मोहम्मद इमरान खान पत्रकार
भोपाल@ आज भारत मे पत्रकारिता की जो दुर्दशा हो रही हैं उसके लिए स्वयं पत्रकार ही जिम्मेदार हैं भारत की जनता इनको गोदी मीडिया, दलाल मीडिया और न्यूज़ चैनलों को कोठे तक कह रही हैं जनता ऐसा क्यों कह रही हैं क्योंकि पत्रकार अपनी सही ज़िम्मेदारी को भूलकर सिर्फ और सिर्फ धार्मिक उन्माद भड़काने की हिन्दू-मुस्लिम की मंदिर-मस्जिद की और हमेशा एक विशेष समुदाय को टारगेट करने की जो अपनी गन्दी मानसिकता के चलते और सस्ती लोकप्रियता एवं टीआरपी के लिए इतनी घटिया पत्रकारिता कर रहे हैं जिनको देखकर भारत की जनता ये कहने पर विवश हो रही हैं कि ये पत्रकारिता नही हैं बल्कि दलाली हैं।
देश से जुड़े हुए मुद्दे और जनता से जुड़े हुए मसले इन बड़े,बड़े न्यूज़ चैनलों को नज़र नही आ रहे हैं कभी भी महंगाई,भ्रष्टाचार,नाबालिग बच्चियों और युवतियों के साथ रेप,शिक्षा,रोज़गार,भुखमरी,गरीबी,बीमारी आदि देश और जनता से जुड़े मुद्दों पर न कभी बहस होती और न डिबेट होती और न ही इन मुद्दों को खत्म करने की कोई प्लानिंग और रणनीति होती,। होती हैं तो बस देश को बांटने वाली और दुनिया के सामने हंसी का पात्र बनने वाली बहस और डिबेट, ये पक्षपात वाली पत्रकारिता करते हुए अपने आपको निष्पक्ष पत्रकार कहने वाले ये समाज के चौथे स्तंभ देश को किस गर्त में धकेल रहे हैं इनको अंदाजा नही हैं।
अभी का ताज़ा,ताज़ा मामला सुदर्शन टीवी के एक पत्रकार महोदय बाग़ और बगीचे में टहल,टहल कर जामिया के छात्र और छात्राओं नोकरशाही-जिहाद का आरोप लगा रहे हैं आईएएस और आईपीएस की परीक्षा देते हुए ये जामिया के छात्रों को नही देख पा रहे हैं और इस पर डिबेट करवाकर मुस्लिमो के खिलाफ ज़हर उगलने वाले थे लेकिन अदालत के आदेश पर कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई। ये पत्रकार महोदय मुस्लिम छात्र और छात्राओं के एजुकेशन से क्यों डरे हुए हैं। मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह एजुकेशन का न होना हैं और अब मुस्लिम समाज के लोगो मे शिक्षा के प्रति थोड़ी जागरूकता आई तो ये पत्रकार महोदय उस एजुकेशन को नोकरशाही-जिहाद कहकर उन छात्रों का मनोबल तोड़ने का कार्य कर रहे हैं शर्म आनी चाहिए इस तरीके की पत्रकारिता करते हुए जो समाज को बांटने का काम कर रही हैं और जो अपने आपको निष्पक्ष पत्रकार कहते हैं उनकी कलम से और ज़बान से भी इन पत्रकार महोदय के खिलाफ कोई बोल या लेख नही निकला, बड़े ही अफसोस कि बात हैं।