छंदशाला बिलासपुर छत्तीसगढ़ की स्थापना सह विमोचन समारोह का सफल आयोजन!

प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की राष्ट्रीय संगठन महासचिव व विचारक द्विभाषी लेखिका शशि दीप की रही विशेष उपस्थिति

बिलासपुर। हिन्दी काव्य के छंदों के पुनरूत्थान के ध्येय से स्थापित एक प्रतिष्ठित साहित्यिक समूह छंदशाला बिलासपुर के तत्वावधान से आज दिनांक 24 मार्च 2023 शुक्रवार को बिलासपुर से करीब बीस किलोमीटर दूर ग्राम खैरा के लक्ष्मीनारायण मंदिर में किया गयाI कार्यक्रम के प्रथम चरण मे काव्य गोष्ठी रखा गया था जिसकी अध्यक्षता लक्ष्मीनारायण मंदिर के साधक श्री वासुदेव निखिल जी यज्ञशाला खैरा तथा विशिष्ट अतिथियों में छंदशाला के नियमित साधकों के अलावा प्रेस क्लब ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की राष्ट्रीय संगठन महासचिव शशि दीप मुंबई की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संयोजन वरिष्ठ कवयित्री/उद्घोषिका डाॅ सुनीता मिश्रा जी व संचालन सुषमा पाठक रहीं। इस अवसर पर छंदशाला से जुड़े सभी उपस्थित दिग्गज कवियों ने एक के बाद एक काव्य का रसधार बहाया, जिसे सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो गये। शशि दीप ने अपने उद्बोधन में इन दिनों नवरात्रि व रमजान के दरम्यान विशेष उपस्थिति को दिव्य अनुभूति बताया।

 

कार्यक्रम के द्वितीय चरण में मुख्य अतिथि माननीय रजनीश सिंह जी विधायक बेलतरा व साधक श्री वासुदेव निखिल महाराज यज्ञशाला खैरा की अध्यक्षता रही। इस चरण में विशेष रूप से छंदशाला में दोहागीत”‘ (संग्रह ) – ‘छंदशाला’ का तृतीय पुष्प व “दादी कहती है” (बालकविता संग्रह) – श्री दीनदयाल यादव जी का विमोचन हुआ। मुख्य अतिथि श्री रजनीश जी ने अपने उद्बोधन में काव्य की महिमा को रेखांकित किया वहीँ वासुदेव निखिल महाराज ने उस पावन परिसर में ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम के आयोजन को एक दिलचस्प कहानी के माध्यम से समझाते हुए एक सुन्दर संयोग बताया। छंदशाला समूह की आत्मा सबके मार्गदर्शक वरिष्ठ साहित्यकार विजय तिवारी जी ने समस्त आमंत्रित कवियों का लगातार उत्साहवर्धन किया। इस अवसर पर श्री विजय तिवारी, श्रीमती कामना पांडेय, श्रीमती सोमप्रभा तिवारी, श्री विनय पाठक, शशि दीप, सुषमा पाठक,दीनदयाल यादव, इंजी. गजानंद पात्रे “सत्यबोध”, मयंक मणि दुबे, अवधेश भारत, पदुमदास वैष्णव, रानी साहू शैलेन्द्र गुप्ता, श्रीमती रेणु बाजपेयी, रश्मि लता मिश्रा,बुधराम यादव, अमृत पाठक, ओम प्रकाश भट्ट,मनीषा भट्ट, रेखराम साहू, सरस्वती साहू,डॉ .सुनीता मिश्रा सहित करीब चालीस प्रतिष्ठित साहित्य साधकों का जमावड़ा था। सभी ने परंपरागत रूप से जमीन में बैठकर विशेष भोज प्रसाद का लुत्फ़ उठाते हुए आयोजकों की भूरि भूरि प्रशंसा की।