कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान और हाथ छुड़ाकर भागते कांग्रेसी

रवीन्द्र व्यास  बुन्देलखण्ड/सागर  

ए आई सी सी  केनिर्देशानुसार मध्य प्रदेश के सागर संभाग में भी  हाथसे हाथ जोड़ो अभियान चलाया जा रहा है। कांग्रेस का जहां एक ओर हाथ से हाथ जोड़ोअभियान की तैयारी  चल रही  है वहीं दूसरी तरफ कांग्रेसी ही हाथ छुड़ाकर भागने में लगे हैं। बीजेपी की निगाहें अब बुंदेलखंड के दो और ब्राह्मण विधायकों पर लगी हैं | ऐसा भी नहीं कि सिर्फ कांग्रेस के नेता  ही दल त्याग रहे हो कुछ बीजेपी के नेता भी दल बदलने की जुगत में लगे हैं |  राहुल गांधी कीभारत जोड़ो यात्रा के शुरुआती दौर में ही सागर जिले  में पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे को कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर होनापड़ा। 24 दिसंबर 2022  को कांग्रेस के पूर्व विधायक गुड्डा ब्रज बिहारी पटेरिया ने कांग्रेस का हाथछोड़कर बीजेपी का कमल थाम लिया। बीजेपी के प्रमुख नेता और मंत्री भूपेंद्र सिंह ने  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बीजेपी की सदस्यता दिलाई। मुख्यमंत्री श्री चौहान व मंत्री श्री  सिंह ने भाजपा कीसदस्यता लेने वाले श्री पटैरिया का भाजपा में स्वागत भी किया।   बृज बिहारीपटेरिया की गिनती कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में होती रही है। गाँव के सरपंच से अपना राजनैतिक जीवन शुरू करने वाले गुड्डा पटेरिया  3 बार निर्विरोध सरपंच चुने गए । 1986 से 92 तक मंडी अध्यक्ष , 1997 से 2004 तक सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे। 1998 में वे पहली बार देवरी विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार बने और उन्होंने बीजेपी के भानू राणा को 4866 मत से हराया था |  2003 में कांग्रेस ने उनके स्थान पर हर्ष यादव को टिकट दिया वे भी हार गए |  2008 में कांग्रेस ने फिर से ब्रज बिहारी पटेरिया को  देवरी  से प्रत्यासी बनाया | बीजेपी के  भानू राणा से 1105 वोट से वे हार गए |  2013 में रहली से गोपाल भार्गव के खिलाफ उन्हें कांग्रेस ने प्रत्यासी बनाया था पर वे 51765 मत से हारे थे |  गुड्डा पटेरिया के नाम से विख्यात ब्रज बिहारी पटेरिया को जानने  वाले कहते हैं कि वे एक ऐसे नेता हैं जो हर सुख दुःख में जनता के साथ रहते हैं | यदि देवरी में कांग्रेस ने जातीयता का समीकरण ना रचा होता तो उन्हें कोई हरा नहीं सकता था | आज के राजनैतिक दौर में एक  कमी जो उनमे है वह है कि वह सच को सच कहने में संकोच नहीं करते |

सागर जिले के वे दूसरे बड़े कांग्रेस के नेता  हैं जिन्होंने दल को त्यागा है | इसके पहले बड़े जनाधार वाले नेता अरुणोदय चौबेका  पार्टी से मोह भंग हो गया   । उन्होंने प्रदेश उपाध्यक्षसहित तमाम पदों सहित कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य्ता से त्याग पत्र देकर कांग्रेस से मुंह मोड़ लिया ||   दोनों मामलो में राजनैतिक  स्थितियां अलग अलग बताई जाती  हैं | जहाँ अरुणोदय चौबे ने अब तक बीजेपी का दामन  नहीं थामा है ,  वही गुड्डा पटेरिया ने पार्टी त्याग कर तत्काल ही बीजेपी की सदस्यता ले ली |  पटेरिया जी अपने इस ह्रदय परिवर्तन के पीछे मीडिया से चर्चा में कह चुके हैं कि हमें पद प्रतिष्ठा और पैसों की कोई लालसा नहीं है | सम्मान का भूखा हूँ , टिकट की इक्षा भी उन्होंने नहीं जताई | पार्टी जो भी  काम देगी उसे पूर्ण निष्ठां और ईमानदारी से करूंगा |  पटेरिया जी कुछ  कहें और सिंह साहब कुछ भी राजनैतिक बयान दें पर बीजेपी के सूत्रों  की खबर पर अगर भरोसा किया जाए तो दोनों एक दूसरे की मज़बूरी बन गए थे |  बीजेपी के पास देवरी से कोई सशक्त प्रत्यासी देवरी में नहीं था और कांग्रेस  ब्राम्हणो की लगातार उपेक्षा पर आमादा थी | मामला चाहे प्रदेश में सत्यव्रत चतुर्वेदी का हो ,अथवा राकेश चौधरी का या फिर अरुणोदय चौबे हो या ब्रज बिहारी पटैरिया का | बीजेपी ने कांग्रेस के इस राजनैतिक भेदभाव का लाभ उठाया ,और इसी को आधार बनाकर बीजेपी के सियासी समीकरण जारी हैं |

बुंदेलखंड में  तीन कांग्रेस विधायकों पर बीजेपी की निगाह बनी हुई है | समीकरणों को अगर देखा जाए तो इनमे दो ब्राह्मण और एक ठाकुर साहब हैं | कांग्रेस के इन विधायकों के शीघ्र ही बीजेपी में जाने की अटकल बाजी लगाई जा रही हैं स्थानीय स्तर पर इसको लेकर चर्चाये भी खूब होती हैं | इसके पीछे बताया जा रहा है कि पिछले दिनों जो राजनैतिक सर्वे प्राथमिक तौर  पर किया गया उसमे ये बात सामने आई है कि ये तीनो ही फिर से जीतने  की स्थिति में हैं | ऐसी दशा में पार्टी इन्ही पर जोर आजमाइश कर सकती है | अब ये फिर से विधायक बनना चाहते हैं अथवा नहीं यह वक्त ही तय करेगा |

चुनावी दौर में दल और दिल बदलते रहते हैं यह कोई बड़ी बात नहीं है | अब बीजेपी के उपेक्षित नेताओं की बेचैनी देख लीजिये अपने आपको बीजेपी के लिए समर्पित करने वाले लोग ,पार्टी में टिकट ना मिलने से अब घुटन महशूस कर रहें हैं | 2018 में जिनके पार्टी ने टिकट काटे और कुछ हारे ऐसे कई दिग्गज जनसेवक हैं जो अब यह कहने में संकोच नहीं कर रहे हैं कि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो अपनी उपस्थिति का अहसास पार्टी को जरूर कराएंगे | कैसे कराएँगे यह एक अलग बात है पर माना जा रहा है इसमें कुछ कांग्रेस तो कुछ निर्दलीय किस्मत आजमाने का मन बना चुके हैं |