भोपाल । महिला ने रेप के झूठे आरोप लगाए। शासन से क्षतिपूर्ति राशि भी ले ली। फिर बाद में बयान से पलट गईं। इस तरह के दो मामलों को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने आरोपियों को रिहा किए जाने के आदेश दिए हैं, वहीं राज्य शासन को आदेश दिया है कि वह अनुसूचित जाति की कथित पीड़िता को जो क्षतिपूर्ति राशि दी गई है, उसे वापस प्राप्त करने की कार्रवाई करे। साथ ही युवती के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई हो। कानूनी कार्रवाई की रिपोर्ट 3 माह में मप्र हाईकोर्ट (ग्वालियर) के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को सौंपना है। हम बता रहे हैं यह दोनों मामले क्या हैं और यदि कोई आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवाए तो आप कैसे बच सकते हैं।
*क्या हैं दोनों मामले…*👇🏻
*केस न.1*
– लाखन नामक शख्स के खिलाफ एक युवती ने नरवर थाने में आईपीसी की धारा 376,457 और 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज करवाई।
– इसके बाद पुलिस ने आरोपी को 3 अप्रैल 2018 को गिरफ्तार कर लिया।
– आरोपी ने तीसरा जमानती आवेदन प्रस्तुत कर कहा कि दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली युवती ने कोर्ट में आरोपों को नकार दिया।
– हाईकोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए।
– युवती को शासन द्वारा क्षतिपूर्ति के तौर पर 3 लाख रुपए दिए गए थे। कोर्ट ने इस राशि को वसूलने के आदेश दिए हैं।
*केस न.2*
– बीरबल सिंह के खिलाफ एक नाबालिग बालिका ने पॉक्सो एक्ट के तहत थाना अंबाह जिले मुरैना में मामला दर्ज कराया था। आरोपी को 17 मार्च को गिरफ्तार किया गया।
– आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में जमानत आवेदन में कहा गया कि, पहले जिस घटना के आधार पर उसने एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसमें मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 161 के तहत बयान दिए लेकिन बाद में पलट गई।
– आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में जमानत आवेदन में कहा गया कि, पहले जिस घटना के आधार पर उसने एफआईआर दर्ज करवाई थी, उसमें मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 161 के तहत बयान दिए लेकिन बाद में पलट गई।
– आरोपी को अदालत ने जमानत दे दी और अधिकारियों को निर्देश दिए कि झूठे बयान देने पर लड़की पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।
*कोई झूठी एफआईआर दर्ज करवाए तो आप कैसे बचें…*
– यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी FIR कर दी है तो आप उसे चैलेंज कर सकते हैं। ऐसे में आपकी दलीलें सही रहीं तो आपको हाईकोर्ट के जरिए राहत मिल सकती है। इस बारे में हाईकोर्ट एडवोकेट संजय मेहरा का कहना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत इस तरह के मामलों में चैलेंज किया जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सही पाईं तो रिलीफ मिल सकता है।
– किसी ने आपके खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवाई है तो आप धारा 482 का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस धारा के तहत वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र लगाया जा सकता है।
– इस पत्र के साथ में आप अपनी बेगुनाही के सबूत भी दे सकते हैं। जैसे आप, वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स, डॉक्युमेंट्स प्रार्थनापत्र के साथ अटैच कर सकते हैं। इससे आप अपनी बेगुनाही को मजबूती से कोर्ट में रख पाएंगे।
– चोरी, मारपीट, बलात्कार या किसी दूसरे मामले में आपको षडयंत्र करके फंसाया गया है तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। हाईकोर्ट में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती। इतना ही नहीं यदि आपके खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया गया है, तब भी केस चलने के दौरान आपको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट जांच अधिकारी को जांच के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दे सकती है।
– यदि आप इस धारा के तहत हाईकोर्ट में याचिका लगाना चाहते हैं तो पहले एक फाइल तैयार करें। इस फाइल में एफआईआर की कॉपी के साथ ही एविडेंस के जो भी जरूरी डॉक्युमेंट्स हैं, वे लगाएं। आप वकील के माध्यम से एविडेंस तैयार कर सकते हैं। आपके पक्ष में कोई गवाह है तो इसमें उसका भी जिक्र करें।
( साभार )