जख्म पर शब्दों का मरहम वो लगाने आ गये…
आग खुद पहले लगाई, अब बुझाने आ गये…
किसानों का ‘भला’ करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार प्रतिबद्ध है, भले ही किसान अपना ‘भला’ करने की मोदी सरकार की किसान बिल नीति से नाखुश हैं और उसे वापस करने की मांग पर अड़े हैं, हालांकि किसानों को समझाने के लिए पहले भाजपा प्रदेश सरकारों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों के बाद स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी सामने आना पड़ा पर आंदोलनरत किसान ‘टस के मस’ नहीं हो रहे हैं। किसान जब चाहते ही नहीं है तो केंद्र सरकार किसान बिल वापस क्यों नहीं ले लेती है…? देश की 62 फीसदी आबादी खेती-किसानी से जुड़ी है और उनका आंदोलन अब भाजपा नेतृत्व के लिए गले की फांस बन गया है।
किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशों से भी आंदोलन-धरना की खबर पर मोदी सरकार इसे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप मानती है यह बात और है कि अमेरिका की धरती में ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ बोलकर हम हस्तक्षेप कर आएं तो बात अलग है? असल में मोदी सरकार भले ही किसानों से उनके भले के लिए बिल बनाने की बात कितनी भी करें किसानों को अब विश्वास नहीं होता है। सरकार बनने के पहले सभी के खातों में 15 लाख रुपये जमा करने की बात जुमला साबित ही हुई उसके बाद अचानक नोटबंदी की गई क्या उससे आतंकी हमले बंद हो गये…? जीएसटी से क्या सरकारी खजाना भर गया? धारा 370 हटने से क्या कश्मीर स्वर्ग बन गया….? थाली बजाने से क्या कोरोना भाग गया….? सर्जिकल स्ट्राईक से क्या पाकिस्तान डर गया…? चीनी झालर के बायकाट के बाद क्या चीन हाथ जोड़कर खड़ा हो गया….? ट्रंप के प्रचार से क्या वह बहुमत से राष्ट्रपति बन गया…? सरकारी सम्पत्ति बेचने से क्या गरीबी मिट गई…? मेक इन इंडिया से क्या बेरोजगारी कम हो गई…? अब किसानों को लगता है कि जब पहले की घोषणाओं के बाद कुछ नहीं हुआ तो 3 किसान बिल से किसान मालामाल हो जाएंगे इसकी क्या गारंटी है हालांकि भाजपाई अभी भी कहते हैं ‘साहब है तो मुमकिन है?’
भूपेश को चुनौती नहीं…
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के 2 साल पूरे हो गये इन दो सालों में सरकार ने छत्तीसगढिय़ा सरकार होने का विश्वास तो जनता के बीच करवा ही दिया है वहीं किसान, गरीब, छत्तीसगढिय़ा संस्कृति के उत्थान, आदिवासियों को बस्तर में फैक्ट्री निर्माण नहीं होने पर जमीन की वापसी कराई, गोबर खरीदने की योजना, 2500 रुपये में (देश में सर्वाधिक दर) धान की खरीदी का रिकार्ड बनाया तो चंद्रखुरी में कौशल्या मां के मंदिर के पुनरूद्धार, राम सीता तथा लक्ष्मण के वनपथ गमन मार्ग को यादगार बनाने का निर्णय लेकर भाजपा को सकते में डाल दिया है। दरअसल अयोध्या के राम के नाम पर 2 लोस सीटों से सरकार बनाने वाली भाजपा श्रीराम को अपना कापीराईट मानती है? तो भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की महतारी कौशल्या के पुत्र श्रीराम (भांजे) के रूप में स्थापि करने का निर्णय लेकर छत्तीसगढ़ की संस्कृति के उन्नयन का प्रयास शुरू कर दिया है।
यह ठीक है कि भूपेश के प्रदेश कांग्रेस के कार्यकाल में 90 में 68 विधानसभा सीटें जीतकर छग राज्य बनने के बाद रिकार्ड बनाया है। बाद में उपचुनाव में एक सीट भाजपा से तथा एक सीट जोगी कांग्रेस से छीनकर अपनी संख्या 70 कर ली है। ज्ञात रहे कि 1980 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी टूटने के बाद छग में 90 में 77 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वह रिकार्ड अविभाजित मध्यप्रदेश के समय का है। छत्तीसगढ़ में 2 साल पहले मुख्यमंत्री चयन के समय भूपेश बघेल का चयन डॉ. चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव तथा ताम्रध्वज साहू के बीच हो गया और मंत्रिमंडल गठन के समय निर्धारित तय संख्या के चलते वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक सत्यनारायण शर्मा, रामपुकार सिंह, धनेन्द्र साहू सहित पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र अमितेष श्यामाचरण शुक्ला, अरूण मोतीलाल वोरा को मंत्री नहीं बनाया गया पर पिछले 2 सालों में भूपेश बघेल के सामने कोई चुनौती नहीं आई और आगे उनके नेतृत्व को चुनौती देने की स्थिति भी दिखाई नहीं दे रही है। दरअसल 2 साल के कार्यकाल में 3 विधानसभा उपचुनाव, नगरीय निकाय चुनाव, ग्रामीण पंचायत चुनाव में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली, लोस में भी संख्या एक से दो हो गई, बस्तर-सरगुजा को कांग्रेस मुक्त करवाना भी बड़ी उपलब्धि ही है। कोरोना महामारी के चलते केंद्र से भरपूर सहयोग नहीं मिलने के बाद भी कर्ज लेकर छत्तीसगढ़ की आम रियाया के भले के लिए भूपेश के उठाए कदम सराहे जा रहे हैं। चुनावी घोषणा पत्र में 36 वादों में 24 पूरे करने का दावा भूपेश बघेल करते हैं हां शराब बंदी, बेरोजगारी भत्ता आदि कुछ प्रमुख वादे पूरे करने है पर उसके लिए अभी करीब-करीब ढाई साल का समय बचा भी तो है। कुल मिलाकर भूपेश सरकार को विपरीत हालात में भी 10 में 8 नंबर तो दिये ही जा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के 2 साल पूरा होने पर आयोजित वर्चुवल मैराथन दौड़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पूरा प्रदेश टी शर्ट पहनकर दौड़ा, इसमें भूपेश सरकार के मंत्री, विधायक, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, एसीएस सुब्रत साहू, पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव अवस्थी, वन विभाग के मुखिया राकेश चतुर्वेदी सहित लगभग सभी बड़े सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए, कुछ अफसर को पत्नी के साथ भी इस दौड़ में शामिल हुए जिसमें रायपुर के पुलिस कप्तान अजय यादव भी शामिल थे।
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार के 2 साल पूरे होने पर इस वर्चुवल मैराथन दौड़ के सूत्रधार थे जनसंपर्क तथा खेल एवं युवा कल्याण विभाग…. जनसंपर्क विभाग के मुखिया है आईएएस तारण प्रकाश सिन्हा तथा खेल एवं युवा कल्याण की संचालक है श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा। वैसे लोगों को पता ही होगा कि तारण प्रकाश सिन्हा की श्वेता जीवन संगनी है जाहिर है जब पति-पत्नी ही आयोजक होंगे तो योजना की सफलता की गारंटी भी होगी और यह वर्चुवल दौड़ की सफलता का एक बड़ा कारण भी रहा। बहरहाल तारण और श्वेता ने भी वर्चुवल दौड़ में एक साथ हिस्सा भी लिया…।
और अब बस….
0 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली कभी दिग्विजय सिंह जैसी हो जाती है तो कभी अजीत जोगी की तरह हो जाती है। वे स्वीकार भी करते है कि दोनों के मंत्रिमंडल में कार्य करने का अनुभव है इसलिए ऐसा हो भी सकता है।
0 पूर्व मुख्य सचिव तथा नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष आर.पी. मंडल के जिम्मे 1500 करोड़ की लागत से बन रहे नये मुख्यमंत्री हाऊस, राजभवन तथा मंत्री आवास आदि बनाने का महत्वपूर्ण कार्य है।
0 मुख्य सचिव अमिताभ जैन को पहले गृह, जेल, परिवहन, जल संसाधन, वित्त का अनुभव है तो केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति के दौरान लंदन में भी कार्य करने का अनुभव है।