षी दल जोर आजमाइश में लगे हैं।चुनाव आयोग एक महत्वपूर्ण अंग है जो आजादी के बाद से पूरे देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव संपादित कराता आया है लेकिन 2014के बाद से ही चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं।वर्तमान स्थिति में भी देश में हुए तीन चरण के चुनाव में ऐसा कुछ हुआ जिस पर चुनाव आयोग को त्वरित कार्यवाही करनी थी लेकिन ऐसा हुआ नही।ऐसे में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर लगातार हो रहे हमलों की खबरों में आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा रखा है। विपक्षी दलों सहित मीडिया विशेष रूप से निष्पक्ष और पारदर्शिता के साथ अपने दायित्व निर्वाहन कर रही मीडिया (गोदी मीडिया को छोड़कर), सोशल मीडिया लगातार चुनाव आयोग द्वारा बरती जा रही अनियमितता को उजागर कर रहे हैं। देश भर में प्रशासनिक अधिकारियों, पर चुनाव आयोग पर पक्षपात पूर्ण कार्यवाही कर सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाने के आरोप लगातार प्रकाशित हो रहे हैं। चुनाव आयोग पर हो रहे हमलों पर आयोग को चुप्पी सवालिया निशान छोड़ रही है।ऐसे में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया सहित अन्य ने गत दिवस भारत के मुख्य चुनाव आयोग निर्वाचन सदन नई दिल्ली को पत्र लिखकर देश भर में तीन चरणों में मतदान पूरा होने के बाद भी चुनाव आयोग द्वारा एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं करने पर निराशा व्यक्त करते हुए मांग की है कि चुनाव आयोग हर चरण के मतदान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करे। इसके अलावा, मतदान के अगले दिन तक संपूर्ण मतदान डेटा, जिसमें डाले गए वोटों की पूर्ण संख्या और मतदान का अंतिम प्रतिशत शामिल है, जारी किया जाए। पत्र में कहा गया कि चुनावी प्रणाली में मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने के लिए ऐसी पारदर्शिता आवश्यक है।
भारत के मुख्य चुनाव आयोग निर्वाचन सदन नई दिल्ली को लिखे पत्र में श्री गौतम लहरी (अध्यक्ष, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया,),सुश्री पारुल शर्मा (अध्यक्ष, भारतीय महिला प्रेस कॉर्प),श्री सी.के. नायक (अध्यक्ष, प्रेस एसोसिएशन),श्री एस वेंकट नारायण (अध्यक्ष, विदेशी संवाददाता क्लब) सुश्री सुजाता मधोक (अध्यक्ष, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स)ने कहा कि पिछले आम चुनाव 2019 तक, प्रत्येक चरण में मतदान के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करना सामान्य प्रथा थी। नागरिकों को संवैधानिक निकाय, भारत के चुनाव आयोग से यह जानने का पूरा अधिकार है कि मतदान के दिन क्या हुआ था। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि चुनाव आयोग द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में, पत्रकारों को उनके संदेह और भ्रम, यदि कोई हों, दूर हो जाते हैं, जिससे उन्हें अपने पाठकों के लिए रिपोर्ट करने और त्रुटि मुक्त कॉपी लिखने में मदद मिलती है। वे नागरिकों को चल रहे चुनाव के बारे में सटीक जानकारी और अद्यतन जानकारी देते रहते हैं। चुनाव आयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से मतदाताओं से सीधे बात भी कर सकते हैं।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने भारत के मुख्य चुनाव आयोग निर्वाचन सदन नई दिल्ली को भेजे पत्र में लिखा कि हम हैरान और आश्चर्यचकित हैं कि आयोग पिछले तीन चरणों में “मतदान की पूर्ण संख्या” जारी नहीं कर रहा है। पिछले चुनावों में ऐसा नहीं था. इन घटनाक्रमों से लोगों के मन में चुनाव की निष्पक्षता को लेकर आशंका पैदा हो गई है। इसी तरह प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर सैयद खालिद कैस ने भी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा इस चुनाव में आयोग द्वारा जिस प्रकार अनियमितताओं को नज़र अंदाज़ करके सत्ता पक्ष को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण प्रदान का संदेह उत्पन्न कर रहा है वह उचित नहीं है। सत्ता पक्ष के इशारे पर विपक्ष को घेरने वाला चुनाव आयोग सत्ता पक्ष द्वारा आचार संहिता के विपरीत आचरण पर चुप्पी सवालिया निशान छोड़ रही हैं।
मीडिया कौंसिल ऑफ इंडिया की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती शशि दीप ने अपने बयान में कहा कि चुनाव आयोग अब निष्पक्ष नहीं लगता। इस लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष द्वारा जिस प्रकार का आचरण अपनाया वह किसी से छिपा नहीं है ।ऐसे में अपनी पारदर्शिता और जवाबदेही से बचता चुनाव आयोग सफेद हाथी साबित हो रहा है,जो चिंता का विषय है।
आर टी आई एक्टिविस्ट कौंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव खेमराज चौरसिया ने कहा कि देश के निष्पक्ष पत्रकार संगठनों द्वारा चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर उठाए गए सवाल निरर्थक नही है।देश की जनता जवाब चाहती है अन्यथा लोकतंत्र के इस महाकुंभ में सत्ता पक्ष का समर्थन संदेह उत्पन्न करेगा।