पद्मश्री सम्मान का व्यवसायीकरण क्या सरकार के संरक्षण में ?
भारतीय गणराज्य में पद्म सम्मान का महत्व अपने आप में बहुत अधिक है। पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है, जिसकी घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की जाती है। ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं: पद्म विभूषण (असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए), पद्म भूषण (उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा) और पद्म श्री (विशिष्ट सेवा)। यह पुरस्कार उन सभी गतिविधियों या विषयों में उपलब्धियों को मान्यता देने का प्रयास करता है, जिनमें सार्वजनिक सेवा का तत्व शामिल होता है।
पद्म पुरस्कार हर साल प्रधानमंत्री द्वारा गठित पद्म पुरस्कार समिति की सिफारिशों के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। नामांकन प्रक्रिया जनता के लिए खुली है। यहां तक कि स्वयं नामांकन भी किया जा सकता है। ये पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा आमतौर पर हर साल मार्च/अप्रैल के महीने में प्रदान किए जाते हैं, जहां पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सनद (प्रमाण पत्र) और एक पदक प्रदान किया जाता है।
आजादी के बाद तात्कालिक केंद्र सरकार ने कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान देने वाली विभूतियों को यह सम्मान से अलंकृत करने की परम्परा का आरंभ आज से 71वर्ष पूर्व 1954 में इस उद्देश्य से किया था कि वास्तविक विभूतियों को उनके देश और समाज के प्रति सेवा का मान मिले लेकिन वर्तमान संदर्भ में इसका व्यवसायीकरण दृष्टिगत हो रहा है। हम इसके वर्तमान संदर्भ की चर्चा बाद में करेंगे सबसे पहले पद्म सम्मान के एक अभिन्न अंग” पद्मश्री सम्मान के बारे में जाने की सरकार ने इस सम्मान को क्यों और किस उद्देश्य से आरम्भ किया था।
विदित हो कि “पद्म श्री या पद्मश्री” सम्मान भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है। भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है इससे पहले क्रमश: भारत रत्न, पद्म विभूषण और पद्म भूषण का स्थान है। इसके अग्रभाग पर, “पद्म” और “श्री” शब्द देवनागरी लिपि में अंकित रहते हैं। आजादी के बाद “पद्म श्री सम्मान ” अर्थात प्रथम पुरस्कार वर्ष 1954 में प्रदान किया गया था तथा इसी श्रृंखला का अंतिम पुरस्कार वर्ष 2025 में प्रदान किया गया। शासकीय रिकॉर्ड अनुसार अब तक कुल 3448 लोगों को पद्म श्री सम्मान ” अर्थात प्रथम पुरस्कार से नवाजा जा चुका हैं। इस पुरस्कार या सम्मान का महत्व भारतीय संदर्भ में अत्याधिक है और रहेगा। भारत सरकार द्वारा देश के कोने-कोने से विलक्षण प्रतिभाओं, विभूतियों का चयन कर उनको सम्मानित किया जाता है। पद्म पुरस्कारों के लिए प्राप्त सभी नामांकन पद्म पुरस्कार समिति के समक्ष रखे जाते हैं, जिसका गठन हर साल प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। पद्म पुरस्कार समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं और इसमें गृह सचिव, राष्ट्रपति के सचिव और चार से छह प्रतिष्ठित व्यक्ति सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। समिति की सिफारिशें प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को अनुमोदन के लिए भेजी जाती हैं।
यहां अब वर्तमान संदर्भ की बात की जाए तो विगत कुछ वर्षों से भारत सरकार द्वारा गठित पद्म पुरस्कार समिति से पृथक भी पद्म श्री सम्मान के लिए प्राइवेट लोग या यह कहें संगठन, एजेंसियां, निकाय भी कार्य कर रही हैं जो पद्म श्री सम्मान के नाम पर मोटी रकमों की उगाही करती देखी जा रही हैं जिनके द्वारा सोशल मीडिया साइट्स पर जमकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है। स्काल्ड कंसल्टिंग एलएलपी नामक एक गैर सरकारी संस्था द्वारा अपने प्रचार में पद्मश्री सम्मान दिलाने के नाम पर प्रोफाइल बनाने का विज्ञापन डाला था। जिसमें उनके द्वारा दावा किया गया कि “आप पद्मश्री पुरस्कार विजेता हो सकते हैं? हम पद्मश्री पुरस्कार के लिए आपकी प्रोफ़ाइल बनाने में मदद करते हैं। संस्था ने अपना परिचय देते हुए लिखा कि “स्काल्ड कंसल्टिंग एलएलपी एक गैर सरकारी सलाहकार फर्म है, जो एनजीओ के लिए रिज्यूमे निर्माण सेवाएं और पद्मश्री, नारी शक्ति पुरस्कार आदि जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान करती है। हम तकनीकी प्रोफाइल बनाते हैं और रणनीतिक सुझाव आदि प्रदान करते हैं।हम केवल तकनीकी प्रोफाइल निर्माण के लिए सहायता और मार्गदर्शन करते हैं और किसी पुरस्कार या अनुदान की गारंटी नहीं देते हैं। संस्था ने लिखा इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए कॉल करें 8376914204, 7428573552। जानकारी अनुसार इस संस्था के संचालक आरजे आरती मल्होत्रा और डॉक्टर तिलक तंवर हैं। ताज्जुब तब हुआ जब उक्त मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया तो स्काल्ड कंसल्टिंग एलएलपी की कस्टमर केयर यूनिट की महिला द्वारा अपना परिचय देते हुए आवेदक का पूर्ण परिचय प्राप्त किया तथा संबंधित नंबर पर अपना बायोडाटा डालने का निर्देश दिया। आवेदक द्वारा अपना बायोडाटा डालने के अगले दिन संबंधित महिला का पुनः फोन आया और उसके द्वारा कहा गया कि आपका बायोडाटा काफी प्रभावशील है। उसके द्वारा बताया गया कि हम आपका पद्मश्री के लिए प्रोफाइल बनाएंगे जिसका शुल्क 58 हजार रुपए है, जिसमें 18प्रतिशत जीएसटी अलग देना होगा।साथ ही उक्त राशि वापसी योग्य नहीं होगी।हमारा कार्य केवल आपका प्रोफाइल बनाने और सरकार को भेजने तक का है। लाखों लोगों में से चयन होता है।
इस पूरे नाट्यक्रम में इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि जिस पद्म श्री पुरस्कार या सम्मान के लिए भारत सरकार द्वारा चयन समिति का गठन किया जाता है उसके बाहर कोई निजी गैर सरकारी संस्था सरकार की नाक के नीचे किस अधिकार से पद्म श्री सम्मान के लिए सोशल साइट पर प्रचार कर धन उगाही कर इसका व्यवसायीकरण कर रहे हैं और सरकार ने मौन धारण कर रखा है।यदि इस संस्था की कार्यप्रणाली पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट है कि बिना सरकारी संरक्षण प्राप्त किए कोई संस्था इस प्रकार सरकारी पुरस्कार के नाम पर अवैध वसूली नहीं कर सकती।जो भी है इस तरह इस संस्था द्वारा पद्मश्री पुरस्कार के लिए प्रोफाइल बनाने के नाम पर 58हजार रुपए सहित जीएसटी शुल्क की उगाही क्या न्यायसंगत है।
डॉक्टर सैय्यद खालिद कैस एडवोकेट
लेखक पत्रकार आलोचक विचारक