भोपाल। आज संपूर्ण देश कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार है। देशभर में जारी 21 दिन के डाउन के देशभर से कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने की खबरें लगातार आ रही हैं। इस समय मध्य प्रदेश भी इस संक्रमण से अछूता नहीं है ।
कोरोना वायरस से प्रभावित क्षेत्र इन्दौर के बाद राजधानी भोपाल में जिस प्रकार कोरोनावायरस के संक्रमण का प्रभाव दिखाई दे रहा है वे चिंता का विषय है । यह बात और है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी भयावह स्थिति के पश्चात अब भोपाल में भी इन्दौर के बाद टोटल लॉक डाउन के आदेश करा दिए ।
परंतु गंभीर विषय यह है कि भारत सरकार या मध्यप्रदेश सरकार ने समय रहते कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी के परिणामों को यदि नजरअंदाज नहीं किया होता तो आज देश घर में संक्रमण प्रभावितों की संख्या इतनी भारी नजर नहीं आती।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता एवं आशंका को भांपते हुए कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा जनवरी माह में ही सरकार को आगाह कर दिया था, परंतु समय रहते सरकार ने इस ओर कोई कठोर कदम नहीं उठाए । जिसका परिणाम आज संपूर्ण भारत भुगत रहा है। श्री राहुल गांधी के निर्देश पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा समय रहते उठाए गए कदमों का परिणाम है कि छत्तीसगढ़ राज्य सबसे सुरक्षित प्रदेश साबित हो गया है । राहुल गांधी से चर्चा के बाद छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिँह देव द्वारा समय सीमा में ही कोरोना वायरस के संबंध में संज्ञान ले लिया था । राहुल गांधी से मिलने के बाद उन्होंने 27 जनवरी को ही राज्य और संभाग स्तर के सभी रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दी। स्वास्थ्य विभाग ने इस अवधि में 21 मार्च तक सुरक्षा को लेकर 28 बड़े कदम उठाए थे। समय रहते सरकार द्वारा की गई तैयारी का परिणाम यह है कि आज छत्तीसगढ़ कोरोना वायरस संक्रमण से लगभग मुक्त होता नजर आ रहा है ।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना वायरस पॉजिटिव का पहला प्रकरण 19 मार्च को सामने आया था इससे पहले तक छत्तीसगढ़ सरकार 28 बड़े फैसले लेकर उनको अमलीजामा पहना चुकी थी ॥छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिँह देव के मुताबिक” हम समय रहते जाग चुके थे क्योंकि राहुल जी द्वारा शुरू से ही कई देशों में संक्रमण पर चिंता जताई जा चुकी थी उनके द्वारा परिस्थितियों को मद्देनजर रख अभिव्यक्त किया गया था कि देश की हालात आगे चलकर और गंभीर रूप धारण कर लेगी । छत्तीसगढ़ सरकार ने जनवरी में ही रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर उपाय शुरू कर दिए थे । वहीं यदि मध्यप्रदेश के संदर्भ में बात की जाए तो मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने में जितना समय केंद्र व भाजपा ने बर्बाद किया यदि समय रहते उतने समय का सदुपयोग कोरोना वायरस को रोकने के उपायों के संदर्भ में किया जाता तो संभवत प्रदेश सहित भारत वर्ष में भारतवर्ष में कोरोना वायरस के इतने प्रकरण सामने नहीं आते।
गौरतलब है कि राहुल गांधी की सलाह पर कमलनाथ सरकार भी कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के उपाय सोचता उससे पूर्व ही प्रदेश में उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश हो चुकी थी । जहां एक और कमलनाथ सरकार लगभग एक डेढ़ माह तक सरकार को बचाने के गुणा भाग लगाती रही, वही केंद्र सरकार ओर भाजपा मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को गिराने के हथकंडे आजमाती रही ओर अन्ततः सफल भी हो गई । जिसका परिणाम यह निकला कि 20 मार्च तक मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के खिलाफ लडने की कोई रणनीति अमलीजामा नहीं पहन पाई ।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे के बाद घटे घटनाक्रम इस बात की तस्दीक करते हैं कि प्रधान मंत्री द्वारा 22 तारीख को जनता कर्फ्यू का ऐलान , शिवराज सिंह चौहान द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना , शपथ के बाद ही अगले दिनों केन्द्र सरकार द्वारा 21 दिन का लॉक डाउन भारतवर्ष में लागू होना । यह सारी चीजें अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि भाजपा व केंद्र सरकार को कोरोना वायरस
संक्रमण से ज्यादा मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने में रुचि थी ।
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण प्रकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है, उसके पीछे एक प्रमुख कारण कमलनाथ सरकार को अस्थिर करना और प्रदेश से कमलनाथ सरकार को हटाकर भाजपा की शिवराज सरकार (सरकार नही बनी केवल मुख्यमन्त्री )बनाना ज्यादा प्रमुख माना जा रहा है । बा निस्बत इसके कि प्रदेश में समय रहते यदि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कठोर कदम उठा लिए जाते तो संभवता आज हम भी छत्तीसगढ़ की भांति शांति से जीवन व्यतीत कर रहे होते । छत्तीसगढ़ सरकार का उदाहरण संपूर्ण भारत के लिए दिएजाने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यदि भारत सरकार समय रहते कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की सलाह पर जनवरी माह से ही भारत में कोरोनावायरस के संक्रमण को गंभीरतापूर्वक ले लेती तो आज देश की यह स्थिति नहीं होती । आज भी हम कोरोनावायरस के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रहे हैं । लॉक डाउन या जनता को घरों में कैद करना इसका उपचार नहीं है । आज भी हमारे पास पर्याप्त मात्रा में अस्पतालों में डॉक्टरों व स्टाफ को देने के लिए मास्क व अन्य सामान उपलब्ध नहीं है। जनता के पास राशन नहीं है , रोजगार नहीं है । नतीजा यह है कि आने वाले समय में जनता के सामने भारी संकट उत्पन्न होगा ।

@सैयद ख़ालिद कैस