धार्मिक चरमपंथियों के चंगुल से मुक्त हो देश की युवा पीढ़ी!
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कल यानी 74 वें गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले मैं कुछ काम से अपने एरिया के मार्केट तरफ निकली तो देखी एक विशाल जनसमुदाय सड़क के बीचों-बीच धार्मिक रैली में मशगूल था, पीछे भगवान की विशाल मूर्ति एक वैन पर विराजमान थे और सैकड़ों नौजवान युवक-युवतियां कान-फोड़ू आवाज में चल रहे डीजे के धुन में सड़क पर थिरक रहे थे। मैं काफी करीब से अवलोकन कर रही थी उसमें से ढेरों लोग शराब के नशे में थे, वाहयात ढंग से बातचीत कर रहे थे। मैं गणतंत्र दिवस के आयोजन के लिए अपने हाउसिंग सोसाइटी के बच्चों के लिए बढ़िया से बढ़िया आयोजन करवाने का बीड़ा उठाये, राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत, इस दृश्य को देखकर बेहद चिंतित हुई, मेरी आत्मा को गहरा आघात हुआ, और सोची क्या हमारे देश के नौजवानों को ऐसे सुसुप्त बनाया जाए? ऐसी बात नहीं की ऐसा दृश्य मैंने पहले कभी नहीं देखा था पर अभी इन दिनों जब देश में अभी गणतंत्र दिवस के अलावा और कोई बड़ा धार्मिक त्यौहार नहीं है इस तरह का आयोजन और रैली मात्र राजनीतिक प्रोपेगंडा के अलावा कुछ नहीं हो सकता ताकि नौजवानों को वर्तमान में पथभ्रष्ट करके, गरीब घरों के युवक-युवतियों को छोटे-छोटे प्रलोभन दे के भीड़ इकट्ठी करना और उन्हें धार्मिक आडंबरों में उलझाकर उनके मन में राष्ट्रीयता से परे धार्मिक चरमपंथी होने का बीजारोपण करना, समाज में अस्थिरता का वातावरण बनाना, हिंसा की स्थिति व सामाजिक कटुता पैदा कर देश की एकता और भाईचारा को खंडित करना इनका ध्येय रहता है। ये चरमपंथी आवाम अपने स्वार्थ के लिए देश के वर्तमान और भविष्य को तबाह करते हैं। ऐसे में माता पिता, व बुद्धिजीवियों का दायित्व बनता है कि वे ऐसे नवजवानों को वास्तविक राजनीतिक परिस्थियों से अवगत कराएं। ताकि वे सही और गलत को पहचान कर राष्ट्रहित को ही सर्वोपरि समझें। देश व समाज नैतिकता के पद चिन्हों का अनुसरण करके ही उन्नति की और अग्रसर हो सकते हैं. हर एक नागरिक का अपने परिवार के दायित्वों के अलावा देश के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करना आवश्यक है। प्रारम्भ से ही अपने बच्चों और अपने आसपास के बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा प्रदान करेंगे तभी भविष्य में हम अच्छे, चरित्रवान, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार शासक, अधिकारी, अध्यापक व कर्मचारी की कल्पना कर सकते हैं। भावी पीढ़ी को नैतिक रूप से सुदृढ़ बनाना हम सभी का उत्तरदायित्व है।

शशि दीप ©✍
विचारक/ द्विभाषी लेखिका
मुंबई
shashidip2001@gmail.com