नई दिल्ली।लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में एनडीए के घटकों में सीटों की संख्या का बंटवारा तो हो गया है। लेकिन किस दल को कौन सी सीट मिलेगी, इसे लेकर अभी एक लंबी कसरत होनी बाकी है। सीटों के चयन की प्रक्रिया से बड़े बदलाव होने की संभावना है, जिसका सबसे ज्यादा असर बीजेपी के मौजूदा सांसदों की सीटों पर पड़ने की आशंका है। कई दिग्गज सांसदों की सीट दूसरे के हिस्से में जा सकती है। दरअसल, जदयू 2009 के फार्मूले को सीटों के चयन में आधार बनाने पर जोर दे सकता है।
सूत्रों के अनुसार बीजेपी, जेडीयू तथा लोजपा में सीटें तय करने के लिए जल्द ही बैठकों का दौर शुरू हो सकता है। पिछले दिनों तय हुए फार्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू 17-17 और लोजपा के लिए चार सीटें तय हुई थी। रालोसपा के हिस्से की दो सीटें भी लोजपा को मिलना तय माना जा रहा है। जेडीयू चाहता है कि अब सीटें भी तय हो जाएं, ताकि उम्मीदवारों को चयन कर तैयारियां शुरू की जा सकें।
2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग लड़ा था। बीजेपी ने 22 सीटें जीती थीं, लेकिन सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं है कि बीजेपी इन 22 में से 17 सीटें अपने पास रखे ले। दरअसल, जेडीयू इनमें से कई सीटों पर खुद को मजबूत स्थिति में पाता है। जिसमें सामाजिक समीकरणों का आधार भी है। इसलिए सभी सीटों को सामने रखकर तीनों दलों में नए सिरे बंटवारा होने की संभावना है।
जेडीयू इसके लिए 2009 के लोकसभा चुनाव के फार्मूले को आधार बनाने के पक्ष में है। तब वह 25 और बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था। संभावना है कि जेडीयू इसी फार्मूले के तहत बांटी गई सीटों से इस बार भी बंटवारा करने पर जोर देगी। तब जिन 25 सीटों पर जेडीयू लड़ा था, उनमें से 17 सीटें उसे इस बार मिल सकती हैं। हालांकि उसकी इस कोशिश में कई पेंच फंस सकते हैं। बीजेपी पर इस मामले में दो तरफा दबाव होगा। एक तो पांच सांसदों के टिकट वैसे ही काटने हैं। दूसरे, सीटों में बदलाव से भी कई सांसदों का पत्ता साफ हो जाएगा।