महेश दीक्षित
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क्या यह उन भोपालियों और मध्यप्रदेश के लोगों के लिए डरावनी चेतावनी नहीं है कि, जिनके भीतर खुशहाल-स्वस्थ जीवन जीने की अभी और ख्वाहिश है…क्या यह आंकड़े भोपालियो और प्रदेश वासियों के लिए चौंकाने-डराने के लिए काफी नहीं हैं कि, कोरोना वायरस ने भोपाल में एक दिन में 265, तो प्रदेश में 2391 लोगों को अपनी जकड़ ले लिया है…पिछले पांच महीने में मध्यप्रदेश में 97906 लोगों को यह खतरनाक कोरोना अपनी गिरफ्त में ले चुका है… जबकि देश में 84 हजार मौतों के साथ कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 52 लाख पार कर चुका है…और मप्र में हर रोज जिस तरह से कोरोना वायरस पांव फैला रहा है, आजकल में यह आंकड़ा 1 लाख के पार जा सकता है…गुरुवार को भोपाल में 8 और प्रदेश 23 लोगों को निगलकर कोरोना ने यह तो बता दिया है उसके इरादे कितने खतरनाक हैं…।

यह सही है कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लाक डाउन ने जीवन और व्यापार की गति रोक दिया था…इससे हम तनिक आर्थिक रूप से पिछड़े भी … रोजगार और व्यापार का भी संकट पैदा हुआ, लेकिन घर की दहलीज की मर्यादा में बंधे रहने और जागरुक होने से हमारा जीवन तो किसी हद तक कोरोना के नुकीले पंजों की गिरफ्त में आने से बचा रहा… लेकिन जैसे ही जीवन और व्यापार को मंथर गति देने के लिए सरकार ने लाकडाउन खोला…खतरनाक कोरोना ने भोपाल सहित पूरे प्रदेश में फिर सिर उठाना-डराना शुरू कर दिया है…क्योंकि कोरोना वायरस को मारने के लिए अब तक कोई वैक्सीन तो ईजाद हुई नहीं…और कोरोना से बचाव के लिए जो व्यक्तिगत जागरूकता, सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन और सावधानी रखनी थी… कोरोना गाइड लाइन का अनुपालन करना था, उसकी भी धज्जियां खुद हमने उड़ाकर रख दीं…भोपाल के प्रमुख बाजार-न्यूमार्केट, दस नंबर मार्केट, पिपलानी मार्केट, सर्राफा चौक, लखेरापुरा, इब्राहिम गंज, मंगलवारा, और कोलार क्षेत्र में जिस तरह से रोजाना लोग पहुंच रहे हैं…एकत्र हो रहे हैं…भीड़ जुटा रहे हैं…कोरोना की अनदेखी के खतरनाक मंजर बन रहे हैं…उसको देखकर तो यही लगता है कि भोपालियों ने दिल-ओ-दिमाग में कोरोना से डरो-ना की भ्रांति बैठा ली है… और फिर इस लापरवाह-बेपरवार भीड़ में कौन कोरोना बम बनकर घूम रहा है…आसपास खड़ा है…शायद इसकी भी भोपालियों को परवाह नहीं है… ।

कुल मिलाकर हालात का लुब्बे-लुआव यही है कि सरकार-प्रशासन स्वास्थ्य सेवाएं दे सकते हैं…अस्पताल उपलब्ध करा सकते हैं, लेकिन इलाज नहीं…कहने का मतलब है, भोपाली और प्रदेशवासी यदि अब भी नहीं जागे, नहीं संभले और सावधान नहीं हुए….सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन और घर की दहलीज का ख्याल नहीं रखा, तो कोरोना बम, भोपाल गैस त्रासदी से ज्यादा भयावह त्रासदी बनकर भोपाल में फूट सकता है…भोपाल गैस त्रासदी के जख्म देखकर आज भी लोग सिहर उठते हैं…कह उठते हैं बाप-रे-बाप क्या ऐसा भयावह मंजर हुआ था…गैस त्रासदी में इतने लोग मरे थे…भोपालियों सावधान! कहीं अब कोरोना ऐसी भयावह त्रासदी न बन जाए …!