सही वक्त पर विनोदपूर्ण हाज़िरजवाबी का इस्तेमाल!

दुनिया में सरल-सीधे, विनम्र, सत्य व मानवता के प्रति निष्ठावान विभूतियों की बिरादरी अत्यंत लघु है। ये बहुत ख़ामोशी से कई ऐसे कार्य कर रहे होते हैं, जो भेड़चाल प्रवृत्ति वाले लोगों की सोच से परे है। जाहिर सी बात है आपके असाधारण कार्यों के बारे में उन्हें उत्सुकता होगी और उनके विचारों से भिन्न होने की वजह से वे आपका मजाक उड़ाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में खुद को बिल्कुल भी विचलित नहीं होने देना है।लोगों की नज़र में सही साबित करने की कोशिश, अच्छा बनने की कोशिश करने से बेहतर है अपनी ऊर्जा अपने नेक काम में लगायें, क्योंकि पूर्ण चेतना से हमें ज्ञात है हम ईश्वरीय कृपा से ईश्वर के इशारे पर कार्य कर रहें हैं। जब आप सफल हो जायेंगे तो उन्हें अपने आप पता चल जायेगा। लेकिन इस दरम्यान बहुत से साधक लोगों के उपहास से, या अलग-अलग टिप्पणियों, दृष्टिकोणों से निराश हो जाते हैं और अपने पसंद के काम में उत्साह की तिलांजली देकर वहीं पर प्रवाह को विराम दे देते हैं जो की उसके जीवन के लिये खेदजनक है। इसलिए ध्यान रखें जब कभी कोई अकेले या किसी समूह के समक्ष, आपका उपहास उड़ाए, अपमानजनक शब्द या वाक्य से आपके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाए, उस स्थिति में मौन रहना या संयम खोकर क्रोधित भाव से जवाब देना दोनों ही अनुचित है। इसलिए शब्दचातुर्य के साथ विनोदपूर्ण हाज़िर जवाबी ही सबसे अच्छा उपाय है। इस प्रकार प्रतिकार स्वरूप दिए गए उत्तर से, कटुता और विरोध की भावना पैदा हुए बिना ही, बात का उद्देश्य भी पूरा हो जाता है और आत्मसम्मान की रक्षा भी। व्यक्तिव में इस गुण का विकास तथा उसकी उपयोगिता में अभ्यस्त होने से न केवल हम अपमान को हल्के में लेने लगते हैं अपितु दूसरों की अशिष्टता से ऊपर उठकर, शांतचित से स्वयं परिपक्वता की ओर अग्रसर होने लगते हैं। इस तरह, जीवन में ऊर्जा की भारी मात्रा संरक्षित की जा सकती है जिसे किसी रुचिकर क्षेत्र में लगायी जा सकती है।

– शशि दीप 

विचारक/ द्विभाषी लेखिका

मुंबई

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