महिला विरुद्ध अपराध का राज्य मध्यप्रदेश :शिवराज सरकार की नाकामी का उदाहरण

सैयद खालिद कैस
संपादकीय………

मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी महिला उत्थान की घोषणाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से यह जताना चाह रहे हैं कि उनकी सरकार महिला हितेषी सरकार है, लोक लुभावन घोषणाओं के जाल में फंसती प्रदेश की बहन बेटियों को इसके पीछे की हकीकत से भी रूबरू होना होगा। आज रातीबढ़ थाना भोपाल में एक पुलिस प्रधान आरक्षक की बेटी की निर्मम हत्या ने फिर एक बार यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की राजधानी में जब बहन बेटियां सुरक्षित नही तो दूर दराज के क्षेत्रों में क्या होगा।
शिवराज सरकार की मन मोहिनी घोषणाओं के विपरीत प्रदेश में महिला अपराध की वास्तविकता इसके विपरित है। पिछले 20साल में से 15माह की कमलनाथ सरकार को हटा दिया जाए तो भाजपा और शिवराज सरकार की प्रदेश में काबिज रही है। लेकिन इस अंतराल में मध्यप्रदेश में महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध में भी कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 में दुष्कर्म के 2,339 केस दर्ज किए गए। वर्ष 2020 में 25,640 केस महिलाओं ने अलग-अलग अपराध से जुड़े दर्ज कराए।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में इस साल 3,04,066 केस दर्ज किए गए। इनमें 10 फीसदी यानी 30,673 अपराध सिर्फ महिलाओं के साथ ही किए गए हैं। साल 2020 में यहां 2,83,881 केस दर्ज हुए थे। रेप और गैंगरेप के बाद हत्या के केस में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। बलात्कार के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर है। यहां एक साल में 6459 केस दर्ज हुए।

नाबालिग बच्चियों के यौन उत्पीड़न में म.प्र पहले नंबर पर है। एक साल में यहां 3515 बच्चियां शिकार हुईं। 2020 में आंकड़ा 3259 था।

मध्यप्रदेश में बच्चियों, महिलाओं से अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 से फरवरी 2022 तक प्रदेश में 10 हजार 66 बेटियों का अपहरण हुआ है।बेटियों के खिलाफ अपराध में प्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर प्रथम स्थान पर है, दूसरे स्थान पर भोपाल है। वहीं मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार में प्रदेश शीर्ष स्थान पर है।

एक विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के प्रश्न के लिखित जवाब में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया था कि 2017 से 2021 यानि 5 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 19.81% की बढ़ोत्तरी हुई, अकेले वर्ष 2021 में 32,802 मामले अलग अलग धाराओं में दर्ज किए गए। मध्यप्रदेश में महिला अपराध पर रोकथाम के लिए 52 महिला पुलिस थानों की स्थापना की गई हैं। उसके बावजूद महिला अपराधो में रोकथाम नही होना सरकार की नाकामी का प्रमाण है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश, देश के उन सात राज्यों में शामिल है, जहां महिलाओं के विरुद्ध सबसे अधिक अपराध होते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रत्याशी के रूप में चुनाव आयोग को दिए शपथ पत्रों में प्रदेश के 230 में से 94 (41 प्रतिशत) विधायकों ने स्वीकार किया है कि उन पर आपराधिक मामले हैं।

इनमें से 48 (21 प्रतिशत) पर गंभीर आपराधिक और तीन पर महिलाओं पर अत्याचार के मामले पंजीबद्ध हैं। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वाच (एनइडब्ल्यू) की जारी राष्ट्रव्यापी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए हैं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में सबसे अधिक महिला, बच्चे अपराध के शिकार हो रहे हैं। 8 बच्चियों सहित रोज 17 महिलाएं रेप की शिकार हो रही हैं। चाइल्ड क्राइम में भी एमपी टॉप पर है। हर तीन घंटे में एक मासूम के साथ रेप हो रहा है। देश में आदिवासियों पर भी सबसे अधिक क्राइम एमपी में ही दर्ज हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले मप्र में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्यप्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे।

मध्यप्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले भी पिछली बार की तरह बढ़े हैं। 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए। 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। तब 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं।

इस सब के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार के महिला हितेषी होने के दावे कोरे कागज़ से अधिक कुछ नही है। शिवराज मामा की लाड़ली लक्ष्मी हो या लाड़ली बहना योजना केवल चुनावी स्टंट है वास्तविकता की धरा पर उनके सभी वायदे सभी घोषणाएं धाराशाही हैं। प्रदेश की जनता को यह सच जानना चाहिए कि सरकार की घोषणा और हकीकत के बीच की सच्चाई क्या है।